जलवायु परिवर्तन और आक्रामक प्रजातियों के चलते ट्राउट मछली में आई भारी गिरावट

देशी बुल ट्राउट और वेस्टस्लोप कट्थ्रोट ट्राउट मछली की प्रजाति में 1993 से 2018 के बीच क्रमश 18 और 6 फीसदी की गिरावट आई और 2080 तक इनकी संख्या में अतिरिक्त 39 और 16 फीसदी की कमी का अनुमान है।

By Dayanidhi

On: Wednesday 05 January 2022
 
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स, ब्राउन ट्राउट मछली

जलवायु परिवर्तन और आक्रामक प्रजातियां देशी जैव विविधता के लिए सबसे बड़े खतरे के रूप में उभर रहे हैं। लेकिन अब तक कुछ ही अध्ययनों ने इन दोनों के प्रभावों के बारे में पता लगाया है।

अब एक नए अध्ययन में पाया गया कि जलवायु परिवर्तन के चलते धाराओं में रहने वाली देशी ट्राउट मछलियों के निवास लगातार कम हो रहे हैं। वहीं दूसरी ओर आक्रामक ट्राउट प्रजातियों के बढ़ने से देशी ट्राउट मछलियों में गिरावट देखी जा रही है। यह अध्ययन मोंटाना विश्वविद्यालय (यूएम) के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।

यूएम के वन्य जीव विज्ञान कार्यक्रम में डॉक्टरेटर और प्रमुख अध्ययनकर्ता डोनोवन बेल ने कहा इस अध्ययन में तीन मुख्य प्रश्न थे, पहला कि पिछले 30 वर्षों में देशी और आक्रामक ट्राउट की संख्या कैसे बदली, वे भविष्य में कैसे बदलेंगे और वे कौन से कारक हैं जो उन बदलाओं के पीछे हैं?

इन सवालों का हल ढूढ़ने के लिए, मोंटाना विश्वविद्यालय (यूएम), यूएस जियोलॉजिकल सर्वे और मोंटाना फिश, वाइल्डलाइफ एंड पार्क के वैज्ञानिकों ने पांच ट्राउट प्रजातियों के वितरण पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की मात्रा निर्धारित की।

ट्राउट की इन प्रजातियों में देशी वेस्टस्लोप कट्थ्रोट ट्राउट और बुल ट्राउट और इनवेसिव ब्रुक ट्राउट, ब्राउन ट्राउट और रेनबो ट्राउट शामिल है। उन्होंने पिछले 30 वर्षों में मोंटाना की धाराओं और नदियों में इलेक्ट्रोफिशिंग सर्वेक्षणों से करीब 22,000 आंकड़ों का विश्लेषण करते हुए, मोंटाना एफडब्ल्यूपी द्वारा एकत्र और रखरखाव किए गए एक विस्तृत डेटासेट का उपयोग किया।

शोधकर्ताओं ने पाया कि देशी बुल ट्राउट और वेस्टस्लोप कट्थ्रोट ट्राउट को धाराओं में रहने वाले के रूप में परिभाषित किया गया है। जहां एक प्रजाति में 1993 से 2018 के बीच क्रमश 18 फीसदी और 6 फीसदी की गिरावट आई है और 2080 तक इनकी संख्या में अतिरिक्त 39 फीसदी और 16 फीसदी की कमी आने का पूवार्नुमान लगाया गया है।

हालांकि आक्रामक ब्रुक ट्राउट में भी गिरावट आने का अनुमान था। आक्रामक ब्राउन ट्राउट और रेनबो ट्राउट ने बढ़ते पानी के तापमान के कारण अपनी सीमा बढ़ा ली है और भविष्य में होने वाले जलवायु परिवर्तन के दौरान इनके और समृद्ध होने का अनुमान है।  

शोधकर्ताओं ने पाया कि ट्राउट मछली की दोनों देशी प्रजातियों की गिरावट के लिए जलवायु परिवर्तन जिम्मेवार है, लेकिन यह गिरावट अलग-अलग प्रजातियों में अलग-अलग होती हैं।

लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम के तहत संकटग्रस्त प्रजाति बुल ट्राउट को पर्याप्त प्रवाह के साथ ठंडी धाराओं की आवश्यकता होती है। लेकिन गर्म पानी के तापमान और कम गर्म पानी के स्तर - दोनों ही जलवायु परिवर्तन से प्रेरित हैं।  इन सब ने धाराओं के निवास स्थान को खराब कर दिया है और हो सकता है इससे बुल ट्राउट की संख्या में गिरावट हुई हो। इस बीच, वेस्टस्लोप कट्थ्रोट ट्राउट आक्रामक ट्राउट प्रजातियों की उपस्थिति काफी सीमित थी, जिसमें ब्रुक ट्राउट भी शामिल है जो देशी ट्राउट को मात दे सकती है। आक्रामक रेनबो ट्राउट से खतरा चिंताजनक है क्योंकि गर्म होती जलवायु के कारण उनकी सीमा बढ़ रही है।

बेल ने कहा मोंटाना में जब तक उचित संरक्षण कार्रवाई नहीं की जाती है तब तक भविष्य में दो देशी ट्राउट प्रजातियां घटेंगी। हमारे नतीजे बताते हैं कि देशी मछली के संरक्षण के लिए विशिष्ट प्रजातियों और विशिष्ट जलवायु परिवर्तन के खतरों के लिए संरक्षण रणनीतियों को तैयार करना महत्वपूर्ण है।

उदाहरण के लिए नदियों में बुल ट्राउट के संरक्षण का उद्देश्य ठंडे पानी के महत्वपूर्ण आवास की रक्षा करना और उन्हें पुनर्स्थापित करना बेहतर हो सकता है। दूसरी ओर, वेस्टस्लोप कट्थ्रोट ट्राउट के संरक्षण के लिए आक्रामक ट्राउट प्रजातियों के प्रभाव को रोकना जरूरी है।

यूएसजीएस वैज्ञानिक और सह-अध्ययनकर्ता क्लिंट मुहालफेल्ड ने कहा कि विश्व स्तर पर, जलीय आवासों में जलवायु के चलते होने वाले बदलावों से कम से कम एक-तिहाई ताजे या मीठे पानी की मछलियों को खतरा होने का पूर्वानुमान है और कुछ आक्रामक प्रजातियां ऐसे परिवर्तनों का लाभ उठा सकती हैं। ये परिदृश्य देशी और आक्रामक ट्राउट के साथ खेल रहे हैं।

अध्ययन में बड़े क्षेत्रों को कवर करने वाले लंबे समय के डेटासेट के उपयोग और रखरखाव के महत्व पर भी प्रकाश डाला गया है, ताकि जटिल तरीकों पर प्रकाश डाला जा सके। जलवायु और आक्रामक प्रजातियां देशी प्रजातियों को प्रभावित करने के लिए साथ में काम करती हैं।

यूएम एसोसिएट प्रोफेसर एंड्रयू व्हाइटली ने कहा कि मोंटाना ने पहले ही ठंडे पानी में रहने वाली देशी मछली की प्रजातियों की आबादी को खो दिया है। प्रजातियों के नुकसान की यह आशंका इस सदी में बढ़ते जलवायु परिवर्तन के रूप में जारी रहेगी। यह अध्ययन साइंस एडवांस में प्रकाशित हुआ है।

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