सदी के अंत तक मैंग्रोव के जंगलों के विनाश से कार्बन उत्सर्जन 50 हजार फीसदी तक बढ़ने के आसार

पिछले 20 वर्षों में खेती व शहरीकरण के लिए मैंग्रोव के जंगलों को काटने से कार्बन भंडार में 15.84 करोड़ टन की कमी आई है

By Dayanidhi

On: Monday 26 February 2024
 
विकिमीडिया कॉमन्स

एक नए अध्ययन में कहा गया है कि दुनिया के मैंग्रोव वनों में जमा कार्बन के निकलने के कारण कार्बन उत्सर्जन की वार्षिक दर सदी के अंत तक 50,000 फीसदी तक बढ़ने का अनुमान है। इसमें दक्षिण भारत, दक्षिण-पूर्वी चीन, सिंगापुर और पूर्वी ऑस्ट्रेलिया जैसे क्षेत्रों में मैंग्रोव के विशेष रूप से प्रभावित होने की बात कही गई है।

मैंग्रोव के जंगल बड़ी मात्रा में कार्बन जमा करते हैं, खासकर उनकी मिट्टी में ऐसा होता है। हालांकि इन क्षेत्रों के कार्बन भंडार में गिरावट आई है। अध्ययन में कहा गया है कि पिछले 20 वर्षों में बड़ी संख्या में मैंग्रोव के जंगल वाले इलाकों को कृषि, जलीय कृषि और शहरी भूमि में बदल दिया गया गया है, जिससे दुनिया भर में मैंग्रोव कार्बन भंडार में 15.84 करोड़ टन की गिरावट आई है, जिससे बहुत बड़ी मात्रा में कार्बन उत्सर्जन हो रहा है।

एनवायर्नमेंटल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित इस अध्ययन की अगुवाई मोंटक्लेयर स्टेट यूनिवर्सिटी में जीव विज्ञान के प्रोफेसर जेनिफर क्रुमिन्स ने की है। टीम ने वैश्विक कार्बन बजट में उनकी भूमिका निर्धारित करने के लिए शहरी मैंग्रोव जंगलों में लोगों की जनसंख्या घनत्व और मिट्टी के कार्बन स्टॉक के बीच संबंधों पर शोध किया।

परिणाम बताते हैं कि जब जनसंख्या घनत्व 300 व्यक्ति या वर्ग किलोमीटर तक पहुंच जाता है, तो आबादी वाले क्षेत्रों के पास मैंग्रोव मिट्टी में जमा कार्बन अलग-अलग मैंग्रोव वनों की तुलना में 37 फीसदी कम होने का अनुमान है। साथ ही, मैंग्रोव के नुकसान से कार्बन उत्सर्जन की वार्षिक दर वर्तमान में 7.0 टेराग्राम होने का अनुमान है, जो सदी के अंत में वर्तमान पूर्वानुमानों के अनुसार जनसंख्या घनत्व में 3,392 टेराग्राम तक बढ़ रही है।

मैंग्रोव के जंगल भूमि की सतह का लगभग 0.1 फीसदी हिस्से को कवर करते हैं, लेकिन वन्यजीवों को आवास प्रदान करने और वैश्विक जलवायु स्थिरता को  नियमित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये मैंग्रोव, विशेष रूप से अपनी मिट्टी में, बड़ी मात्रा में कार्बन जमा करते हैं और वैश्विक स्तर पर कार्बन चक्र को नियमित करने के लिए आवश्यक हैं। मैंग्रोव मिट्टी में आम तौर पर बोरियल, समशीतोष्ण या उष्णकटिबंधीय जंगलों में पाए जाने वाले कार्बन का द्रव्यमान तीन से चार गुना होता है।

प्रोफेसर क्रुमिन्स कहते हैं, यह काम मौजूदा मैंग्रोव की रक्षा के महत्व को उजागर करता है, खासकर भारी जनसंख्या घनत्व वाले क्षेत्रों में। मैंग्रोव वन कार्बन को अलग करने के लिए महत्वपूर्ण हैं और यह भी अहम है कि हम उनकी रक्षा करें। पहला कदम यह समझना है मैंग्रोव वन कार्बन स्टॉक पर मानव आबादी और गतिविधियों का किस तरह प्रभाव पड़ रहा है।

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