चरम मौसम की घटनाओं से निपटने के लिए केवल शहरी हरियाली पर्याप्त नहीं

वैज्ञानिकों ने बताया है कि केवल शहरी हरियाली ही जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली चरम मौसम की घटनाओं से निपटने के लिए काफी नहीं है

By Dayanidhi

On: Thursday 27 January 2022
 

भविष्य में शहरों में सबसे अधिक जनसंख्या वृद्धि होने वाली है, दुनिया भर की 7.6 अरब आबादी में से पहले ही 55 फीसदी से अधिक लोग यहां रह रहे हैं। शहरी हरियाली गर्मी से संबंधित मृत्यु दर और चरम मौसम की घटनाओं को कम करने में मदद करती है। दुनिया भर में 4 अरब से अधिक शहरी आबादी के बाढ़ का सामना करने के आसार हैं, जिसे शहरी हरियाली कम करने में भी मदद कर सकती है।

अब शोधकर्ताओं की एक टीम ने चेतावनी देते हुए कहा कि दुनिया भर के अधिकांश शहर, भविष्य में लू और बाढ़ जैसी घटनाओं को कम करने में सक्षम नहीं होंगे। चाहे शहरों में बने भवनों की  छतों, दीवारों को पर्यावरण के अनुकूल ही क्यों न बना लें। शहरों के अधिकतर जगहों पर वनस्पति और पार्क जैसी रणनीतियां ही क्यों न अपनाई जाए। यह अध्ययन कार्डिफ विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किया गया है।

अपने निष्कर्षों के आधार पर टीम ने बताया कि शहरी हरियाली के माध्यम से ठंडक बढ़ाने या बाढ़ घटाने की क्षमता शहर की मौजूदा जलवायु की गंभीरता पर निर्भर करती है। जबकि शुष्क वातावरण में बाढ़ संरक्षण के अधिक सफल होने की संभावना है, जबकि अधिक नमी या आर्द्र वाली जलवायु में ठंडक के असर पड़ने की संभावना अधिक होती है।

शहरी क्षेत्रों में प्रत्येक जगह की अलग-अलग जलवायु होती है, जो अलग-अलग तरह के खतरे पैदा करती है। इससे भी कहीं अधिक जलवायु परिवर्तन से भविष्य में चरम मौसम की घटनाओं की गंभीरता बढ़ जाती है।

हमारे शहरों में हीटवेव या लू को शहरी ताप द्वीप प्रभाव या अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट (यूएचआई) के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। यह कंक्रीट और स्टील के अधिक उपयोग के कारण होता है जो गर्मी को अवशोषित कर इसे बनाए रखता है। यहां तक कि पौधों से वाष्पित होने वाले पानी से भी ठंडक की कमी होती है। बाढ़ का शहरी धारा के लक्षण या अर्बन स्ट्रीम सिंड्रोम (यूएसएस) का हिस्सा है, जिससे शहर की संरचनाएं और प्रणालियां पर्यावरण में वर्षा जल के प्राकृतिक प्रवाह को गलत तरीके से प्रभावित करती हैं।

इन समस्याओं से निपटने के लिए, एक रणनीति के तहत हमारे शहरों में छतों और दीवारों को पर्यावरण के अनुकूल बनाना। शहरी इलाकों, पार्कों में हरियाली को बढ़ाना महत्वपूर्ण है।

ये उपाय न केवल हमारे शहरों में यूएचआई और यूएसएस प्रभावों को कम कर सकते हैं, वे स्थानीय वन्यजीवों की भी मदद कर सकते हैं, प्रदूषण को कम कर सकते हैं और स्थानीय आबादी की भलाई में अहम योगदान देकर सुधार कर सकते हैं।

अध्ययन में टीम ने 2000 से 2015 तक, दुनिया भर के 175 शहरों के 15 वर्षों के हर रोज के अवलोकन में वैश्विक जलवायु मॉडल और मौसम की जानकारी का उपयोग किया।

इन आंकड़ों का उपयोग मिट्टी के विज्ञान से लिए गए सिद्धांतों के साथ जोड़ कर किया गया था। ताकि मिट्टी में पानी की घुसपैठ की गणना की जा सके, जो वर्षा जल के बहने को कम करने के लिए स्पंज की तरह काम करता है। पौधों से पानी का वाष्पीकरण, जो जरुरी ठंडक के प्रभाव को बढ़ा सकता है।

प्रमुख अध्ययनकर्ता डॉ मार्क कथबर्ट ने कहा कि हमारे शोध में पाया गया कि स्थानीय बाढ़ और अतिरिक्त गर्मी को कम करने के लिए शहरी हरियाली की क्षमता अपने आप में काफी नहीं है। डॉ मार्क कथबर्ट कार्डिफ यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ अर्थ एंड एनवायर्नमेंटल साइंसेज के शोधकर्ता हैं। 

स्थानीय और क्षेत्रीय जलवायु की परिस्थितियां शहरी मिट्टी की क्षमता और पौधों की वृद्धि पर असर डालती है। जो बाढ़ और अत्यधिक गर्मी से बचाने की इनकी क्षमता को प्रभावित करती हैं। उन्होंने कहा वास्तव में, हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि दुनिया भर के अधिकांश शहरों में, शहरी हरियाली एक ही समय में ठंडक और बाढ़ को कम नहीं कर पाएंगे।

टीम ने यह भी पाया कि जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा पैटर्न में हो रहे बदलाव पेड़-पौधों के प्रदर्शन को कम कर सकते हैं। टीम ने बताया है कि केवल शहरी हरियाली ही जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली चरम मौसम की घटनाओं से निपटने के लिए काफी नहीं है।

उन्होंने कहा कि शहरी योजनाकारों को इन चीजों पर विचार करना चाहिए ताकि प्रत्येक शहर के लिए सबसे अच्छा समाधान खोजा जा सके। जिसमें प्रदर्शन, लागत और व्यवहार्यता के बीच संतुलन बनाया जा सके।

डॉ कथबर्ट ने अपने निष्कर्ष में कहा कि बदलती जलवायु को रोकने के लिए शहरी हरियाली रामबाण उपाय नहीं हो सकता है। हमारे परिणाम दिखाते हैं कि भविष्य के शहरों को किस तरह डिजाइन किया जाए ताकि जलवायु परिवर्तन के असर को कम किया जा सकें। यह अध्ययन ‘नेचर कम्युनिकेशंस’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

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