दो दशकों में 134 फीसदी बढ़ी प्राइवेट जेटों की संख्या, जानिए पर्यावरण और जलवायु के दृष्टिकोण से है कितनी खतरनाक

महामारी की शुरुआत के बाद से गणना करें तो निजी जेटों के उपयोग में करीब 20 फीसदी और इनसे होने वाले उत्सर्जन में 23 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है

By Lalit Maurya

On: Thursday 04 May 2023
 
निजी जहाज, वाणिज्यिक विमानों की तुलना में प्रति यात्री कम से कम 10 गुणा ज्यादा प्रदूषण उत्सर्जित करते हैं; फोटो: आईस्टॉक

भले ही दुनिया भर में अमीर तबके के लिए प्राइवेट जेट शानों-शौकत और ऐश्वर्य का प्रतीक समझे जाते हैं। लेकिन साथ ही यह निजी विमान पर्यावरण और जलवायु के दृष्टिकोण से कहीं ज्यादा खतरनाक हैं। हालांकि इसके बावजूद इनकी संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इस बारे में एक नई रिपोर्ट के हवाले से पता चला है कि पिछले दो दशकों में प्राइवेट जेटों की संख्या बढ़कर दोगुणी से ज्यादा हो गई है। साथ ही इनसे होने वाला उत्सर्जन भी बढ़ रहा है।

आंकड़ों के मुताबिक जहां 2000 में 9,895 प्राइवेट जेट थे, जिनकी संख्या 2022 में 134 फीसदी की वृद्धि के साथ बढ़कर 23,133 पर पहुंच गई है। वहीं यदि 2022 से जुड़े आंकड़ों को देखें तो अकेले इसी वर्ष में 53 लाख से ज्यादा निजी उड़ाने भरी गई। जो जलवायु परिवर्तन के दृष्टिकोण से खतरनाक है। यह जानकारी इंस्टिट्यूट फॉर पालिसी स्टडीज द्वारा जारी नई रिपोर्ट “हाई फ्लायर्स 2023” में सामने आई है।

यह प्राइवेट जेट पर्यावरण पर कितना दबाव डाल रहे हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यह निजी जहाज, वाणिज्यिक विमानों की तुलना में प्रति यात्री कम से कम 10 गुणा ज्यादा प्रदूषण उत्सर्जित करते हैं।

देखा जाए तो दुनिया के करीब एक फीसदी लोग विमानों से होने वाले उत्सर्जन के करीब आधे हिस्से के लिए जिम्मेवार हैं। वहीं महामारी की शुरुआत के बाद से गणना करें तो निजी जेटों का उपयोग में करीब 20 फीसदी और इन निजी जहाजों से होने वाले उत्सर्जन में 23 फीसदी से ज्यादा की वृद्धि रिकॉर्ड की गई है। जो स्पष्ट तौर पर दर्शाता है कि कोरोना के बाद से इन निजी जहाजों से होने वाले उत्सर्जन में भारी वृद्धि हुई है। 

वहीं रिपोर्ट के कहना है कि इस साल निजी जेटों की बिक्री अब तक उच्चतम स्तर पर पहुंच सकती है। रिपोर्ट में दुनिया के कुछ साधन संपन्न लोगों का जिक्र किया गया है जो इन प्राइवेट जेटों का उपयोग कर रहे हैं। इस मामले में यदि टेस्ला के सीईओ एलन मस्क को देखें जिन्होंने 2022 में करीब-करीब हर दूसरे दिन निजी जेट की मदद से उड़ान भरी थी।

इनके द्वारा की गई इन 171 उड़ानों में कुल  837,934 लीटर जेट फ्यूल खर्च हुआ था, जोकि 2,112 टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के लिए जिम्मेवार था। देखा जाए तो यह एक औसत अमेरिकी के कुल कार्बन फुटप्रिंट से भी 132 गुणा ज्यादा है।

गौरतलब है कि एक औसत अमेरिकी का वार्षिक कार्बन फुटप्रिंट करीब 16 टन है। मतलब कि एक साल के दौरान एक औसत अमेरिकी अमेरिकी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 16 टन ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करता है। वहीं यदि एक औसत भारतीय की बात करें तो यह आंकड़ा करीब 1.9 टन ही है। हालांकि इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि भारत में भी कई नामी-गिरामी हस्तियों के पास अपने खुद के प्राइवेट जेट हैं।

क्या सबकी नहीं है पर्यावरण को बचाने की जिम्मेवारी

इतना ही नहीं यह भी बता चला है कि निजी जेट की बिक्री में भी तेजी से इजाफा हो रहा है। जहां 2021 में इससे जुड़ा बाजार करीब 2.64 लाख करोड़ रुपए (3,230 करोड़ डॉलर) का था, जो 2022 में बढ़कर 2.78 लाख करोड़ रुपए (3,410 करोड़ डॉलर) पर पहुंच गया था। इसी तरह अनुमान है कि यह वृद्धि 2023 में भी जारी रह सकती है।

यह सही है कि हवाई जहाजों ने दुनिया को बहुत छोटा कर दिया है। लेकिन साथ ही यह सुहाना सफर जलवायु के दृष्टिकोण से काफी महंगा है। हाल ही में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि वैश्विक उड्डयन उद्योग हर साल औसतन करीब 100 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) उत्सर्जित कर रहा है, जो जलवायु के दृष्टिकोण से एक बड़ा खतरा है। इतना ही नहीं इस उत्सर्जन में पिछले दो दशकों से हर साल 2.5 फीसदी की दर से वृद्धि हो रही है। देखा जाए तो इंसानों ने जलवायु में आते बदलावों में जितना योगदान दिया है उसके 3.5 फीसदी के लिए वैश्विक उड्डयन जिम्मेवार है।

रिपोर्ट में अमेरिका का जिक्र करते हुए जो उदाहरण दिया है वो मुद्दा काफी गंभीर है। अमेरिका में हजारो म्युनिसिपल एयरपोर्ट्स को आम जनता के पैसे से फण्ड दिया जाता है, लेकिन यह हवाई अड्डे निजी और कॉर्पोरेट जेटों की सेवा में लगे हुए हैं।

ऐसे में क्या इन प्राइवेट विमानों से अलग से टैक्स नहीं लगाए जाने चाहिए। ऊपर से कुछ गिने चुने लोगों द्वारा किया जा रहे प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन में योगदान के लिए उनकी जवाबदेही तय नहीं की जानी चाहिए। ऐसे में जब पूरे विमानन उद्योग को पर्यावरण अनुकूल और कार्बन न्यूट्रल बनाने पर बल दिया जा रहा है, तो क्या इन प्राइवेट विमानों को इसके दायरे में लाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि देखा जाए तो कुछ गिने चुने लोगों की करनी का फल सारे समाज को भुगतना पड़ रहा है।   

क्या जलवायु परिवर्तन के असर को सीमित करने और पर्यावरण को बचाने की जिम्मेवारी उस वर्ग की नहीं है जो इसके हो रहे विनाश के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेवार है। यह ऐसा वक्त है जब हम सभी को साथ आना होगा, क्योंकि यह धरती सबकी साझा विरासत है, जिसे सबको मिलकर बचाना होगा। हमें समझना होगा कि सिर्फ टैक्स के नाम पर चंद रुपए भर देने से ही हमारी जिम्मेवारी खत्म नहीं हो जाती।  

Subscribe to our daily hindi newsletter