तीन दशक में 58 फीसदी बढ़ी प्रवासी बच्चों की संख्या: संयुक्त राष्ट्र
दुनियाभर में तकरीबन 27.2 करोड़ लोग अपने जन्म के देश से बाहर रह रहे हैं और इसमें तकरीबन 3.8 करोड़ बच्चे हैं। मतलब, हर सात अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों में से एक 20 वर्ष से कम उम्र का है
On: Monday 16 December 2019
दुनियाभर में तकरीबन 27.2 करोड़ लोग अपने जन्म के देश से बाहर रह रहे हैं और इसमें तकरीबन 3.8 करोड़ बच्चे हैं। संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक व सामाजिक मसलों के विभाग (यूएनडीईएसए) की तरफ से अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों के बारे में जारी किए गए आंकड़ों में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, 1990 में अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की संख्या 15.3 करोड़ थी, जो 2019 में 27.2 करोड़ हो गई।
29 साल में 58 फीसदी बढ़े प्रवासी बच्चे
1990 से 2019 के बीख् प्रवासी बच्चों की संख्या 58 फीसदी बढ़ी है। 1990 में दुनिया में 2.4 करोड़ बच्चे अपने जन्म के देश से बाहर रह रहे थे। 2019 में यह संख्या बढ़कर 3.8 करोड़ हो गई। बाल प्रवासी या प्रवास में रह रहे बच्चों की श्रेणी में 3 से 19 वर्ष की उम्र के बच्चे आते हैं, जो किसी राजनैतिक सीमा के अंदर या उससे बाहर, अपने माता-पिता या किसी अन्य अभिभावक के साथ या उनके बगैर किसी दूसरे देश या क्षेत्र में रहने जाते हैं।
यूएनडीईएसए के आंकड़ों के मुताबिक, कुल वैश्विक प्रवासी आबादी में 20 साल से कम उम्र के लोगों की हिस्सेदारी 14 फीसदी है। इतना ही नहीं इस प्रवासी आबादी में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की हिस्सेदारी तकरीबन 10 फीसदी है। 1990 से 2019 के बीच एशिया में सबसे ज्यादा 96 लाख प्रवासी बच्चे जाकर बचे। इसके बाद यूरोप में 75 लाख और फिर अफ्रीका में 56 लाख बच्चों ने ठिकाना पाया।
कहां जाकर बसे प्रवासी बच्चे (1990-2019)
भौगोलिक क्षेत्र |
0-4 वर्ष |
5-9 वर्ष |
10-14 वर्ष |
15-19 वर्ष |
कुल |
अफ्रीका |
13,39,998 |
14,21,589 |
13,45,088 |
15,16,339 |
56,23,014 |
एशिया |
19,23,164 |
20,64,679 |
24,93,638 |
30,70,939 |
95,52,420 |
यूरोप |
7,75,738 |
14,97,445 |
23,06,560 |
29,57,373 |
75,37,116 |
लैटिन अमेरिका और कैरीबियन |
3,21,908 |
3,96,695 |
4,23,855 |
4,52,616 |
15,95,074 |
उत्तरी अमेरिका |
3,49,348 |
6,67,706 |
9,93,982 |
15,50,013 |
35,61,049 |
ओशनिया |
57,805 |
1,28,357 |
1,66,646 |
2,06,081 |
5,58,889 |
संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी किए गए आंकड़ों में फोर्स्ड डिस्प्लेसमेंट यानी कहीं और जाकर बसने को मजबूर किए गए रिफ्यूजी और आश्रय की तलाश में भटक रहे लोगों का रिकॉर्ड भी शामिल है। इन लोगों की संख्या में 2010 से 2017 के बीच 1.3 करोड़ का इजाफा हुआ है।
कुल अंतरराष्ट्रीय प्रवासियों की संख्या में हुए इजाफे में एक-चौथाई हिस्सेदारी फोर्स्ड डिस्प्लेसमेंट की है। आश्रय ढूंढ रहे 46 फीसदी लोगों को उत्तर अमेरिकी देशों और पश्चिमी एशिया में पनाह मिली। 21 फीसदी लोागें ने उप-सहारा अफ्रीका में शरण पाई। इस आंकड़े में प्रवासी बच्चे भी शामिल हो सकते हैं, लेकिन उनके बारे में उम्र के आधार पर डाटा अभी जारी नहीं हुआ है।
यूनिसेफ का कहना है कि प्रवासन के चलते दुनिया के हर कोने में बच्चे प्रभावित हो रहे हैं, लेकिन इसके प्रभावों की बहुत समझ अभी सीमित है। प्रवासी बच्चों पर रिसर्च और डाटा की जरूरत है, जिससे बेहतर तरीके से समझा जा सके कि प्रवासन के चलते किसी देश से पलायन करने और वहां जाकर बसने पर समाज, परिवार और बच्चों पर कैसा असर पड़ता है।
यूएनडीईएसए के अंडर-सेक्रेटरी जनरल लू झेंमिन का कहना है कि जिस देश से पलायन होता है और जिस देश में प्रवासी शरण पाते हैं, उन दोनों देशों के विकास में प्रवासियों और प्रवासन की अहम भूमिका को समझने के लिए प्रवासियों पर मौजूद डाटा बेहद अहम है। यह जरूरी है कि ऐसी नीतियां बनाई जाएं जिससे पलायन से होने वाले प्रतिकूल प्रभावों से बचा जा सके और परिवारों और बच्चों को पलायन के बारे में सही फैसला लेने में मदद की जा सके। यूएनडीईएसए जनसंख्या विभाग के निदेशक जॉन विलमोथ ने संयुक्त राष्ट्र को दिए एक बयान में कहा कि प्रवासन और विकास के बीच में कड़ी बेहद अच्छी तरह प्रमाणित है।