आईपीसीसी रिपोर्ट: 2050 तक गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु के जल स्तर में हो सकती है वृद्धि

अनुमान है कि जहां तेजी से पिघलती बर्फ सिंधु के प्रवाह में वृद्धि कर सकती है वहीं गंगा और ब्रह्मपुत्र में भारी बारिश की वजह से ऐसा होने की सम्भावना है

By Rajat Ghai

On: Tuesday 01 March 2022
 

जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) द्वारा जारी हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि 2050 और 2100 तक गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदियों के जल स्तर में वृद्धि हो सकती है। अनुमान है कि जहां तेजी से पिघलती बर्फ सिंधु के प्रवाह में वृद्धि कर सकती है वहीं गंगा और ब्रह्मपुत्र में भारी बारिश की वजह से ऐसा होने की सम्भावना है। गौरतलब है कि सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र उन प्रमुख नदियों में से हैं जो भारत सहित दक्षिण एशिया के एक बड़ी आबादी की जल सम्बन्धी जरूरतों को पूरा करती हैं।  

नदी का अपवाह या प्रवाह उस जल को संदर्भित करता है जो वर्षा, बर्फ के पिघलने, और भूजल जैसे स्रोतों से नदियों की जल प्रणाली में आता है। रिपोर्ट की मानें तो 2050 तक इन नदियों के अपवाह में 3 से 27 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। यदि सिंधु नदी को देखें तो इसके प्रवाह में 7 से 12 फीसदी की वृद्धि का अनुमान लगता गया है जबकि गंगा में 10 से 27 फीसदी और ब्रह्मपुत्र में 3 से 8 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है। इसके लिए कहीं न कहीं जलवायु में आता बदलाव ही जिम्मेवार है। 

रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन के आरसीपी 4.5 और 8.5 परिदृश्यों के अंतर्गत सदी के अंत तक सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र नदी घाटियों में जल अपवाह अपने चरम पर पहुंच जाएगा, जिसके लिए मुख्य रूप से भारी बारिश की घटनाओं में होती वृद्धि जिम्मेवार है।  

गंगा के प्रवाह में हो सकती है 33 फीसदी की वृद्धि

इतना ही नहीं रिपोर्ट में यह भी सम्भावना जताई गई है कि भविष्य में बारिश की अनिश्चितता के चलते ऊपरी सिंधु बेसिन क्षेत्र में लम्बी अवधि के दौरान जल उपलब्धता की क्या स्थिति होगी उस बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता।

सदी के अंत तक जलवायु परिवर्तन के आरसीपी 4.5 और 8.5 परिदृश्यों के तहत ब्रह्मपुत्र के अपवाह में 16 फीसदी, गंगा में 33 फीसदी और मेघना के अपवाह में 40 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान है। रिपोर्ट के मुताबिक अपवाह में परिवर्तन शुष्क मौसम की तुलना में बारिश के दौरान कहीं ज्यादा होने की सम्भावना है।    

रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि भविष्य में भारी बारिश की बढ़ती घटनाओं के चलते भीषण बाढ़ का खतरा कहीं ज्यादा बढ़ सकता है। यदि सिंधु नदी की बात करें तो जिस तरह से तापमान में वृद्धि हो रही है उसके चलते बर्फ के पिघलने की दर में तेजी आ सकती है जिससे निचले इलाकों में बाढ़ की तीव्रता और आवृति कहीं ज्यादा बढ़ जाएगी। 

अनुमान है कि गंगा-ब्रह्मपुत्र क्षेत्र में भी बाढ़ की घटनाएं कहीं ज्यादा बढ़ जाएगी। बाढ़ में होने वाला यह इजाफा गंगा बेसिन क्षेत्र में तापमान और वर्षा में आते बदलाव के प्रति उच्च संवेदनशीलता को भी दर्शाता है। भविष्य में नेपाल के मध्य हिमालयी क्षेत्र में भी प्रवाह के बढ़ने का अंदेशा जताया गया है जोकि चिंताजनक है, निचले इलाकों में जिसके गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं। 

(यह लेख ललित मौर्या ने हिंदी के लिए अनुवाद किया है)

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