दुनिया में महज 50 फीसदी युवा ही समझते हैं सही मायनों में जलवायु परिवर्तन का अर्थ, शिक्षा पर देना होगा ध्यान

दुनिया के अधिकांश बच्चों और युवाओं का कहना है कि उन्होंने जलवायु परिवर्तन के बारे में सुना है, लेकिन सही मायनों में इसका क्या अर्थ है आधे युवाओं को इसकी जानकारी नहीं है

By Lalit Maurya

On: Friday 08 December 2023
 
जलवायु परिवर्तन से निपटने में नजरअंदाज नहीं की जा सकती युवाओं की भूमिका; फोटो: आईस्टॉक

आपने भी जलवायु परिवर्तन के बारे में सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह क्या है? संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) और गैलप द्वारा वैश्विक स्तर पर किए सर्वेक्षण के मुताबिक अधिकांश बच्चों और युवाओं का मत है कि उन्होंने जलवायु परिवर्तन के बारे में सुना है, लेकिन वास्तव में यह क्या है इसका सही मायनों में अर्थ केवल 50 फीसदी बच्चे ही समझते हैं। यह सर्वे दुनिया के 55 देशों में बच्चों और युवाओं पर किया गया था, जिनकी उम्र 15 से 24 वर्ष के बीच थी।

इस सर्वे के जो नतीजे सामने आए हैं उनके मुताबिक औसतन 85 फीसदी युवाओं का कहना है कि वो जलवायु परिवर्तन के बारे में जानते हैं, लेकिन उनमें से केवल आधे ही संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) द्वारा बताई जलवायु परिवर्तन की सही परिभाषा की पहचान कर पाए।

इस सवाल में युवाओं को "हर साल मौसम में होने वाले बदलाव" या "चरम मौसमी घटनाओं में होने वाली वृद्धि और इंसानी गतिविधियों के चलते वैश्विक तापमान में होती वृद्धि" में से किसी एक सही विकल्प को चुनने के लिए कहा गया था। हालांकि 15 से 24 साल के 48 फीसदी युवा इस सवाल का सही जवाब देने में विफल रहे। जो कहीं न कहीं दर्शाता है कि बच्चों और युवाओं को जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर मुद्दे के बारे में सही जानकारी नहीं है।

सर्वे के मुताबिक कमजोर के साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों में जो जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से सबसे अधिक जोखिम में हैं, वहां रहने वाले युवाओं को इस बारे में सबसे कम जानकारी है। उदाहरण के लिए पाकिस्तान में केवल 19 फीसदी, सिएरा लियोन में 26 फीसदी, जबकि बांग्लादेश में केवल 37 फीसदी युवाओं को इस बारे में सटीक जानकारी है।

बता दें कि 2021 में यूनिसेफ द्वारा जारी द चिल्ड्रेन्स क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स के मुताबिक इन तीनों ही देश में बच्चों को जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय में आती गिरावट के प्रभावों के अत्यधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है। इससे उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा को खतरा बढ़ रहा है। साथ ही इसकी वजह से वो ऐसे घातक रोगों के प्रति संवेदनशील हो रहे हैं जो उनके जीवन के लिए खतरा हैं।

जलवायु परिवर्तन से निपटने में नजरअंदाज नहीं की जा सकती युवाओं की भूमिका

कुल मिलकर देखें तो जहां कमजोर देश के केवल 47 फीसदी बच्चे जलवायु परिवर्तन के सही मायने  समझते हैं। वहीं निम्न-मध्यम आय वाले देशों में यह आंकड़ा 44 फीसदी, अपर-मिडल इनकम देशों में 52 फीसदी जबकि अमीर देशों में 82 फीसदी रिकॉर्ड किया गया। ऐसे में इस सर्वेक्षण के नतीजे कॉप28 के दौरान लिए जा रहे फैसलों में जलवायु शिक्षा सहित, बच्चों की सुरक्षा और उनपर निवेश की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं।

