भारत में बढ़ी मौसम की मार, 2023 में आंधी तूफान और आकाशीय आपदा में गई 1200 जानें

विश्व मौसम विज्ञान संगठन की नई रिपोर्ट "स्टेट ऑफ द क्लाइमेट इन एशिया" में जलवायु परिवर्तन और मौसम की मार के आंकड़े जारी किए

By Lalit Maurya

On: Tuesday 23 April 2024
 

वैश्विक स्तर पर जलवायु, मौसम और पानी से सम्बंधित चरम मौसमी घटनाओं जैसे, बाढ़, तूफान, सूखा, लू आदि के लिए एशिया हॉटस्पॉट बनता जा रहा है। यदि 2023 की बात करें तो पिछले साल दुनिया के किसी भी अन्य क्षेत्र के मुकाबले एशिया को सबसे ज्यादा चरम मौसमी आपदाओं से जूझना पड़ा था।

आंकड़ों के मुताबिक 2023 के दौरान एशिया ने 79 चरम मौसमी आपदाओं का सामना किया। इन आपदाओं ने जहां 2,000 से ज्यादा जिंदगियों को लील लिया था। वहीं 90 लाख से ज्यादा लोगों का जीवन इन आपदाओं की वजह से अस्त-व्यस्त हो गया था। यह जानकारी विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा आज जारी नई रिपोर्ट "स्टेट ऑफ द क्लाइमेट इन एशिया" में सामने आई है।

रिपोर्ट के मुताबिक 2023 के दौरान एशिया में बाढ़ और तूफान के चलते सबसे ज्यादा लोग हताहत हुए थे। साथ ही इनकी वजह से भारी आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ा था। इतना ही नहीं इस दौरान एशिया में आई चरम मौसमी आपदाओं में से 80 फीसदी बाढ़ और तूफान की घटनाएं थी।

डब्ल्यूएमओ ने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि बढ़ते तापमान के साथ लू का प्रभाव पहले से कहीं ज्यादा विकराल रूप ले चुका है। यदि बढ़ते तापमान से जुड़े आंकड़ों पर गौर करें तो 2023 में एशिया का औसत तापमान 1991 से 2020 की तुलना में 0.91 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। जो उसे अब तक का दूसरा सबसे गर्म वर्ष बनता है। 2023 में जापान ने भी अपनी अब तक की सबसे गर्म गर्मियों का सामना किया था।

वैश्विक औसत से कहीं ज्यादा तेजी से गर्म हो रहा है एशिया

एशिया वैश्विक औसत से भी कहीं ज्यादा तेजी से गर्म हो रहा है। 1961 से 1990 की अवधि के बाद से देखें तो इस क्षेत्र में तापमान में होती वृद्धि की प्रवृत्ति करीब दोगुनी हो गई है। आंकड़ों के मुताबिक एशिया में 2023 में दर्ज औसत तापमान 1961 से 1990 के औसत तापमान की तुलना में 1.87 डिग्री सेल्सियस ज्यादा दर्ज किया गया है।

रिपोर्ट में जलवायु में आते बदलावों को उजागर करते हुए जानकारी दी है सतह का तापमान, ग्लेशियरों के पिघलने की दर और समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ रहे हैं। इन बदलावों से एशिया आम लोगों, अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी तंत्र पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।

इसपर भी करें गौर: सबसे गर्म साल रहा 2023: ग्रीनहाउस गैस, सतह का तापमान, समुद्र की गर्मी व ग्लेशियर के पीछे हटने के सारे रिकॉर्ड टूटे

आशंका जताई गई है कि जिस तरह से इस क्षेत्र में ग्लेशियर पिघल रहे हैं, उससे भविष्य में जल सुरक्षा को लेकर खतरा पैदा हो सकता है। इसी तरह समुद्र की सतह का तापमान और गर्मी भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। 2023 में, उत्तर पश्चिमी प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया था, इसी तरह आर्कटिक महासागर ने भी समुद्री लू का सामना किया था।

वैश्विक स्तर पर देखें तो समुद्र का स्तर 3.43 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की दर से बढ़ रहा है। लेकिन यदि उत्तर-पश्चिम हिन्द महासागर को देखें तो यह दर 1993 से 2023 के बीच यह दर 4.07 मिलीमीटर प्रतिवर्ष दर्ज की गई, जो वैश्विक औसत से कहीं ज्यादा है।

