उष्णकटिबंधीय जंगलों की सीओ2 अवशोषित करने की क्षमता हो रही है कम: अध्ययन

बड़ी संख्या में वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन के कारण जंगलों में कार्बन को अवशोषित करने की क्षमता कम हो गई है

By Dayanidhi

On: Monday 26 July 2021
 
फोटो : विकिमीडिया कॉमन्स, उष्णकटिबंधीय वन

इस बारे में लगभग सभी जानते हैं कि जीवित वनस्पतियां बायोमास कार्बन का सबसे बड़ा भंडार होती है। जंगलों को बनाए रखना या उनका विस्तार करना प्रभावी प्राकृतिक जलवायु में हो रहे बदलावों से निपटने के प्रमुख तरीकों में से एक माना जाता है।

हालांकि वैश्विक कार्बन चक्र में स्थान आधारित कार्बन निकालने या प्रवाह का सही-सही आकलन करना कठिन है। अब वैज्ञानिक इस बात का पता लगा रहे है कि वे कौन से इलाके हैं, जहां जंगल वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने के साथ-साथ उत्सर्जित भी कर रहे हैं।

पृथ्वी में पेड़ और पौधे प्रकाश संश्लेषण के दौरान भारी मात्रा में वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते है। वे इलाके जहां उत्सर्जन से अधिक कार्बन अवशोषित करते हैं वह कार्बन सिंक कहलाते हैं। लेकिन पौधे श्वसन जैसी प्रक्रियाओं के दौरान, जब मृत पौधे सड़ जाते हैं या आग लगने की स्थिति में जलने के दौरान ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन कर सकते हैं। शोधकर्ता इस बात का पता लगा रहे हैं कि किस तरह जंगल जैसे पारिस्थितिकी तंत्र जो कि कार्बन को अवशोषित करते हैं अथवा एक गर्म होती दुनिया में किस तरह यह काम कर रहे हैं।

दक्षिणी कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में हाल ही में किए गए एक अध्ययन मे पता लगा है क्या 2000 से 2019 तक हर साल दुनिया भर में जंगलों और सवाना जैसे वनस्पति वाले इलाके कितनी मात्रा में कार्बन अवशोषित कर रहे है।

शोध में पाया गया कि उन दो दशकों के दौरान, जीवित पेड़, पौधे 80 फीसदी से अधिक कार्बन अवशोषित करने और इसको जमीन में ले जाने (सिंक) लिए जिम्मेदार थे। जिसमें मिट्टी, पत्ते का कूड़ा और सड़ने वाले कार्बनिक पदार्थ भी शामिल थे। लेकिन उन्होंने यह भी देखा कि वैज्ञानिकों ने मूल रूप से जितना सोचा था, वनस्पति ने कार्बन की बहुत कम मात्रा अंश को रोक कर रखा है।

इसके अलावा, शोधकर्ताओं ने पाया कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उत्सर्जित और अवशोषित कार्बन की कुल मात्रा समशीतोष्ण क्षेत्रों और बोरियल क्षेत्रों की तुलना में चार गुना अधिक थी। उष्णकटिबंधीय जंगलों में भारी मात्रा में कार्बन को अवशोषित करने की क्षमता है, जो हाल के वर्षों में कम हो गई है। क्षमता में यह गिरावट बड़े पैमाने पर वनों की कटाई और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण है।

जैसे कि बार-बार सूखा पड़ने और आग लगने से इनकी क्षमता कम हो रही है। साइंस एडवांस में प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि दुनिया भर के जंगलों द्वारा वायुमंडल से अवशोषित कार्बन का 90 फीसदी वनों की कटाई और सूखे जैसी गड़बड़ी से निकलने वाले कार्बन की मात्रा से इनका संतुलन बिगड़ रहा है।

वैज्ञानिकों ने वनों की कटाई, वृक्षा रोपण, साथ ही वन विकास जैसे भूमि उपयोग में होने वाले बदलावों से कार्बन स्रोतों और सिंक का पता लगाया। उन्होंने ऐसा नासा के जियोसाइंस लेजर अल्टीमीटर सिस्टम (जीएलएएस) जैसे उपकरणों का उपयोग करके अंतरिक्ष से एकत्र किए गए दुनिया भर की वनस्पति आधारित आंकड़ों का विश्लेषण करके किया। जिसमें आईसीईएसएट और एजेंसी के मॉडरेट रेजोल्यूशन इमेजिंग स्पेक्ट्रोमाडोमीटर  जैसे उपकरणों को शामिल किया गया था। विश्लेषण ने मशीन-लर्निंग एल्गोरिदम का उपयोग किया जिसे शोधकर्ताओं ने पहले लेजर-स्कैनिंग उपकरणों का उपयोग करके जमीन और हवा में एकत्रित वनस्पति आधारित आंकड़ों का उपयोग करके तैयार किया।

वाशिंगटन में वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट में वन कार्यक्रम के शोध निदेशक नैन्सी हैरिस ने कहा बहुत सारे शोध जो पहले आए हैं, वे स्थानीय आधार पर स्पष्ट नहीं हैं। क्योंकि हमारे पास कार्बन कहां से निकल रही है या इसका प्रवाह कहां हो रहा है, इसका कोई नक्शा नहीं था।

