चीन और तुर्किए से हो रही है अवैध ग्रीन हाउस गैस की तस्करी, यूरोप में बढ़े मामले

व्यापारी अवैध रूप से मुख्य रूप से चीन और तुर्किये से हाइड्रोफ्लोरोकार्बन लेजाकर बुल्गारिया के माध्यम से यूरोपीय संघ में भेज रहे हैं

By Rohini K Murthy

On: Tuesday 09 April 2024
 
एयरकंडीशन में इस्तेमाल होने वाली हाइड्रोफ्लोरोकार्बन पर चरणबद्ध तरीके से रोक लगाई जा रही है। फोटो का इस्तेमाल प्रतीकात्मक किया गया है। फोटो: विकास चौधरी

एक नई जांच से पता चला है कि रेफ्रिजरेटर व एयरकंडीशन में इस्तेमाल होने वाले गैस हाउस गैस अवैध रूप से यूरोप पहुंच रही है। 

पर्यावरण जांच एजेंसी ईआईए की ताजा रिपोर्ट “मोर चिलिंग दैन एवर” में कहा गया है कि व्यापारी अवैध रूप से चीन और तुर्किये से हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) की सोर्सिंग कर रहे हैं और इसे बुल्गारिया के माध्यम से ग्रीस, जर्मनी, फ्रांस, इटली, पुर्तगाल और स्पेन में भेज रहे हैं।

हाइड्रोफ्लोरोकार्बन आमतौर पर रेफ्रिजरेशन और एयर कंडीशनिंग में इस्तेमाल की जाती है और वर्तमान वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में 2.3 प्रतिशत के लिए जिम्मेवार है।

रिपोर्ट में कहा गया है, " यह अवैध व्यापार न केवल जलवायु परिवर्तन को खराब कर रहा है, बल्कि यह टैक्स चोरी और संगठित अपराध का भी मामला है।"

ऊंचा मुनाफे और कानून की ढ़ंग से पालना न हो के कारण संगठित अपराधी इस अवैध व्यापार से जुड़ते जा रहे हैं। 

ईआईए के वरिष्ठ जलवायु प्रचारक फिन वाल्रावेन्स ने एक बयान में कहा कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन में वैश्विक स्तर पर ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाले पदार्थों पर चरणबद्ध तरीके से रोक लगाने का प्रावधान किया गया था। इसमें हाइड्रोफ्लोरोकार्बन भी शामिल है। जो-जो देश हाइड्रोफ्लोरोकार्बन की खपत कम करना शुरू कर रहे हैं, उन्हें यूरोप के इस अवैध व्यापार सीख लेनी चाहिए।”

2022 में ईआईए ने अवैध व्यापार पर एक गुप्त जांच शुरू की। व्यापारियों से बात करने के बाद टीम ने पाया कि हाइड्रोफ्लोरोकार्बन को यूरोपीय संघ में आयात किया जा रहा है और बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। वे विज्ञापन देने और नए ग्राहकों तक पहुंचने के लिए फेसबुक मार्केटप्लेस, ईबे और ओएलएक्स जैसी वेबसाइटों का भी खुले तौर पर उपयोग कर रहे थे।

व्यापारी हाइड्रोफ्लोरोकार्बन की तस्करी के लिए नई रणनीति भी अपना रहे हैं। वे प्रतिबंधित डिस्पोजेबल सिलेंडरों से बचकर और हाइड्रोफ्लोरोकार्बन को हाइड्रोफ्लोरोओलेफिन (एचएफओ) रेफ्रिजरेंट जैसे कम विनियमित विकल्प के रूप में छिपाकर पहचान से बच जाते हैं।

इससे पहले 2021 में ईआईए जांच में पाया गया था कि अवैध व्यापार के लिए रोमानिया प्रमुख प्रवेश बिंदु था। इस रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे रोमानियाई व्यापारियों के नेटवर्क पूरे यूरोपीय संघ में तस्करी करने के लिए यूक्रेन और तुर्किये से हाइड्रोफ्लोरोकार्बन का अवैध आयात कर रहे थे। 

ईआईए का अनुमान है कि उसी वर्ष यूरोपीय संघ में अवैध रूप से लाए गए हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के परिणामस्वरूप 30 मिलियन (3 करोड़) टन कार्बन-डाइऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ। यह पेट्रोल चालित 6.5 मिलियन कारों को चलाने के वार्षिक उत्सर्जन के बराबर है। यह अवैध व्यापार हरित विकल्पों को अपनाने की प्रक्रिया को भी धीमा कर सकता है।

नियमों का उल्लंघन

2016 में दुनिया ने वैश्विक जलवायु के लिए हाइड्रोफ्लोरोकार्बन द्वारा उत्पन्न खतरे के कारण ओजोन परत को नष्ट करने वाले पदार्थों पर मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन को अपनाया था। किगाली संशोधन में कहा गया था कि हाइड्रोफ्लोरोकार्बन को धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से बंद करने से सदी के अंत तक आधे डिग्री तक तापमान बढ़ने से बचा जा सकेगा।

इसके चलते सबसे पहले यूरोप ने ठोस कदम उठाए और 2015 में हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के उत्पादकों और आयातकों के लिए एक कोटा निर्धारित किया। 

समय के साथ-साथ कोटे में सालाना कटौती का प्रावधान था। इसके चलते यूरोप में  सिंथेटिक गैस दुर्लभ हो गई और कीमतों में बढ़ोतरी होने लगी। कानूनन अब यदि हाइड्रोफ्लोरोकार्बन को बिना कोटा के बाजार में रखा जाता है, तो उन्हें अवैध माना जाता है।

2024 में यूरोपीय संघ ने अपने नियमों में संशोधन किया। मौजूदा कोटा स्तर को काफी कम कर दिया गया है, जिससे साल-दर-साल हाइड्रोफ्लोरोकार्बन का आयात और उत्पादन सीमित हो गया है।संघ का लक्ष्य 2050 तक हाइड्रोफ्लोरोकार्बन को खत्म करना है।

नए नियम लागू होने के बाद हाइड्रोफ्लोरोकार्बन की अवैध तस्करी और अधिक होने लगी है। वाल्रावेन्स ने कहा कि यूरोपीय संघ ने हाल ही में अपने विनियमन को संशोधित किया है और प्रवर्तन एजेंसियों को अवैध व्यापार से निपटने के लिए अतिरिक्त उपकरण की पेशकश की है, लेकिन ये केवल तभी काम करेंगे जब इन्हें जल्दी और प्रभावी ढंग से लागू किया जाएगा।  

जहां तक भारत की बात है कि भारत 2032 से चार चरणा में हाइड्रोफ्लोरोकार्बन का उपयोग कम करेगा। भारत ने कहा है कि वह 2032 में 10 प्रतिशत की संचयी कमी करेगा।  इसके बाद 2037 में 20 प्रतिशत, 2042 में 30 प्रतिशत और 2047 में 85 प्रतिशत कमी लाएगा। 

पिछले साल दुबई में कॉप28 में 66 देशों ने 2050 तक सभी क्षेत्रों में कूलिंग से संबंधित उत्सर्जन को 2022 के स्तर के सापेक्ष 68 प्रतिशत तक कम करने के लिए मिलकर काम करने वास्ते ग्लोबल कूलिंग प्रतिज्ञा का समर्थन किया है, जो वैश्विक औसत तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री तक सीमित करने के अनुरूप है। 

 

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