पांच साल में भी डूबते निचले द्वीपों के प्रबंधन की योजनाएं नहीं बना पाए राज्य, एनजीटी ने मांगा जवाब

2019 में जारी की गई अधिसूचना के तहत अभी तक उड़ीसा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और ग्रेट निकोबार आईलैंड और लिटिल अंडमान आईलैंड की योजनाएं मंजूर की जा चुकी हैं। 

By Vivek Mishra

On: Tuesday 09 January 2024
 

 

समुद्र की बढ़ती सतह के चलते निचले द्वीपों (लो लाइंग आई लैंड) के डूबने का खतरा बढ़ता जा रहा है। वहीं, 2019 में केंद्र की अधिसूचना की बावजूद संबंधित तटीय राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की ओर से निचले द्वीपों को बचाने संबंधी योजनाएं अभी तक लंबित हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने ऐसी ही एक याचिका पर गौर करने के बाद भारत में तटीय राज्यों और संघ शासित प्रदेशों से अपना जवाब दाखिल करने को कहा है। 

एनजीटी में जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ ने 8 जनवरी, 2023 को यह आदेश दिया।

इससे पहले ट्रिब्यूनल ने पिछली सुनवाई में गौर किया था कि ऐसे द्वीप जिन पर खतरा है उन्हें बचाने के लिए 18 जनवरी, 2019 को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय (एमएफओसीसी) ने संबंधित राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को  इंटीग्रेटेड आईलैंड मैनेजमेंट अथॉरिटी प्लान्स (आईआईएमपी) तैयार करने को कहा है। इसके अलावा ट्रिब्यूनल ने भी स्टेट कोस्टल जोन मैनेजमेंट अथॉरिटी और संघ शासित राज्य कोस्टल जोन मैनेजमेंट अथॉरिटी को भी बनाने का आदेश दिया था। पीठ ने इस आधार पर राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। इस मामले में 16 पार्टियों को जोड़ा गया है।

इसमें से पर्यावरण मंत्रालय के सचिव की ओर से जवाब दाखिल कर कहा गया है कि 2019 में जारी की गई अधिसूचना के तहत अभी तक उड़ीसा, कर्नाटक, महाराष्ट्र और ग्रेट निकोबार आईलैंड और लिटिल अंडमान आईलैंड की योजनाएं मंजूर की जा चुकी हैं। हालांकि, अन्य राज्यों की योजनाएं अब तक लंबित हैं।

वहीं, 01 अगस्त, 2023 को नेशनल कोस्टल जोनल मैनेजमेंट अथॉरिटी (एनसीजेडएमए) की 46वें बैठक में सभी तटीय राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को कहा गया था कि जिनकी आईलैंड प्रबंधन संबंधी योजनाएं 2019 की अधिसूचना के तहत पूरी नहीं है वे इसे 31 अक्तूबर, 2023 तक पूरा कर लें। 

पर्यावरण मंत्रालय के सचिव ने कहा कि 30 सितंबर, 2022 को केंद्र के तहत एक अधिसूचना जारी की गई थी जिसके तहत केंद्र ने पर्यावरण संरक्षण कानून, 1986 की धारा 23 के तहत स्टेट कोस्टल जोन मैनेजमेंट अथॉरिटी और संघ शासित राज्य कोस्टल जोन मैनेजमेंट अथॉरिटी को भी अपने न्यायाधिकार क्षेत्र में आदेश जारी करने के लिए कहा था।  

एनजीटी ने केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को कहा है कि वह सभी संबंधित राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की योजनाओं को जल्द से जल्द समयबद्ध तरीके से तैयार करने की तरफ कदम बढ़ाए। 

मामले की अगली सुनवाई 6 मार्च को होगी।

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