क्या असम में बीजेपी के लिए महिला संबंधी कार्यक्रम कारगर रहे?  

सबसे चर्चित योजना ओरुनोदोई रही जो निश्चित तौर पर असम की अब तक की सबसे बड़ी और सबसे ज्यादा महत्वाकांक्षी सरकारी कल्याण कार्यक्रम है।

By Bhabesh Medhi2

On: Wednesday 05 May 2021
 

मतदान के आंकड़े बताते हैं कि चुनाव के तीन चरणों के दौरान महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों के बराबर रहा है। पार्टी के सदस्यों और मतदान के आंकड़े, दोनों के मुताबिक, असम के विधानसभा चुनाव 2021 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को जीत दिलाने में राज्य की महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई है।

महिला मतदाताओं को ध्यान में रखकर चलाई गई विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं ने, सरकार के कार्यकाल के साथ-साथ चुनाव की तैयारियों के दौरान भी, उन्हें पार्टी के पक्ष में लाने में सफल दिखाई देती हैं। इस तथ्य के बावजूद ऐसा हुआ है कि यह चुनाव सभी राजनीतिक दलों की ओर से बहुल कम महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारे जाने का गवाह रहा है।

तीन चरणों के चुनाव के दौरान लगभग 23,374,087 मतदाताओं ने मतदान किया। इनमें 11,823,286 पुरुष व 11,550,403 महिला और 398 थर्ड जेंडर मतदाता शामिल थे। चुनाव आयोग (ईसीआई) के आंकड़ों के मुताबिक, असम में 49.35 फीसदी मतदाता महिलाएं हैं।

ईसीआई के आंकड़े बताते हैं कि: पहले चरण के मतदान में 80.12 प्रतिशत महिलाएं और 79.76 प्रतिशत पुरुष शामिल थे। दूसरे चरण के मतदान में 81 फीसदी पुरुष और 80.94 फीसदी महिलाएं शामिल थीं। तीसरे चरण में 85.36 प्रतिशत पुरुष और 85.05 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं।

चुनाव में 82.5 प्रतिशत महिलाओं की तुलना में कुल 82.5 प्रतिशत पुरुषों ने मतदान किया। सभी पार्टियों ने चुनाव मैदान में कुल 946 उम्मीदवारों को उतारा, जिनमें महिलाएं सिर्फ 74 थीं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने नौ महिलाओं को और भाजपा ने सात महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा था। असम जातीय परिषद जैसे नए क्षेत्रीय दलों ने सात महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा था।

महिला मतदाताओं को लुभाने की पहल भाजपा सरकार ने असम की महिलाओं के लिए कई योजनाएं चलाईं, जो महिलाओं को पार्टी के पक्ष में झुका सके।

मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने 11 फरवरी, 2021 को विभिन्न योजनाओं की शुरुआत की, जिनमें शामिल हैं: विस्तारित कनकलता महिला सबलीकरण योजना जिसके तहत प्रत्येक स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को 50,000 रुपये की पूंजीगत सब्सिडी और 25,000 रुपये रिवॉल्विंग फंड का भुगतान किया जाएगा।

ऐडेवु हैन्दीक (Aideu Handique) महिला सम्मान अचोनी, जिसके तहत अविवाहित या तलाकशुदा महिला को 35-60 वर्ष की आयु के बीच प्रति माह 300 रुपये दिए जाएंगे। जीविका सखी एक्सप्रेस, जिसके तहत ‘जीविका सखी’ या सामुदायिक संसाधन व्यक्ति को दोपहिया वाहन दिया जाएगा।

इन सब में सबसे चर्चित योजना ओरुनोदोई रही, जो निश्चित तौर पर असम की अब तक की सबसे बड़ी और सबसे ज्यादा महत्वाकांक्षी सरकारी कल्याण कार्यक्रम है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना, ओरुनोदोई महिलाओं को “घर के प्रथम देखभालकर्ता” के रूप में लक्षित करती है। सिर्फ वे लोग जिनकी कुल घरेलू आय दो लाख रुपये सालाना से भी कम है, वही इस योजना के लिए पात्र होते हैं।

प्राथमिकता समूहों में विशेष रूप से सक्षम सदस्य, तलाकशुदा, विधवा, अलग रहने वाली, अविवाहित महिलाओं वाले परिवार और गरीब परिवार शामिल हैं, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के दायरे में नहीं आते हैं।

इस योजना की आधिकारिक अधिसूचना में दो लाख से कम आबादी वाले विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में 15,000 और शेष निर्वाचन क्षेत्रों में 17,000 लाभार्थियों का लक्ष्य तय किया है। असम में कुल 126 विधानसभा क्षेत्र हैं।

बीती फरवरी में राज्य के बजट में पेश आंकड़ों के अनुसार, इस योजना के तहत अब तक 17 लाख से अधिक महिलाओं को नगद सहायता मिल चुकी है। भाजपा ने वादा किया है कि इस योजना के तहत 30 लाख पात्र परिवारों को प्रति माह 3,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी।

असम भाजपा की महिला मोर्चा की उपाध्यक्ष बिजुली कलिता मेधी ने कहा: समाज को समृद्धशाली बनाने में महिलाएं महत्वपूर्ण निभाती हैं। महिलाओं का आर्थिक सशक्तीकरण का गरीबी को कम करने से सीधा संबंध है, इसकी वजह है कि महिलाएं अपनी आय का बड़ा हिस्सा अपने बच्चों और समाज पर खर्च करती हैं। इसलिए केंद्र और राज्य दोनों ही सरकारें महिला सशक्तीकरण को बहुत महत्व देती हैं।

मेधी ने आगे कहा कि भाजपा की अगुवाई वाली राज्य सरकार ने बड़ी संख्या में महिला स्वयं सहायता समूहों को बनाया था और उन्हें आसानी से धन मुहैया कराया था। महिला अधिकार कार्यकर्ता और लेखिका जुनू बोरा ने कहा कि भाजपा ने ओरुनोदोई योजना, कक्षा 8 के बाद छात्राओं को मुफ्त साइकिल और कॉलेज जाने वाली लड़कियों को मुफ्त दोपहिया वाहन के जरिए महिलाओं को लुभाने के लिए उनकी भावनाओं का इस्तेमाल किया है।

बोरा की बातों पर सहमति जताते हुए असम महिला संघ परिषद की अध्यक्ष असोमी गोगोई ने कहा कि राज्य में अधिकांश महिला मतदाता राजनीतिक रूप से जागरूक नहीं हैं। उन्होंने कहा, “भाजपा ने इसका फायदा उठाया। इसने विभिन्न नगदी योजनाओं को प्रलोभन के रूप में इस्तेमाल किया। विपक्ष भी असम की महिला मतदाताओं के बीच राजनीतिक जागरूकता पैदा करने में विफल रहा है।”

उलुपी दास बैश्य, बारामा निर्वाचन क्षेत्र के तहत नलबाड़ी जिले के बकुआजारी गांव में स्थापित निशा एसएचजी की अध्यक्ष हैं।

उन्होंने कहा, “हमें अपने एसएचजी के लिए बैंक से 200,000 रुपये का ऋण मिला। कई एसएचजी को भाजपा सरकार से मदद मिली है। हमने महसूस किया कि भविष्य में पार्टी जरूरतमंद गरीब महिलाओं को बहुत कुछ देगी। इसलिए हमने इस पक्ष में मतदान किया।”

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