साल 2030 तक गर्मियों में बिना बर्फ के होगा आर्कटिक महासागर, तब दुनिया पर क्या होगा इसका असर?

आर्कटिक समुद्री बर्फ दुनिया भर की जलवायु प्रणाली का एक महत्वपूर्ण भाग है। यह महासागर द्वारा अवशोषित सूरज की रोशनी की मात्रा को कम कर देता है

By Dayanidhi

On: Tuesday 13 June 2023
 
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, मारियो हॉपमैन

साल 2030 तक आर्कटिक महासागर में गर्मियों के दौरान बर्फ नहीं दिखेगी, भले ही दुनिया भर में आज से उस समय के बीच उत्सर्जन को कम करने का अच्छा काम ही क्यों न किया जाए।

एक बिना बर्फ वाले आर्कटिक महासागर का पूर्वानुमान लगाने का एक लंबा और जटिल इतिहास है। 2030 के दशक की तुलना में जल्द ही ऐसा होना अधिकांश वैज्ञानिकों द्वारा सोचा गया था। हम निश्चित रूप से जानते हैं कि दुनिया के शीर्ष पर समुद्री बर्फ का गायब होना न केवल जलवायु परिवर्तन का एक अहम संकेत होगा, बल्कि इसके दुनिया भर के लिए, हानिकारक और खतरनाक परिणाम होंगे।

आर्कटिक, ग्रह के किसी भी अन्य भाग की तुलना में तेजी से गर्म हो रहा है। यह जलवायु परिवर्तन के मामले में सबसे आगे है। कई वैज्ञानिकों और स्थानीय स्वदेशी लोगों की निगाहें समुद्री बर्फ पर रही हैं जो सर्दियों में आर्कटिक महासागर के अधिकांश हिस्से को कवर करती हैं। जमे हुए समुद्री पानी की यह पतली फिल्म मौसम के साथ फैलती और सिकुड़ती है, हर साल सितंबर में घट कर इसका क्षेत्र सबसे कम हो जाता है।

गर्मियों के अंत में जो बर्फ बची रहती है, उसे बहुवर्षीय समुद्री बर्फ कहा जाता है और यह कुछ समय पहले गिरी बर्फ की तुलना में काफी मोटी होती है। यह समुद्र और वायुमंडल के बीच नमी और गर्मी दोनों को रोकने का काम करता है।

पिछले 40 वर्षों में यह बहुवर्षीय समुद्री बर्फ लगभग 70 लाख वर्ग किमी से घटकर 40 लाख हो गई है। यह नुकसान मोटे तौर पर भारत के आकार के बराबर है। दूसरे शब्दों में, कहा जाए तो यह एक बड़ा संकेत है, जो दुनिया में कहीं भी जलवायु प्रणाली में मूलभूत बदलावों के सबसे कठोर संकेतों में से एक है।

यह निर्धारित करने के काफी प्रयास किए गए हैं कि आर्कटिक महासागर पहली बार गर्मियों में कब बिना बर्फ के हो सकता है, जिसे कभी-कभी "ब्लू ओशन इवेंट" कहा जाता है और इसे तब परिभाषित किया जाता है जब समुद्री बर्फ का क्षेत्र 10 लाख वर्ग किलोमीटर से कम हो जाता है।

कनाडा और उत्तरी ग्रीनलैंड के कुछ हिस्सों में पुरानी, ​​मोटी बर्फ के शेष आर्कटिक महासागर के बर्फ मुक्त होने के बाद लंबे समय तक रहने की उम्मीद है। अध्ययनकर्ता ने कहा, हम आखिरी ब्लू ओशियन घटना की सटीक तारीख नहीं बता सकते, लेकिन निकट भविष्य में एक का मतलब हजारों सालों में पहली बार उत्तरी ध्रुव पर बिना बर्फ का पानी होगा।

यह कब हो सकता है इसका पूर्वानुमान लगाने में एक समस्या यह है कि समुद्री बर्फ को मॉडल बनाना बेहद मुश्किल है। क्योंकि यह वायुमंडलीय और समुद्री प्रसार दोनों के साथ-साथ जलवायु प्रणाली के इन दो हिस्सों के बीच गर्मी के प्रवाह से प्रभावित होता है।

इसका मतलब है कि जलवायु मॉडल-शक्तिशाली कंप्यूटर प्रोग्राम जो पर्यावरण को सिमुलेट या अनुकरण करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। इन सभी चीजों को समुद्री बर्फ की सीमा में सटीक रूप पूर्वानुमान लगाने में सक्षम होने के लिए इन सभी कारणों का पता लगाने की आवश्यकता है।

मॉडल द्वारा लगाए गए पूर्वानुमान की तुलना में तेजी से पिघल रही है

2000 के दशक में, जलवायु मॉडल की शुरुआती पीढ़ियों के एक आकलन में पाया गया कि वे आम तौर पर उपग्रह के आंकड़े की तुलना में समुद्र के बर्फ के नुकसान का अनुमान लगाते हैं, जो दिखाते हैं कि वास्तव में क्या हुआ था। मॉडल ने प्रति दशक लगभग 2.5 फीसदी के नुकसान का अनुमान लगाया, जबकि अवलोकन आठ फीसदी के करीब का था।

2030 तक बर्फ मुक्त हो जाएगा आर्कटिक महासागर?

नवीनतम अध्ययन के पीछे वैज्ञानिकों ने, वास्तव में, अवलोकनों के साथ मॉडल को जोड़  करके और फिर इस समाधान का उपयोग करके समुद्री बर्फ की गिरावट को दिखाने के लिए एक अलग नजरिया अपनाया है। यह बहुत मायने रखता है, क्योंकि यह जलवायु मॉडल में छोटे अनुमानों के प्रभाव को कम करता है जो बदले में समुद्री बर्फ के अनुमान लगाए जा सकते हैं।

इन अवलोकन के मुताबिक आर्कटिक 2030 की शुरुआत में गर्मियों में बर्फ मुक्त हो सकता है, भले ही हम अभी और तब के बीच उत्सर्जन को कम करने का अच्छा काम ही क्यों न करें।

हमारे लिए यह क्यों मायने रखता है?

हर किसी के दिमाग में यह सवाल होगा, तो मुझे क्या? कुछ ध्रुवीय भालुओं के एक ही तरीके से शिकार न कर पाने के अलावा, यह क्यों मायने रखता है? इसका मतलब है कि एशिया के जहाज कम से कम गर्मियों में यूरोपीय बंदरगाहों की लगभग 3,000 मील की यात्रा को बचा सकते हैं।

लेकिन आर्कटिक समुद्री बर्फ जलवायु प्रणाली का एक महत्वपूर्ण भाग है। यह महासागर द्वारा अवशोषित सूरज की रोशनी की मात्रा को कम कर देता है।

गर्मियों में समुद्री बर्फ के नुकसान का मतलब वायुमंडलीय प्रसार और तूफानी रास्तों में बदलाव और समुद्र की जैविक गतिविधि में मूलभूत बदलाव भी होगा। ये अचानक होने वाले बदलावों के परिणाम स्वरूप यह कहना उचित है कि नुकसान, मामूली फायदों से कहीं अधिक होगा। यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित किया गया है।

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