एशिया, दक्षिण अमेरिका ने किया इतिहास के सबसे गर्म अक्टूबर का सामना, नए कीर्तिमान बना रहा है तापमान

यह लगातार 47वां अक्टूबर और 536वां महीना है जब तापमान बीसवीं सदी के औसत तापमान से ज्यादा दर्ज किया गया है

By Lalit Maurya

On: Monday 20 November 2023
 
सिंचाई के दौरान अपनी प्यास बुझाता एक बुजुर्ग भारतीय किसान; फोटो: आईस्टॉक

अमेरिकी वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि एशिया और दक्षिण अमेरिका के लिए अक्टूबर का महीना 174 वर्षों के जलवायु इतिहास का अब तक का सबसे गर्म अक्टूबर रहा। जब तापमान नए शिखर पर पहुंच गया था। अफ्रीका, यूरोप और उत्तरी अमेरिका के लिए भी यह रिकॉर्ड का दूसरा सबसे गर्म अक्टूबर था। यदि वैश्विक स्तर पर देखें तो अक्टूबर में तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया जो बीसवीं सदी के औसत तापमान से 1.34 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

यह जानकारी नेशनल ओसेनिक एंड एटमोस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) के नेशनल सेंटर फॉर एनवायर्नमेंटल इंफॉर्मेशन (एनसीईआई) द्वारा 15 नवंबर 2023 को जारी रिपोर्ट में सामने आई है। आंकड़ों की मानें तो यह लगातार पांचवा महीना है जब बढ़ते तापमान ने नया रिकॉर्ड बनाया है। गौरतलब है कि इससे पहले 2023 में अब तक के सबसे गर्म जून, जुलाई, अगस्त और सितम्बर के महीने दर्ज किए गए।

वहीं यदि अक्टूबर की बात करें तो यह लगातार 47वां अक्टूबर है जब तापमान बीसवीं सदी के औसत तापमान से ज्यादा दर्ज किया गया है। इसी तरह यह लगातार 536वां महीना है जब तापमान औसत से ज्यादा रिकॉर्ड किया गया। वहीं 2014 से 2023 के पिछले दस अक्टूबर के महीनों को देखें तो ऐसा कोई भी महीना नहीं रहा जिन्होंने जलवायु इतिहास में कीर्तिमान न बनाए हों।

नित नए बन रहे कीर्तिमान

साल दर साल अक्टूबर के महीने में तापमान बढ़ता ही जा रहा है। वहीं यदि अक्टूबर 2023 की तुलना पिछले सबसे गर्म अक्टूबर के महीनों से करें तो तापमान 0.24 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। बता दें कि इससे पहले अब तक के सबसे गर्म अक्टूबर होने का खिताब अक्टूबर 2015 के नाम दर्ज था।

रिपोर्ट के मुताबिक न केवल जमीन पर बल्कि समुद्र भी बढ़ते तापमान के प्रभावों से सुरक्षित नहीं है। आंकड़ों के मुताबिक लगातार सातवें महीने, वैश्विक तौर पर महासागरों की सतह का तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।

यदि जनवरी से अक्टूबर के बीच बढ़ते तापमान को देखें तो इस दौरान वैश्विक स्तर पर सतह का औसत तापमान 20वीं सदी के औसत तापमान से 1.13 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। जो उसे जलवायु रिकॉर्ड की अब तक की सबसे गर्म अवधि बनाता है। एनसीईआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस बात की करीब 99 फीसदी से अधिक आशंका है कि 2023 दुनिया का अब तक का सबसे गर्म वर्ष होगा।

बता दें कि इससे पहले भी यूरोप की कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के वैज्ञानिक भी कह चुके हैं कि 2023 का अब तक का सबसे गर्म वर्ष होना करीब-करीब तय है।

वहीं विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) भी इस बात की पुष्टि कर चुका है कि अल नीनो का प्रभाव अगले साल अप्रैल 2024 तक जारी रहेगा। मतलब की इस साल में बढ़ते तापमान से छुटकारा पाने की सम्भावना बिलकुल न के बराबर है। डब्ल्यूएमओ के मुताबिक इस बढ़ते तापमान के साथ गर्मी, लू, बाढ़ जैसी चरम मौसमी घटनाओं में वृद्धि होने की आशंका लगातार बढ़ रही है।

रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर के दौरान समुद्री बर्फ की सीमा सबसे कम दर्ज की गई है। यह लगातार छठा महीना है जब अंटार्कटिक में जमा समुद्री बर्फ असाधारण रूप से कम दर्ज की गई। गौरतलब है कि अक्टूबर में, वैश्विक समुद्री बर्फ का विस्तार अक्टूबर 2016 के पिछले रिकॉर्ड निचले स्तर से 380,000 वर्ग मील कम दर्ज किया गया। वहीं सातवां मौका है जब अक्टूबर 2023 के दौरान आर्कटिक में समुद्री बर्फ का विस्तार इतना कम दर्ज किया गया।

यदि अक्टूबर के दौरान आए उष्णकटिबंधीय चक्रवातों की बात करें तो इस दौरान 15 चक्रवात आए थे। जो 1991 से 2020 के बीच आए औसतन 12 उष्णकटिबंधीय चक्रवातों से ज्यादा रहे। उनमें से नौ उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में हवा की गति 74 मील प्रति घंटे या उससे अधिक रही। वहीं सात प्रमुख उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में यह रफ्तार 111 मील प्रति घंटे या उससे अधिक दर्ज की गई। इतना ही नहीं इस दौरान पश्चिम प्रशांत क्षेत्र में आया सुपर टाइफून बोलावेन और पूर्वी प्रशांत क्षेत्र में आया तूफान ओटिस श्रेणी पांच में तब्दील हो गए थे, जिनमें हवा की रफ्तार 157 मील प्रति घंटे या उससे अधिक तक पहुंच गई थी।

 

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