उत्तर पूर्वी हिन्द महासागर और बंगाल की खाड़ी में भी इस दौरान समुद्र के जल स्तर में 4.44 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की वृद्धि रिकॉर्ड की गई। जो वैश्विक स्तर पर समुद्र के जलस्तर में होती वृद्धि से 29.5 फीसदी अधिक है। जल स्तर में बढ़ने की यह प्रवत्ति दक्षिण-पूर्व हिन्द महासागर (4.19) में भी दर्ज की गई। इसी तरह 2023 में समुद्र की सतह का तापमान उत्तर-पश्चिम प्रशांत महासागर में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था।

विश्व मौसम विज्ञान संगठन के महासचिव सेलेस्टे साउलो ने रिपोर्ट में जो परेशान करने वाले तथ्य सामने आए हैं, उनको उजागर करते हुए प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी है कि 2023 में इस क्षेत्र के कई देशों ने अब तक के अपने सबसे गर्म वर्ष का सामना किया था। इसके साथ ही इन देशों को बाढ़, तूफान, सूखा और  लू जैसी चरम मौसमी घटनाओं की श्रृंखला से भी जूझना पड़ा।"

उनके मुताबिक जलवायु परिवर्तन ने इन घटनाओं को आवृत्ति और तीव्रता को पहले से काफी बढ़ा दिया है। जो समाज, अर्थव्यवस्था और सबसे बढ़कर आम लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है। साथ ही इसका असर हमारे पर्यावरण पर भी पड़ रहा है।

एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए गठित संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (यूएन ईएससीएपी) की कार्यकारी सचिव आर्मिडा साल्सिया अलीसजहबाना ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि 2023 में एक बार फिर कमजोर देशों को जलवायु में आते इन बदलावों का खामियाजा भुगतना पड़ा है।

उदहारण के लिए उष्णकटिबंधीय चक्रवात मोचा, जो पिछले दस वर्षों में बंगाल की खाड़ी में आया सबसे शक्तिशाली चक्रवात है, उसने बांग्लादेश और म्यांमार को प्रभावित किया। इस दौरान प्रारंभिक चेतावनियों और बेहतर तैयारियों की मदद से हजारों जिंदगियों को बचाया जा सका था।

2023 में भारी बारिश ने भी एशिया के कई क्षेत्रों में नए रिकॉर्ड बनाए हैं। मई में, भारी वर्षा के चलते म्यांमार के कुछ स्टेशनों पर दैनिक वर्षा के पिछले रिकॉर्ड टूट गए थे। यमन में हुई भारी वर्षा से भीषण बाढ़ आ गई थी। बहुत कम समय में हुई इस भारी बारिश की वजह से कृषि को गहरा असर पड़ा था। इसकी वजह से वहां 70 से अधिक जिलों में 165,000 से अधिक लोग प्रभावित हुए थे, जबकि 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी।

था। इसी तरह अक्टूबर के अंत में, चक्रवात तेज के कारण यमन और ओमान में भारी वर्षा हुई। भारी बारिश की ऐसी ही एक घटना को उजागर करते हुए रिपोर्ट में जानकारी दी है कि ताइवान में टाइफून हाइकुई ने भारी तबाही मचाई थी। वहीं सात सितम्बर 2023 को हांगकांग में एक ही घंटे में 158.1 मिलीमीटर बारिश हुई थी, जो 1884 के बाद से एक नया रिकॉर्ड है। इस दौरान 12 घंटों में 605.8 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई थी।

इसपर भी करें गौर: एशिया प्रशांत में चल रहा है आपदा आपातकाल, 82 लाख करोड़ के नुकसान का अनुमान: रिपोर्ट

दिसंबर 2022 से जनवरी 2023 के बीच, अफगानिस्तान ने शीत लहर का सामना किए था। इस दौरान घोर प्रान्त में तापमान -33 डिग्री सेल्सियस के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गया। इस दौरान भीषण ठंड और हाइपोथर्मिया से 124 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा, जबकि 200,000 तक मवेशियों के मारे जाने की खबर सामने आई है।