हालांकि अच्छी खबर यह रही कि 15 साल पहले के मुकाबले आज कहीं ज्यादा लोग जलवायु परिवर्तन को लेकर जागरूक हैं। यूनिसेफ के मुताबिक जहां 2008 में केवल 56 फीसद लोग जलवायु में आते बदलावों के बारे में जानते थे। वहीं अब यह आंकड़ा बढ़कर 80 फीसदी पर पहुंच गया है।

हालांकि इसके बावजूद अभी भी लोग जलवायु परिवर्तन के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, और समझ की यह कमी जलवायु संकट से निपटना कठिन बना रही है।

वहीं इस सवाल के जवाब में कि क्या आपको लगता है कि मानव जलवायु परिवर्तन के अधिकांश प्रभावों को कम कर सकता है? औसतन 86 फीसदी युवाओं को उम्मीद है कि अभी भी जलवायु परिवर्तन के अधिकांश विनाशकारी प्रभावों को कम करने के लिए काम किया जा सकता है। वहीं इस सवाल के जवाब में कि क्या सरकार को जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने चाहिए? 73 फीसदी युवाओं का कहना है कि उनकी सरकार को इसके लिए महत्वपूर्ण कार्रवाई करनी चाहिए।

यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए किए जा रहे प्रयासों में कई युवा अद्भुत नायक रहे हैं। चाहे सड़कों पर हो या बैठकों में वो अपनी चिंताओं खुलकर व्यक्त और जलवायु कार्रवाई का आह्वान कर रहे हैं। ऐसे में हमें भी यह सुनिश्चित करने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है कि सभी बच्चों और युवाओं को अपने भविष्य पर मंडराते  इस खतरे के बारे में जानकारी हो।"

उनके मुतबिक कॉप-28 के दौरान नेताओं को बच्चों और युवाओं को इन मुद्दों के बारे में शिक्षित करने के साथ, उन्हें चर्चा और उन निर्णयों में शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए जो आने वाले दशकों में उनके जीवन को आकार देंगें।

बता दें कि यह नतीजे 2023 गैलप वर्ल्ड पोल पर आधारित हैं, जो 2021 में शुरू किए गए यूनिसेफ के चेंजिंग चाइल्डहुड प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इस सर्वे में जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ बच्चों और युवाओं के जीवन को प्रभावित करने वाली दो महत्वपूर्ण चुनौतियों की जांच की गई है। इनमें सूचना में विश्वास और आपस में जुड़ी दुनिया में राजनीतिक बदलाव की सीमाएं जैसे मुद्दों पर युवाओं की राय जानी गई थी। उनसे पूछा गया कि आज की दुनिया में बड़ा होना कैसा है? और युवा दुनिया को अलग तरह से कैसे देखते हैं?

जब भरोसेमंद जानकारी की बात आती है, तो परिणाम बताते हैं कि सर्वे में शामिल 60 फीसदी युवाओं को सोशल मीडिया से खबरें मिलती हैं, हालांकि इसके बावजूद केवल 23 फीसदी इन खबरों पर बहुत ज्यादा भरोसा करते हैं। हैरानी की बात है कि सर्वेक्षण में शामिल सभी स्रोतों में से सोशल मीडिया सूचना का सबसे कम विश्वसनीय स्रोत है।

वहीं यदि बच्चों के लिए दुनिया में आते बदलावों की बात करें तो सर्वेक्षण में शामिल किसी भी अन्य आयु वर्ग से अधिक करीब 27 फीसदी युवा ऐसा महसूस करते हैं कि वे पूरी दुनिया से जुड़े हैं। ऐसे में उम्मीद है कि दुनिया के बारे में बड़ा दृष्टिकोण रखने वाले युवा जलवायु संकट जैसी अन्य वैश्विक समस्याओं से निपटने के लिए सीमाओं के परे भी मिलकर काम करने की आशा पैदा कर सकते हैं।

इस बारे में गैलप के एक वरिष्ठ पार्टनर जो डेली का कहना है कि, "अध्ययन इस बात की महत्वपूर्ण जानकारी देता है कि बच्चे और युवा हमारी दुनिया के सामने मौजूद और भविष्य में प्रभावित करने वाली इन तीन बड़ी चुनौतियों को कैसे देखते हैं।" उनके मुताबिक युवाओं के विचार वास्तव में महत्वपूर्ण है। यह आज के नेताओं को यह समझने में मदद करते हैं कि आने वाली नस्लों को क्या चाहिए और तेजी से बदलाव और अनिश्चितता के समय में क्या सोचना चाहिए।

