जलवायु संकट के कारण बेलेरिक द्वीप का 65 फीसदी समुद्र तट हमेशा के लिए गायब हो जाएगा:अध्ययन

शोध में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से समुद्र तट की सतह के 50 फीसदी से अधिक का स्थायी नुकसान होगा, तूफान आने के दौरान यह नुकसान 80 फीसदी से अधिक बढ़ जाएगा।

By Dayanidhi

On: Tuesday 21 December 2021
 
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स

हाल के दशकों में तूफानी घटनाओं के चलते समुद्र के स्तर में वृद्धि और इसके तटीय क्षेत्रों को भारी खतरा पैदा हुआ है। इस सबने तटों के आकार में बदलाव करने में अहम भूमिका निभाई है। तूफान में होने वाली वृद्धि ने बाढ़ और खतरनाक समुद्र की लहरों के द्वारा बंदरगाह की सुविधाओं, तटीय पर्यटन के बुनियादी ढांचे, घरों और यहां तक ​​कि इंसानी जीवन को भी खतरे में डाला है।

अभी तक तटीय क्षेत्रों पर जलवायु संकट के प्रभाव का अच्छी तरह से दस्तावेजीकरण किया गया है। लेकिन नए शोध ने उत्तर-पश्चिमी भूमध्य सागर में बेलेरिक द्वीप समूह पर पाए जाने वाले समुद्र तटों पर जलवायु का भारी प्रभाव के बारे में बताया है। शोध से पता चला है कि यह द्वीपसमूह पर्यटन पर बहुत अधिक निर्भर है। लेकिन यहां के अधिकांश समुद्र तट गायब होते जा रहे हैं।

भूमध्य सागर में पर्यटन क्षेत्रों की अधिकांश आय समुद्र तट के पर्यटन से आती है। बेलेरिक द्वीप समूह के मामले में यह आज 25 फीसदी से अधिक है। इसका मतलब है कि जलवायु परिवर्तन के तहत इन समुद्र तटों के भाग्य का पूर्वानुमान लगाना आवश्यक है। शोधकर्ता मिगुएल एगुलेस, एक पीएच.डी. बेलेरिक द्वीप समूह के समुद्र विज्ञान केंद्र और मालोर्का पर अध्ययन के लिए भूमध्यसागरीय संस्थान में छात्र है।

शोध में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से समुद्र तट की सतह के 50 फीसदी से अधिक का स्थायी नुकसान होगा। तूफान आने के दौरान यह नुकसान 80 फीसदी से अधिक बढ़ जाएगा।

जलवायु परिवर्तन के तहत, हवाओं और महासागरीय धाराओं में अंतर के कारण, पृथ्वी पर हर जगह समुद्र का स्तर समान रूप से बढ़ने के आसार नहीं हैं। पिछले अध्ययनों के अनुमानों के मुताबिक बढ़ते तापमान के परिदृश्य के आधार पर इन द्वीपों के आसपास का समुद्र स्तर 50 सेमी और 67 सेमी के बीच बढ़ जाएगा।

बाढ़ का स्तर: यह समुद्र के स्तर, ज्वार और लहर की विशेषताओं पर निर्भर करता है। यह समुद्र तटों के आकार पर सबसे भारी प्रभाव माना जाता है।

शोधकर्ताओं ने पहले बेलेरिक तटों के साथ बाढ़ के स्तर को मॉडल करने के लिए एक लागत-कुशल, लेकिन सटीक, कार्य प्रणाली विकसित की। उपरोक्त कारकों के अलावा, उन्होंने प्रत्येक समुद्र तट के आकार और ढलान, इसकी रेत के कणों की मोटाई और समुद्री घास के मैदानों की सीमा में तय किया। फिर उन्होंने तटीय बाढ़ की तेजी और गायब हो जाने वाले समुद्र तटों के हिस्सों की भविष्यवाणी की है।

