जलवायु परिवर्तन के चलते 0.9 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की दर से लक्षद्वीप में बढ़ सकता है समुद्र का जलस्तर

हाल ही में किए एक शोध से पता चला है कि लक्षद्वीप के आसपास समुद्र का जलस्तर 0.4 से 0.9 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की दर से बढ़ सकता है

By Lalit Maurya

On: Friday 18 June 2021
 

लक्षद्वीप द्वीप समूह के आसपास समुद्र का जलस्तर 0.4 से 0.9 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की दर से बढ़ सकता है| यह जानकारी हाल ही में किए एक शोध में सामने आई है जिसमें ग्रीनहाउस गैसों के लिए अलग-अलग परिदृश्यों में इसका अनुमान लगाया गया है। इसका असर वहां मौजूद एयरपोर्ट और घरों पर पड़ सकता है| 

दुनिया भर में जिस तरह से तापमान में वृद्धि हो रही है और जलवायु में बदलाव आ रहा है, उसके कारण समुद्र का जलस्तर भी बढ़ रहा है| यह आने वाले वर्षों में जलवायु से जुड़े प्रमुख खतरों में से एक है जिसका सबसे ज्यादा असर छोटे द्वीपों पर पड़ रहा है| हालांकि यह पहली बार है जब अलग-अलग परिदृश्यों में जलवायु मॉडल का उपयोग अरब सागर में मौजूद लक्षद्वीप द्वीपसमूह में समुद्र के बढ़ते जलस्तर के चलते आने वाली बाढ़ के खतरे का अनुमान लगाने के लिए किया गया है| 

शोध के अनुसार उत्सर्जन के सबसे खराब परिदृश्य से लेकर उत्सर्जन के सभी परिदृश्यों में समुद्र के बढ़ते जलस्तर के कारण आनेवाली बाढ़ की सम्भावना लगभग एक जैसी ही होगी| जिसका असर इस द्वीपसमूह के लगभग सभी द्वीपों पर पड़ने का आसार है| यह सभी द्वीप जलस्तर में हो रही वृद्धि और उसके प्रभाव के प्रति संवेदनशील होंगे।

यह शोध आईआईटी खड़गपुर के शोधकर्तों द्वारा किया गया है| जिसमें आयशा जेनाथ, अथिरा कृष्णन, सैकत कुमार पॉल, प्रसाद के. भास्करन सहित अन्य वैज्ञानिक शामिल थे| जिन्हें जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम (सीसीपी) के तहत भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी का सहयोग प्राप्त था| यह शोध जर्नल रीजनल स्टडीज इन मरीन साइंस में प्रकाशित हुआ है| 

बड़े द्वीपों की तुलना में छोटे द्वीपों पर पड़ेगा ज्यादा असर

अध्ययन के अनुसार चेतलाट और अमिनी जैसे छोटे द्वीपों में बड़े पैमाने पर भूमि नुकसान होने की आशंका है| प्रोजेक्शन मैपिंग से पता चला है कि अमिनी द्वीप में मौजूदा तटरेखा का लगभग 60 से 70 फीसदी और चेतलाट में 70 से 80 फीसदी भूमि को नुकसान पहुंचने की सम्भावना है| 

यही नहीं मिनिकॉय और राजधानी कवरत्ती भी समुद्र के बढ़ते जलस्तर के प्रति संवेदनशील हैं, जहां मौजूदा तटरेखा के साथ 60 फीसदी भूमि के नुकसान की सम्भावना है| हालांकि अनुमान है कि उत्सर्जन के सभी परिदृश्यों में एंड्रोथ द्वीप पर समुद्र के बढ़ते जलस्तर का सबसे कम प्रभाव पड़ेगा|  

अनुमान है कि इस तटीय बाढ़ के कारण इस द्वीप समूह पर बड़े पैमाने पर सामाजिक आर्थिक प्रभाव पड़ सकता है| शोधकर्ताओं के अनुसार जलस्तर में हो रही वृद्धि उस द्वीप पर रहने वाले लोगों को भी प्रभावित कर सकती है क्योंकि वहां घर समुद्र की तट रेखा के काफी पास हैं| इसके अलावा इस द्वीपसमूह पर मौजूद एकमात्र एयरपोर्ट पर भी बढ़ती समुद्री बाद का असर पड़ सकता है, जिसके चलते उसे भारी नुकसान होने की सम्भावना है| गौरतलब है कि यह एयरपोर्ट अगत्ती द्वीप के दक्षिणी सिरे पर स्थित है|  

शोध के अनुसार सबसे ख़राब परिदृश्य में भी सदी के अंत तक इस द्वीपसमूह पर समुद्र का जलस्तर 0.78 मीटर तक बढ़ सकता है| हालांकि यह अनुमान आईपीसीसी द्वारा वैश्विक स्तर पर समुद्र के जलस्तर में होने वाली 0.8 से 2 मीटर वृद्धि की सम्भावना से काफी कम है, पर इसका यह मतलब नहीं है कि यह द्वीप समुद्र के बढ़ते जल स्तर से सुरक्षित है| 

ऐसे में शोधकर्ताओं के अनुसार भविष्य में समुद्र के जलस्तर में होने वाली वृद्धि और उसके प्रभावों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं और नीतियां बनाने की जरुरत है| साथ ही तटों के आसपास रहने वाले लोगों और इंफ्रास्ट्रक्चर को कैसे इससे बचाया जा सकता है इसके लिए भी बेहतर उपाय किए जाने चाहिए| यह अध्ययन नीति निर्माताओं को छोटी और दीर्घावधि के लिए योजनाएं बनाने में मददगार हो सकता है, जिसका फायदा आगे चलकर इस द्वीप पर रहने वाले सभी लोगों को मिलेगा| 

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