जोशीमठ की तरह हिमाचल के लिंडूर गांव में भारी भू-धंसाव, मौसम में आ रहा बदलाव बड़ा कारण
गांव में भू-धंसाव से 16 घरों में दरारें आई हैं। आईआईटी मंडी के विशेषज्ञों ने जांच शुरू कर दी है।
On: Monday 20 November 2023


गौर रहे कि इस साल जुलाई माह में लाहौल-स्पीति जिले में बारिश से 72 सालों का रिकार्ड टूटा था। जिले में नौ जुलाई 2023 को 112.2 मिली मीटर बारिश हुई, जबकि सामान्य बारिश की अगर बात करें तो इस दिन केवल 3 मिमी बारिश होनी चाहिए थी। यानी कि एक दिन में 3640 प्रतिशत अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई। आम तौर पर जुलाई महीने में इस जिले में 131.5 मिमी बारिश होती है। इसका मतलब है कि नौ जुलाई को यहां महीने भर के बराबर बारिश हो चुकी है। इससे पहले लाहौल स्पीति में 1951 में लाहौल स्पीति में 24 घंटों में 73 मिमी बारिश दर्ज की गई थी।
लिंडूर गांव के हीरा लाल रास्पा ने बताया कि पिछले दो तीन सालों से गांव में भू-धंसाव की घटनाओं में तेजी आई है। इसके पीछे मुख्य कारण मौसम में आ रहा बदलाव है। उन्होंने बताया कि इस बार भारी बारिशें हुई हैं जिससे पूरे गांव में दरारें बढ़ गई हैं और इससे निपटने के लिए जल्द ही काम करने की जरूरत देखी जा रही है।
इसके अलावा गोहरमा पंचायत की प्रधान सरिता ने बताया कि लिंडूर गांव के सभी घरों में दरारें आ चुकी हैं और लोगों की खेती वाली जमीनों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि लोगों में भय बना हुआ है और हमने प्रशासन से गांव को बचाने और दरारें के कारणों की शीघ्र जांच पूरी कर आगामी कार्रवाई करने की मांग की है।
जिला उपायुक्त लाहौल-स्पीति राहुल कुमार का कहना है कि लिंडूर गांव और इसके आसपास के इलाके आ रही दरारों और भू-धंसाव के कारणों की जांच के लिए आईआईटी मंडी और एनएचपीसी के विशेषज्ञों से क्षेत्र का सर्वेक्षण करवाया जा रहा है। दोनों संस्थाओं के विशेषज्ञों ने मौके का कई बार मुआयना कर लिया और अभी उनकी फाइनल रिपोर्ट आना बाकि है। इसके अलावा गांव के साथ लगते नाले को चैनलाइज करने के लिए चरणबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है।
क्षेत्र में बढ़ रही भू-धंसाव और प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए लिंडूर, जसरथ, जोबरंग, जुंडा, ताड़ग और फूड़ा गांव के लोगों ने क्षेत्र की पारिस्थितिकी में आए बदलावों पर गहन शोध की मांग की है। लाहौल पोटेटो सोसायटी के अध्यक्ष सुदर्शन जास्पा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर क्षेत्र में दिखने लगा है और इससे निपटने के लिए अब हमें सही नीतियों का निर्माण कर काम करने की जरूरत है। पिछले कुछ सालों में क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाएं अधिक देखने को मिली हैं जो बड़ी चिंता का विषय है। हमने सरकार से पूरे क्षेत्र में गहन शोध करने की मांग की है और इसके बाद ही क्षेत्र में विकास को गति दी जाएगी।