कॉप-27: संरक्षित क्षेत्र की जैव विविधता तापमान वृद्धि दर को 20 फीसदी तक कम कर सकती है

अध्ययन से पता चलता है कि स्थलीय संरक्षित क्षेत्र न केवल आवास प्रदान करते हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ तापमान को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

By Dayanidhi

On: Friday 04 November 2022
 

हाल में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (कॉप 27) से पहले जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है की दुनिया भर के देश ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने का दिखावा कर रहे हैं। उत्सर्जन कम करने के ये प्रयास सदी के अंत तक वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के लिए नाकाफी हैं।

यदि उत्सर्जन पर लगाम नहीं लगी तो इस सदी में जलवायु परिवर्तन के सबसे बुरे प्रभावों से बचना मुश्किल हो जाएगा, जिसमें लगातार और भीषण सूखा, लू या हीटवेव और भारी बारिश की घटनाएं होना आम होगा। इससे लोगों के साथ-साथ पारिस्थितिकी तंत्र, जैव विविधता पर भारी असर पड़ने की आशंका जताई गई है।

जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर नवीनतम वैश्विक आकलन रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन जैव विविधता के लिए एक बड़े खतरे के रूप में उभर रहा है। पौधों और जानवरों की प्रजातियों को तापमान संबंधी तनाव के अधिक खतरों का सामना करना पड़ता है क्योंकि जलवायु परिवर्तन तापमान को उनकी सहन करने की क्षमता से परे धकेल देता है।

एक नए अध्ययन से पता चलता है कि स्थलीय संरक्षित क्षेत्र न केवल आवास प्रदान करते हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक तापमान को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इस तरह जैव विविधता प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भी जीवित रह सकती है।

इस अध्ययन का नेतृत्व चीनी विज्ञान अकादमी के वायुमंडलीय भौतिकी संस्थान के वैज्ञानिकों ने चीन के नानजिंग सूचना विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम विश्व संरक्षण निगरानी केंद्र यूरोप (यूएनईपी-डब्ल्यूसीएमसी यूरोप) के सहयोगियों के सहयोग से किया गया है। 

अध्ययन से पता चलता है कि बिना संरक्षित क्षेत्रों की तुलना में जो अक्सर अशान्त होते हैं या अन्य भूमि उपयोगों में परिवर्तित हो जाते हैं, प्राकृतिक और अर्ध-प्राकृतिक वनस्पति के संरक्षित क्षेत्र भूमि की सतह के तापमान को प्रभावी ढंग से ठंडा करते हैं।

विशेष रूप से, वे उष्णकटिबंधीय में स्थानीय हर रोज के अधिकतम तापमान को कम करते हैं और बोरियल और समशीतोष्ण क्षेत्रों में हर दिन और मौसमी तापमान सीमाओं को कम करते हैं। संरक्षित क्षेत्रों में वनस्पति में बिना संरक्षित क्षेत्रों की तुलना में अधिक मात्रा में पत्ते होते हैं, यहां तक ​​कि एक ही वनस्पति प्रकार के भी, जो शारीरिक और जैव-भौतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से स्थानीय तापमान को नियंत्रित करता है।

अध्ययनकर्ता डॉ. जिया जेनसुओ ने कहा दैनिक और मौसमी अधिकतम तापमान पर संरक्षित क्षेत्रों का ठंडा प्रभाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जंगली प्रजातियों को अत्यधिक गर्मी से बचा सकता है। एक गर्म होती जलवायु के तहत, जैसे-जैसे लू या हीटवेव अधिक लगातार और अधिक तीव्र होती जा रही हैं, संरक्षित क्षेत्र तापमान को कम करने वाले क्षेत्र बनते जा रहे हैं।

डॉ. पीटर डी फ्रेन के अनुसार, जो जंगलों में मैक्रोक्लाइमेट वार्मिंग के माइक्रॉक्लाइमैटिक बफरिंग पर काम कर रहे हैं और अध्ययनकर्ता हैं, जलवायु परिवर्तन के लिए जैव विविधता प्रतिक्रियाएं काफी हद तक माइक्रॉक्लाइमेट द्वारा निर्धारित की जाती हैं।

यानी, जमीन के पास वायुमंडलीय स्थितियों का स्थानीय समूह, जो स्थानीय स्तर पर आवास और परिदृश्य सुविधाओं द्वारा संशोधित है। संरक्षित क्षेत्र छायांकित आवास प्रदान करते हैं जो मैक्रोक्लाइमेट वार्मिंग के लिए जैविक प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित कर सकते हैं।

भूमि-उपयोग में बदलाव से कार्बन उत्सर्जन को रोकने और वातावरण से कार्बन हटाने को बढ़ाकर वैश्विक जलवायु लक्ष्यों में योगदान देने वाले प्रकृति-आधारित समाधान के रूप में प्रकृति संरक्षण को तेजी से मान्यता प्राप्त है। इस अध्ययन से पता चलता है कि स्थानीय जलवायु को स्थिर करने में प्रकृति संरक्षण की प्रभावशीलता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। संरक्षित वन प्रभावी रूप से तापमान बढ़ने की दर को धीमा कर देते हैं, संरक्षित बोरियल वनों में तापमान बढ़ने की दर आसपास की तुलना में 20 फीसदी कम होती है।

प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ जू जियान ने कहा, तापमान बढ़ने की धीमी दर बोरियल क्षेत्रों में प्रजातियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तरी उच्च अक्षांश दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में तेजी से गर्म हो गए हैं। संरक्षित क्षेत्र संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए एक घर प्रदान करते हैं और घर प्राकृतिक रूप से वातानुकूलित है।

सह-अध्ययनकर्ता डॉ एलिस बेले ने कहा कि संरक्षित क्षेत्रों ने लंबे समय से प्रकृति के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन संरक्षित क्षेत्रों की उनके संरक्षण उद्देश्यों को हासिल  करने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

यह प्रदर्शन कि संरक्षित क्षेत्र जलवायु शमन और अनुकूलन में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं, साथ ही जैव विविधता और जलवायु संकट से एक साथ निपटने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है। यह अध्ययन साइंस एडवांस में प्रकाशित किया गया है। 

Subscribe to our daily hindi newsletter