अल नीनो प्रभाव: दुनिया भर में समुद्री तटरेखा में क्या होगा बदलाव?

अध्ययन के आंकड़े निर्णय लेने और तटीय इलाकों में खतरों की आशंका के लिए बेहद अहम हैं, खास कर 2023 के अंत में होने वाली अगली एल नीनो जैसी प्रमुख जलवायु घटना के लिए तो ये बहुत महत्वपूर्ण है

By Dayanidhi

On: Wednesday 14 June 2023
 
फोटो साभार: विकिमीडिया कॉमन्स, निक हैरिस

दुनिया भर में समुद्र तटों के बढ़ने या घटने पर एल नीनो का नियंत्रण होता है। इस बात की पुष्टि इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च फॉर डेवलपमेंट (आईआरडी) और अर्थ ऑब्जर्वेशन लैब, फ्रेंच स्पेस एजेंसी (सीएनईएस) सहित कई शोध संगठनों द्वारा किए गए एक अध्ययन में की गई है।

समुद्र तट, जिसे शोरलाइन या समुद्री तटरेखा के रूप में भी जाना जाता है, जहां भूमि समुद्र से मिलती है, या एक रेखा के रूप में जो भूमि और समुद्र तट के बीच की सीमा है।

शोधकर्ताओं ने वैश्विक स्तर पर समुद्र तट पर जलवायु और समुद्र संबंधी घटना अल नीनो-दक्षिणी दोलन (ईएनएसओ) के प्रभाव पर प्रकाश डाला है। इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए, वैज्ञानिकों ने पहली बार, 1993 से 2019 के बीच तटरेखा और समुद्र स्तर की स्थिति के साथ-साथ वैश्विक संख्यात्मक मॉडल से हासिल किए गए उपग्रह के आंकड़ों का उपयोग किया।

इन आंकड़ों से पता चला है कि तट रेखाएं तीन मुख्य कारणों से प्रभावित होती हैं  जिनमें समुद्र तल, समुद्री की लहरें और नदियां शामिल हैं। अल नीनो का इन कारणों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इस अध्ययन के परिणामों ने जलवायु के कारण होने वाले तटीय खतरों को समझने और रोकने के लिए एक नया ढांचा तैयार किया है।

तटीय क्षेत्र नाजुक, जटिल और तेजी से बदलने वाली प्रणालियां हैं जो मानवजनित दबावों और जलवायु परिवर्तन दोनों के प्रभावों के कारण खतरे में हैं। जबकि समुद्र का स्तर सीधे तटीय गतिशीलता को प्रभावित करता है। लहरों द्वारा किए जाने वाले कटाव के साथ-साथ तूफानों के दौरान जल स्तर पर भी प्रभाव पड़ता है। दूसरी ओर, नदियां तटीय सेडीमेंट या तलछट की उपलब्धता और खारेपन में बदलाव से जल स्तर प्रभावित होता है।

इस अध्ययन को करने के लिए, शोधकर्ताओं ने उपग्रह अवलोकन (लैंडसैट) और उच्च-प्रदर्शन क्लाउड-आधारित गणनाओं का उपयोग करते हुए, लगभग तीस वर्षों की अवधि में दुनिया भर में समुद्र तटों के विकास का अवलोकन किया।

परिणाम ने तटरेखा विकास की पहला वैश्विक नजरिया प्रदान किया। यह उपग्रह के आंकड़ों तट के साथ समुद्र के स्तर के अवलोकन (सीएनईएस, एवीआईएसओ और डेटा प्लेटफॉर्म द्वारा संचालित उपग्रह अल्टीमेट्री), लहरों और नदी के प्रवाह के मॉडल द्वारा जलवायु के दबाव से जुड़ा था।

इन कारणों से जलवायु में तेजी से आने वाले बदलाव के प्रमुख तरीकों के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए एक वैश्विक वैचारिक मॉडल का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने पाया कि तटरेखा में अंतर-वार्षिक परिवर्तन बड़े पैमाने पर विभिन्न ईएनएसओ  प्रकरणों और घाटियों के बीच उनके जटिल संबंधों या टेलीकनेक्शन द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।

यह अध्ययन विशेष रूप से जलवायु संबंधी खतरों के तहत उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में अंतर-वार्षिक पैमाने पर तटरेखा के विकास के पूर्वानुमान को प्रदर्शित करता है। यह उन तटों पर तेजी से सटीक और लगातार उपग्रह के आंकड़ों का उपयोग करने के फायदों पर भी प्रकाश डालता है, जो अक्सर तटीय आंकड़ों को लेकर सही से दर्ज नहीं से किए गए होते हैं।

अध्ययन के आंकड़े निर्णय लेने और तटीय इलाकों में खतरों की आशंका के लिए बेहद अहम हैं, खास कर 2023 के अंत में होने वाली अगली एल नीनो जैसी प्रमुख जलवायु घटना के लिए तो ये बहुत महत्वपूर्ण है।

एक दशक या शताब्दी के समय के आधार पर, समुद्र के स्तर में वृद्धि और नदियों का प्रभाव लहरों पर हावी होगा, जिसके कारण दुनिया भर में अधिक विपरीत रुझानों के दिखने के आसार हैं।

नतीजतन, तटीय क्षेत्रों के प्रबंधन में तटरेखा विकास को समझना और पूर्वानुमान लगाना महत्वपूर्ण है। इसका मतलब है कि आने वाले खतरों का अनुमान लगाया जा सकता है, इसलिए इन खतरों से निपटने के प्रभावी उपायों को समय पर लागू किया जा सकता है। यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित किया गया है।

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