दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण कार्बन भंडारण प्रणाली पर असर डाल रहा है जलवायु परिवर्तन: अध्ययन

जंगलों में पड़ी हुई लकड़ी के सड़ने से ऊपर के कार्बन चक्र बदल जाएंगे, जिसका प्रभाव मैंग्रोव कार्बन भंडारण पर पड़ सकता है।

By Dayanidhi

On: Tuesday 28 June 2022
 

मैंग्रोव वन हमारी धरती के स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पेड़ और झाड़ियां पर्याप्त मात्रा में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को अवशोषित करते हैं। मैंग्रोव समुद्र के नजदीक रहने वाले समुदायों को बढ़ते समुद्र के स्तर से बचाने में मदद करते हैं।

ये तटीय इलाकों में उगने वाले वन दुनिया में दूसरे सबसे अधिक कार्बन समृद्ध पारिस्थितिकी तंत्र हैं। जो एक हेक्टेयर में 1,000 टन से अधिक कार्बन जमा करने में सक्षम हैं, जो कि एक फुटबॉल के मैदान के आकार के बराबर है। वे हवा से रासायनिक तत्व को अवशोषित कर पत्तियों, शाखाओं और जड़ों में जमा करके ऐसा करते हैं।

लेकिन इन महत्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों के नुकसान को रोकने के लिए पर्यावरणीय प्रयासों के बावजूद, वे अभी भी खतरे में हैं।

पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय द्वारा और अनुसंधान संगठन ऑपरेशन वालेसिया द्वारा किए गए एक नए अध्ययन से पता चला है कि बड़े लकड़ी के मलबे में वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ 2) से संग्रहीत कार्बन को जीवों द्वारा कैसे संसाधित किया जाता है। निष्कर्ष बताते हैं कि जलवायु परिवर्तन इस 'ब्लू कार्बन' प्रणाली को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।

पोर्ट्समाउथ विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने इंडोनेशिया के वाकाटोबी नेशनल पार्क में चार मैंग्रोव जंगलों में लकड़ी का बड़ा मलबा (एलडब्ल्यूडी) का विश्लेषण किया, जिसमें अलग-अलग इंटरटाइडल ज़ोन हैं। प्रत्येक सर्वेक्षण क्षेत्र में 8 खंड थे - इनमें से हर एक कार्बन प्रसंस्करण के अपने तरीके का खुलासा करते हैं ।

पारिस्थितिकी तंत्र की ऊपरी स्तर की पहुंच वाली भूमि के करीब, जो कि आमतौर पर उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में पाए जाने वाले जीव इन पड़ी हुई लकड़ी को नष्ट कर देते हैं। इन जीवों में कवक, बीटल लार्वा और दीमक शामिल हैं। आगे समुद्र की ओर, लकड़ी के बड़े मलबे को कैल्शियम कार्बोनेट के गोले के साथ कृमि जैसे क्लैम द्वारा और अधिक तेजी से नष्ट किया जा रहा है, जिसे शिपवॉर्म के रूप में जाना जाता है।

जलवायु परिवर्तन मैंग्रोव वन में स्थिर कार्बन क्षरण की नाजुक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। सबसे पहले तो समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, क्योंकि कार्बन चक्र ज्वार की ऊंचाई से चलता है। दूसरा वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़ने के कारण समुद्र की अम्लता में वृद्धि हो रही है, जो निचले  स्तर पर लकड़ी को नष्ट करने वाले समुद्री जीवों को मार सकता है।

प्रमुख अध्ययनकर्ता और यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज के डॉ. इयान हेंडी ने कहा कि ये आंकड़े लकड़ी को बायोडिग्रेड करने वाले जीवों और सड़ती हुई मैंग्रोव की लकड़ी के बीच नाजुक संतुलन को उजागर करते हैं।

मैंग्रोव वन जलवायु परिवर्तन को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा जंगलों में पड़ी हुई लकड़ी के सड़ने से ऊपर के कार्बन चक्र बदल जाएंगे, जिसका प्रभाव मैंग्रोव कार्बन भंडारण पर पड़ सकता है।

डॉ. हेंडी और उनकी टीम अब मेक्सिको में बड़े पैमाने पर मैंग्रोव वन की बहाली करने की तैयारी कर रही है। सह-अध्ययनकर्ता डॉ साइमन क्रैग ने कहा टीम का लक्ष्य अब इस अध्ययन के निष्कर्षों का उपयोग दुनिया भर में मैंग्रोव वनों की बड़े पैमाने पर बहाली के लिए मार्गदर्शन करना है। यह अध्ययन फ्रंटियर्स इन फॉरेस्ट एंड ग्लोबल चेंज में प्रकाशित हुआ है।

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