गौरतलब है कि जुलाई 2022 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने स्वच्छ, स्वस्थ और शाश्वत पर्यावरण को मानव अधिकार के रूप में मान्यता दे दी थी। इसके बाद अगस्त में बाल अधिकारों पर बनाई संयुक्त राष्ट्र समिति ने भी बच्चों के लिए स्वच्छ, स्वस्थ और शाश्वत पर्यावरण के अधिकार की पुष्टि कर दी थी। इनके तहत विशेष तौर पर  जलवायु आपातकाल, जैव विविधता में आती गिरावट और प्रदूषण को संबोधित किया गया था। साथ ही इसमें बच्चों के जीवन और भविष्य की संभावनाओं की सुरक्षा के लिए भी कार्यों की रूपरेखा तैयार की गई थी।

बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा पर दिया जाए ध्यान, यूनिसेफ ने कॉप-28 में किया आह्वान

भले ही 196 देशों ने बाल अधिकारों पर अपनी सहमति जताई है, इसके बावजूद बच्चे जलवायु में आते बदलावों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं। इतना ही नहीं जलवायु संकट के बारे में लिए जाने वाले निर्णयों में अक्सर उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है।

ऐसे में जलवायु परिवर्तन पर चर्चा के लिए दुबई में चल रहे कॉप 28 शिखर सम्मेलन में, यूनिसेफ ने वैश्विक नेताओं से जलवायु शिक्षा सहित बच्चों की सुरक्षा और उनपर निवेश सुनिश्चित करने का आह्वान किया है।

कॉप-28 में यूनिसेफ ने बच्चों से जुड़े जिन मुद्दों पर ध्यान देने की बात कही है, उनमें:

  • कॉप-28 के दौरान लिए निर्णयों में बच्चों को प्राथमिकता देना और जलवायु परिवर्तन एवं उनके मुद्दे पर विशेषज्ञों की एक चर्चा आयोजित करना।
  • इसके साथ ही ग्लोबल स्टॉकटेक (जीएसटी) में बच्चों और पीढ़ियों के प्रति निष्पक्षता के मुद्दे को शामिल करना।
  • अनुकूलन के वैश्विक लक्ष्य (जीजीए) पर अंतिम निर्णय में बच्चों और जलवायु खतरों का सामना करने योग्य आवश्यक सेवाओं को भी शामिल करना।
  • यह सुनिश्चित करना कि हानि और क्षति के फण्ड में बच्चों पर भी ध्यान दिया जाए। साथ ही बच्चों के अधिकार इस बात का हिस्सा होने चाहिए कि फंड का प्रबंधन कैसे किया जाता है और उनमें क्या निर्णय लिए जाते हैं।
  • यह सुनिश्चित करना कि हानि और क्षति के लिए बनाए कोष में बच्चों पर भी ध्यान दिया जाए। साथ ही बाल अधिकार इस बात का हिस्सा होने चाहिए कि फंड का प्रबंधन कैसे किया जाता है और उनमें क्या निर्णय लिए जाते हैं।

यूनिसेफ ने कॉप-28 में शामिल सभी पक्षों से सम्मेलन के बाद भी बच्चों के जीवन, स्वास्थ्य और कल्याण की रक्षा के लिए कार्रवाई का आह्वान किया है। इसमें आवश्यक सामाजिक सेवाओं को सुदृढ़ करना शामिल है ताकि वो आने वाले बदलावों का सामना कर सकें। साथ ही हर बच्चे को पर्यावरण की परवाह करने वाला व्यक्ति बनने में मदद करने की बात भी यूनिसेफ ने कही है।

यूनिसेफ ने दुनिया को बेहतर बनाने और जलवायु परिवर्तन को लेकर हुए समझौतों को हासिल करने पर भी जोर दिया है। इसमें बढ़ते उत्सर्जन को तेजी से कम करना भी शामिल है।

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