खतरे की जद से बाहर नहीं भारत, 2023 में कई आपदाओं का किया सामना

इस रिपोर्ट में 2023 के दौरान भारत में आई जलवायु और चरम मौसमी आपदाओं को भी उजागर किया है। अगस्त 2023 में, भारत ने रिकॉर्ड तापमान को अनुभव किया था। साथ ही इस महीने बारिश में भी अप्रत्याशित कमी देखी गई। 2023 के दौरान भारत में मानसून की शुरूआत देर से हुई, इस दौरान मानसून भी कुछ कमजोर रहा, जब सामान्य (1971 से 2020 में हुई औसत बारिश) से 94 फीसदी बारिश दर्ज की गई।

यह लगातार दूसरा साल रहा जब दक्षिण-पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों, गंगा के जलग्रहण क्षेत्र और ब्रह्मपुत्र के निचले इलाकों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई।

2023 में आंधी तूफान और आकाशीय आपदा ने भारत में 1,200 जिंदगियों को निगल लिया था। दक्षिण भारत में आंध्रप्रदेश में आए चक्रवात मिचौंग का जिक्र भी इस रिपोर्ट में किया गया है। यह चक्रवात पांच दिसंबर 2023 को आंध्रप्रदेश में टकराया था। इस तूफान ने 22 जिंदगियों को निगल लिया था।

वहीं जून से जुलाई 2023 के बीच देश के अलग-अलग हिस्सों में आई बाढ़ और तूफान की घटनाओं में कम से कम 599 लोगों के मरने की जानकारी सामने आई है। इसी तरह अगस्त 2023 में बड़े पैमाने पर आई बाढ़ और भूस्खलन से देश के कई राज्य प्रभावित हुए थे। इनकी वजह से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में 25 लोगों की मौत हो गई थी।

एशिया के कई हिस्सों ने 2023 के दौरान भीषण गर्मी और लू का भी सामना किया था। गर्मियों की शुरुआत में ही दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में लंबे समय तक चली लू ने काफी हद तक जनजीवन पर असर डाला था। इन घटनाओं से भारत भी अछूता नहीं था। भारत में, अप्रैल और जून के दौरान भीषण गर्मी और लू के कारण 110 लोगों की हीटस्ट्रोक से मौत हो गई थी।

अप्रैल और मई के दौरान लंबे समय तक चली लू ने दक्षिण-पूर्व एशिया के अधिकांश हिस्से को प्रभावित किया था। इसकी वजह से बांग्लादेश और पूर्वी भारत और चीन के उत्तरी और दक्षिणी इलाकों में आम लोगों पर असर पड़ा था।

इसी तरह घने कोहरे और धुंध के साथ कई खतरनाक प्रदूषकों ने अक्टूबर 2023 में भारत, पाकिस्तान सहित उत्तर-पश्चिम दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में लोगों के दैनिक जीवन पर गहरा असर डाला था।

रिपोर्ट के मुताबिक 1991 से 2020 के औसत तापमान की तुलना में देखें तो पूर्वी भारत के कई हिस्सों में सतह के पास तापमान एक डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया था। इन क्षेत्रों में अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, जम्मू कश्मीर, लदाख और त्रिपुरा शामिल हैं। इसी तरह पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश और झारखण्ड के कुछ हिस्से शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (यूएन ईएससीएपी) ने भी अपनी हालिया रिपोर्ट "एशिया पैसिफिक डिजास्टर रिपोर्ट 2023" में खुलासा किया है कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 1970 से लेकर अब तक करीब 20 लाख लोग आपदाओं की भेंट चढ़ चुके हैं।  इतना ही नहीं इन आपदाओं में 6.4 करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं।

इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत सहित पूरे एशिया-पैसिफिक क्षेत्र के लिए मौजूदा समय आपदा आपातकाल से कम नहीं। इस क्षेत्र में आती जलवायु आपदाएं लोगों का कड़ा इम्तिहान ले रहीं हैं। ऐसे में यदि समय रहते इन पर ध्यान न दिया गया तो तापमान में दो डिग्री सेल्सियस की वृद्धि के साथ इन आपदाओं से होने वाला नुकसान बढ़कर 82 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक इस क्षेत्र में समय रेत की तरह तेजी से फिसल रहा है। ऐसे में यदि इस बढ़ते जलवायु संकट पर अभी कार्रवाई न की गई तो भारत सहित पूरे एशिया-पैसिफिक क्षेत्र को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

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