बैठे ठाले: इंडिया आफ्टर पानीपत

“एनसीईआरटी ने बाबर को इतिहास के सिलेबस से ही हटा दिया है। अब बाबर भला किस मुंह से पानीपत जाता”

By Sorit Gupto

On: Wednesday 24 May 2023
 

सोरित / सीएसई टीवी स्क्रीन के ऊपर दायीं ओर एक डिजिटल घड़ी टिक-टिक कर रही है।

खबरिया चैनल के न्यूज स्टूडियो में एंकर और एंकरनी आ चुके हैं।

एंकरनी चीखती है, “21 अप्रैल 1526 के दिन के 10 बजे हैं। दर्शकों हम आपको पानीपत के मैदान में ले जाएंगे जहां अब बस कुछ ही देर में युद्ध शुरू होने वाला है। युद्ध के पलपल की खबर आप तक पहुंचाने के लिए हमारे जांबाज रिपोर्टर और कैमरामैन मैदान में डट चुके हैं। हम अभी लेंगे एक छोटा सा ब्रेक। बने रहिए बेवकूफ…... मेरा मतलब है, बने रहिए खबरों के साथ।

“हां तो बताइए रिपोर्टर जी आप वहां क्या देख रहे हैं?”

टीवी स्क्रीन पर रिपोर्टर का चेहरा आता है। वह कहता है, “आप देख रहे हैं हमारे सामने पानीपत का मैदान है जहां 46 डिग्री के तापमान पर मौसम सुहाना है, इलाके में बारिश कम होती है, शायद एल-नीनो का असर है।” अब मोर्चा एंकरनी संभाल लेती है और चीखते हुए कहती है, “रै बावले! जंग की रिपोर्टिंग कर रहा है या मौसम की? मत भूलिए अप्रैल का महीना है और इंक्रीमेंट लगने वाले हैं। बाकी आप समझदार हैं। अब बोलिए क्या कुछ देख रहे हैं आप पानीपत के मैदान मैं?”

एक बार फिर से रिपोर्टर का चहरा स्क्रीन पर आ जाता है। रिपोर्टर पर एंकरनी का गुस्सा, अप्रैल की चिलचिलाती धूप और इंक्रीमेंट मानो एक साथ असर करता है। वह कहता है, “हम अभी पानीपत के मैदान में हैं। जैसा कि आप दर्शकों को पता था कि आज 21 अप्रैल 1526 के दिन प्लान के मुताबिक, बाबर और इब्राहिम लोधी के बीच भयंकर युद्ध होने वाला था। कहा यह जा रहा था कि यह युद्ध दर्शकों को रूस-यूक्रेन युद्ध की बोरियत से छुटकारा देगा। हम भारतीय, यूरोप में होने वाले इस युद्ध से बोर हो चुके थे। उन्हें “देश का नमक” जैसा “देश का युद्ध” चाहिए था। केवल आम नागरिक ही नहीं बल्कि शेयर मार्केट को भी इस युद्ध से बहुत सारी उम्मीदें थीं, परंतु…... युद्ध कैंसिल हो गया!”

एंकरनी चीखी, “कैंसिल हो गया! इसका क्या मतलब है? यह युद्ध है कि रेलवे की परीक्षा? सच-सच बोलो किसी ने इस युद्ध का पेपर तो लीक नहीं किया?”

एंकरनी चीखी, “चुप क्यों हैं आप? अपने दर्शकों को बताइए कि किसके कहने पर भारतीय प्रायद्वीप के इतिहास के इस सबसे महत्वपूर्ण युद्ध को कैंसिल किया गया।”

“एनसीईआरटी।”

“एनसीईआरटी? यह क्या बकवास कर रहे हो?” एंकरनी चीख पड़ी।

रिपोर्टर बोला, “तो सुनिए खबरें तफसील से। हुआ यह कि प्लान के मुताबिक इब्राहिम लोधी और बाबर दोनों अपनी-अपनी सेना लेकर पानीपत की ओर चल पड़े। प्लान यह था कि इब्राहिम लोधी हार जाएगा और अपनी बाकी जिंदगी लोधी होटल के प्रेसिडेंशियल-सूट में व्यतीत करेगा। उसके सैर सपाटे के लिए लोधी गार्डन भी बनकर तैयार था। दूसरी ओर बाबर युद्ध को जीतने के बाद पानीपत से जयपुर-हाइवे होते हुए हूडा-सिटी सेंटर पहुंचेगा और वहां येलो-लाइन मेट्रो लेकर सीधे सेंट्रल सेक्रेटेरिएट पहुंचकर राजपाठ संभाल लेगा पर बीच रास्ते में बाबर को खबर मिली कि एनसीईआरटी ने बाबर को इतिहास के सिलेबस से ही हटा दिया है। अब बाबर भला किस मुंह से पानीपत जाता? दूसरी तरफ इब्राहिम लोधी को भी एनसीईआरटी ने रेशनलाइज कर दिया था सो उसने भी पानीपत जाने का प्लान कैंसिल कर दिया।”

इतना सुनते ही चैनल ने पानीपत युद्ध के लाइव टेलीकास्ट को बंद कर झटपट पानीपत फिल्म चला दी। कहते हैं एनसीईआरटी के इस क्रांतिकारी कदम के बाद सैकड़ों वर्ष पानीपत का मैदान यूं ही खाली पड़ा रहा जिस पर बाद में डेवलपर्स और भू-माफिया ने कब्जा कर लिया।

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