क्यों पहले की तुलना में 6 गुना ज्यादा स्थिर होते जा रहे हैं महासागर?

महासागरों का पानी गर्म होता जा रहा है वहीं ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, इसके साथ ही बारिश के पैटर्न पर भी असर पड़ रहा है

By Lalit Maurya

On: Thursday 25 March 2021
 

यदि समुद्रों की प्रकृति को देखें तो वो स्वाभाव से गतिशील है। यह न केवल अनगिनत जीवों का घर है साथ ही हमें कई जरुरी संसाधन भी प्रदान करते हैं। यही नहीं यह धरती के तापमान को नियंत्रित करने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। यह बढ़ते तापमान और उत्सर्जन को अपने अंदर समेट लेते हैं। लेकिन हाल ही में किए एक शोध से पता चला है कि पिछले 50 वर्षों में जलवायु परिवर्तन के चलते यह स्थिर होते जा रहे हैं।

सीएनआरएस, सोरबोन विश्वविद्यालय और आई एफआरइएमइआर के शोधकर्ताओं ने अंतराष्ट्रीय सहयोग से महासागरों पर एक अध्ययन किया है जिससे पता चला है कि यह पहले लगाए गए अनुमानों की तुलना में 6 गुना ज्यादा स्थिर हो गए हैं। यह शोध अंतराष्ट्रीय जर्नल नेचर में प्रकाशित हुआ है।

जलवायु परिवर्तन के चलते महासागरों का पानी गर्म होता जा रहा है वहीं ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं, इसके साथ ही बारिश के पैटर्न पर भी असर पड़ रहा है। इसके चलते समुद्रों की ऊपरी सतह, गहराई से कटती जा रही है। यह ऐसा ही है जैसे तेल और पानी एक दूसरे से अलग हो जाते हैं। ऐसे में इन सतहों के बीच जो अंतर आ गया है उसके चलते समुद्रों की सतहों का जो मिश्रण है वो सीमित हो गया है। जिसके चलते महासागरों का जलवायु परिवर्तन के असर को सीमित करना कठिन होता जा रहा है।

यही नहीं जलवायु परिवर्तन के चलते हवाएं कहीं ज्यादा शक्तिशाली होती जा रही हैं। जिसने पिछले 50 वर्षों में समुद्र की सतह को 5 से 10 मीटर प्रति दशक की दर से गाढ़ा कर दिया है। इसके कारण सूर्य का प्रकाश जरुरी मात्रा में गहराई तक नहीं पहुंच पा रहा है, इसका असर वहां रहने वाले समुद्री जीवों पर पड़ रहा है।

यह निष्कर्ष इस बात की ओर स्पष्टता से इशारा करते हैं कि बढ़ता इंसानी हस्ताक्षेप और जलवायु परिवर्तन महासागरों पर व्यापक असर डाल रहा है। जो न केवल वहां रहने वाले जीवों और जैवविविधता को प्रभावित कर रहा है, साथ ही यह भविष्य में इनके तापमान को नियंत्रित करने की क्षमता को भी प्रभावित कर रहा है। जिसका असर ने केवल पर्यावरण पर होगा, साथ ही वो इंसानों के लिए भी नई चुनौतियां को पैदा करेगा।   

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