वनस्पति वाले इलाकों और वातावरण के बीच कार्बन का कितना आदान-प्रदान होता है, इसका अनुमान लगाने के अन्य तरीकों में यह देखना शामिल है कि, किसी विशेष क्षेत्र में कितने पौधे या जंगल हैं और भूमि उपयोग में किस तरह के बदलाव हो रहे है इसका अध्ययन करना शामिल है। फिर उस जानकारी को कार्बन उत्सर्जन अनुमानों के साथ जोड़ना शामिल है। लेकिन उन विधियों में स्थानीय या उष्णकटिबंधीय इलाके हैं जिन्हें अध्ययनकर्ताओं ने अपनी मशीन-लर्निंग पद्धति में ढालने का प्रयास किया।

यह जानना कि पौधे कार्बन कहां से अवशोषित कर रहे हैं और वे कहां उत्सर्जित कर रहे हैं, इसकी निगरानी करना महत्वपूर्ण है। जंगल और अन्य वनस्पति क्षेत्र एक बदलती जलवायु के प्रति कैसे प्रतिक्रिया करते हैं। जेपीएल के प्रमुख वैज्ञानिक और अध्ययनकर्ता सासन साची ने कहा अमेजन को कार्बन डाइऑक्साइड को सोखने वाले प्राचीन जंगल के बड़े इलाकों के कारण पर्याप्त कार्बन सिंक वाला इलाक माना जाता था।

हालांकि हमारे परिणाम बताते हैं कि कुल मिलाकर, अमेजन बेसिन कार्बन संतुलन के मामले में लगभग बेपरवाह होता जा रहा है क्योंकि पिछले दो दशकों में वनों की कटाई, वनों में गिरावट और बढ़ते तापमान, लगातार सूखे और आग के प्रभाव से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड अधिक उत्सर्जित हुई है।

साची और उनके सहयोगियों ने एक विश्लेषण किया ताकि जमीन पर और साथ ही दूर से एकत्र किए गए आंकडों के आधार पर वनस्पति क्षेत्रों में होने वाले बदलावों का पता लगाना आसान हो। हमारा दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन किया गया है कि हम हर साल वैश्विक कार्बन बजट को व्यवस्थित रूप से संतुलित कर सकते हैं। हर देश कार्बन प्रबंधन और अपनी स्वयं की जानकारी व आवश्यकताओं के लिए परिणामों और कार्यप्रणाली का उपयोग कर सकते हैं।

इस बजट विश्लेषण ने शोधकर्ताओं को इस बात की जानकारी को बेहतर ढंग से समझने में मदद की कि कैसे दुनिया भर के जंगल और अन्य वनस्पति क्षेत्र उस कार्बन का भंडारण कर रहे हैं जिसे वे वातावरण से अवशोषित करते रहे हैं।

जेपीएल और यूसीएलए के कार्बन शोधकर्ता अध्ययन के प्रमुख लेखक एलन जू ने कहा पिछले कई अध्ययनों में पाया गया है कि दुनिया भर की वनस्पतियां बहुत सारे वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करती हैं। यह इस बात को स्पष्ट करता है कि दुनिया भर में जंगल बढ़ रहे हैं और इनका विस्तार हो रहा हैं, जबकि ऐसा नहीं है।

यह अध्ययन इस बारे में पता लगाने में मदद करता है कि पेड़ और पौधे कार्बन को कहां और कैसे अवशोषित या उत्सर्जित कर रहे हैं। इस अध्ययन में उपग्रह आधारित कार्बन मानचित्रों ने एक समय में लगभग 100 वर्ग किलोमीटर को कवर किया, लेकिन यह जरूरी नहीं कि छोटे पैमाने पर हो रहे बदलावों को इसमें देखा जा सके।

इसमें इस बारे में कुछ जानकारी थी कि जंगलों ने उन मानचित्रों के भीतर कार्बन को कैसे संग्रहीत और उत्सर्जित किया, जो जरूरी नहीं कि शोधकर्ताओं के स्रोत-सिंक गणना में शामिल हो। इनमें से कुछ सूचना अंतराल को पहले से ही कक्षा में नए उपग्रहों द्वारा प्रदान किए गए उच्च-रिज़ॉल्यूशन कार्बन मानचित्रों के साथ-साथ नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के एनआईएसएआर जैसे आगामी मिशनों द्वारा दूर किया जाना चाहिए।

हैरिस ने कहा यह समझना महत्वपूर्ण है कि दुनिया भर के जंगली इलाके कार्बन डाइऑक्साइड को कैसे अवशोषित और उत्सर्जित करते हैं। अगर हमें ये पैटर्न सही नहीं मिल रहे हैं, तो पारिस्थितिक तंत्रों में हमसे कुछ छूट रहा है और ये छूटी हुई चीजें कार्बन चक्र को किस तरह प्रभावित कर रहे हैं इसके बारे में जानकारी नहीं है। लेकिन वह जलवायु वैज्ञानिकों को उपलब्ध होने वाले आंकड़ों की भारी मात्रा से प्रोत्साहित होती है कि कैसे ग्रीन हाउस गैस वायुमंडल और जंगलों, घास के मैदानों और अन्य वनस्पति क्षेत्रों के बीच चलती है।

साची ने उम्मीद जताई कि दुनिया के कौन से हिस्से कार्बन उत्सर्जन या सिंक के रूप में काम कर रहे हैं, इस पर नजर रखने के लिए अधिक व्यवस्थित और सुसंगत दृष्टिकोण रखने से क्षेत्रों और देशों में बेहतर निगरानी हो सकेगी। यह दुनिया भर के देशों को पेरिस जलवायु समझौते के लिए अपनी राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए मार्गदर्शन करेगा। 

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