उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले में चांदपुर हरिवंश स्थित कोका कोला की बॉटलर यूनिट मैसर्स अमृत बॉटलर्स प्राइवेट लिमिटेड के जरिए तिलैय्या नाले में बिना उपचार 50 फीसदी पानी का डिस्चार्ज किया जा रहा है। इससे खेत की फसले भी चौपट हो रही हैं। तिलैय्या नाले को स्थानीय त्रिलोदकी गंगा के नाम से जानते हैं। त्रिलोदकी गंगा सरयू से निकलने वाली एक धारा है जो सरयू में ही जाकर मिल जाती है। हालांकि, अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम इंटरनेशनल एयरपोर्ट का विस्तार होने के बाद इसका अस्तित्व अब लगभग खत्म हो गया है। यह संकरे बरसाती नाले के रूप में बह रही है। स्थानीय इस बरसाती नाले का इस्तेमाल सिंचाई के लिए करते हैं। हालांकि ग्रामीणों का आरोप है कि कोका कोला बॉटलिंग प्लांट के डिस्चार्ज से खेतों को नुकसान पहुंच रहा है।
त्रिलोदकी गंगा या तिलैय्या नाला अयोध्या के हंसापुर, पुरे हुसैन खान, गंजा, जानौरा, विखापुर, रानोपाली, आशापुर, तकपुरा, हैबतपुर, काजीपुर, चितवा, वासुपर, सिरसा उर्फ जयसिंगपुर, शहनवाजपुर, मांझा व अन्य गांवों से होते हुए सरयू नदी में वापस जाकर मिल जाता है।
इस मामले का संज्ञान लेने वाले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने 24 जुलाई, 2023 को अपने आदेश में कहा कि गठित संयुक्त समिति की रिपोर्ट बताती है कि कोका कोला बॉटलर प्लांट करीब 4480 किलो लीटर प्रतिदिन (केएलडी) भू-जल की निकासी करता है, हालांकि सिर्फ 1850 केएलडी ही औद्योगिक प्रवाह (इंडस्ट्रियल इफ्लुएंट) पैदा करता है। यह दर्शाता है कि 50 फीसदी से भी ज्यादा पानी बिना इस्तेमाल तिलैय्या ड्रेन में डिस्चार्ज किया जा रहा है। पानी का न ही कोई उचित प्रबंध किया गया। न ही डी-मिनरलाइज किया गया।
संयुक्त समिति ने पाया कि कोका कोला यूनिट के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट और इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट के इनलेट और आउटलेट से निकलने वाले प्रवाह का प्रदूषण स्तर नियंत्रित है। एनजीटी में यूनिट की तरफ से पेश अधिवक्ता ने कहा कि पानी के डिस्चार्ज के संबंध में रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय चाहते हैं।
वहीं, जस्टिस शिव कुमार सिंह और अरुण कुमार त्यागी व एक्सपर्ट मेंबर डॉ ए सेंथिल वेल की पीठ ने अयोध्या के जिलाधिकारी को आदेश दिया है कि वह डिस्चार्ज किए जा रहे पानी के दोबारा इस्तेमाल, ग्राउंड वाटर कम करने के लिए नैनो फिल्ट्रेशन, रेन वाटर हार्वेस्टिंग की प्रक्रिया, इस्तेमाल किए गए पानी को सिंचाई में दोबारा इस्तेमाल करने जैसे मुद्दे पर तीन हफ्तों में रिपोर्ट दाखिल करें।
इस मामले में ई-मेल के जरिए एनजीटी में शिकायत याचिका लगाने वाले दुर्गा प्रसाद यादव डाउन टू अर्थ को बताते हैं कि सरकार अब त्रिलोदगी गंगा के अस्तित्व को ही नहीं मान रही। उसकी धारा पर बनाए गए एयरपोर्ट ने कई इलाकों को जलमग्न कर दिया है और कई गांव के जलमग्न होने का खतरा पैदा हो गया है। वह गंजा गांव के रहने वाले हैं, जहां पानी भरा हुआ है। दुर्गा प्रसाद यादव बताते हैं कि एक तरफ नाले का पानी बरसात में ओवरफ्लो हो जाता है तो दूसरी तरफ कोका कोला का डिस्चार्ज भी नाले को दूषित कर रहा है।
एनजीटी में यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बताया है कि एयरपोर्ट से बरसात का पानी अच्छे से निकल जाए इसके लिए बरसाती नाले बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है, हालांकि वह अभी मंजूर नहीं हुआ है। इस परियोजना की कुल लागत 5587.55 लाख है।
याची दुर्गा प्रसाद यादव का कहना है कि उन्हें नहीं लगता कि प्रस्तावित नाला हाल-फिलहाल मंजूर किया जाएगा। बहरहाल एनजीटी ने मामले की अगली सुनवाई 1 नवंबर, 2023 को होगी।