बेलेरिक द्वीप समूह में प्रत्येक समुद्र तट के विकास का विस्तृत विश्लेषण कंप्यूटर के द्वारा किया जाना आवश्यक है। शोधकर्ताओं ने कहा इसलिए हमने विश्लेषण के लिए कार्यप्रणाली विकसित करने और गणना को अनुकूलित करने के लिए अपने अध्ययन में काफी प्रयास किए हैं।

जलवायु परिवर्तन की स्थितियों के तहत, कुछ क्षेत्रों में चरम मौसम की घटनाओं के अधिक स्पष्ट होने की भविष्यवाणी की जाती है, लेकिन दूसरे भागों में इसे थोड़ा कमजोर ममाना जाता है। यहां शोधकर्ता बताते हैं कि बेलेरिक द्वीप समूह के आसपास, चरम घटनाओं के दौरान अधिकतम लहर की ऊंचाई दो से चार मीटर के बीच की वर्तमान ऊंचाई के सापेक्ष 10 सेमी से 15 सेमी के बीच घट जाएगी।

फिर भी, एगुलेस और उनके सहयोगी शोधकर्ता मुख्य रूप से समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण समुद्र तट पर विनाशकारी घुसपैठ और समुद्र तटों की संख्या और सीमा का अनुमान लगाते हैं।

कम से कम 56 फीसदी समुद्र तट स्थायी रूप से गायब हो जाएंगे

इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) से ग्लोबल वार्मिंग के लिए मध्यवर्ती आरसीपी 4.5 परिदृश्य के तहत, सदी के अंत तक बेलिएरिक द्वीप समूह की तटरेखा सामान्य मौसम की स्थिति में औसतन 9.2 मीटर पीछे हट जाएगी। इससे मौजूदा 869 समुद्र तटों में से 37 स्थायी रूप से गायब हो जाएंगे, जबकि समुद्र तट क्षेत्र में स्थायी नुकसान 56 फीसदी तक का होगा।

वे आगे दिखाते हैं कि इस परिदृश्य के तहत सदी के अंत तक, 254 समुद्र तटों (और वर्तमान समुद्र तट क्षेत्र का 84 फीसदी) चरम मौसम के दौरान अस्थायी रूप से बाढ़ आ जाएगी। भले ही ये बाढ़ वाले समुद्र तट आमतौर पर बाद में फिर से दिखाई देंगे। बाढ़ के दौरान तटीय क्षेत्रों और समुद्र तट को गंभीर नुकसान होने की आशंका व्यक्त की गई है।

आईपीसीसी के द्वारा अनुमानित 'सबसे खराब स्थिति' परिदृश्य के तहत आरसीपी 8.5, सदी के अंत तक समुद्र तट औसतन 11.7 मीटर पीछे हट जाएगा। तब 72 समुद्र तट और वर्तमान क्षेत्र का 65 फीसदी हिस्सा स्थायी रूप से गायब हो जाएंगे। जबकि 314 समुद्र तट तथा वर्तमान क्षेत्र का 86 फीसदी के करीब चरम मौसम के दौरान बाढ़ आ जाएगी।

सह-शोधकर्ता डॉ. गेब्रियल जोर्डो ने कहा कि उनके परिणाम इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि इन द्वीपों में स्थानीय पर्यटन के लिए जलवायु परिवर्तन एक गंभीर खतरा है। समुद्र के स्तर में वृद्धि के कारण समुद्र तटों को दृढ़ता से कम किया जाएगा। राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सरकारों को इसे कम करने की योजना बनानी चाहिए। जिसमें तूफानों का प्रभाव कम करना, उदाहरण के लिए समुद्री घासों को संरक्षित करके जो एक प्राकृतिक सुरक्षा है और पर्यटन उद्योग को अनुकूलित करने या इसके आर्थिक मॉडल पर पुनर्विचार किया जा सकता है। यह शोध फ्रंटियर्स इन मरीन साइंस में प्रकाशित हुआ है।

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