विष्णुगाड पीपलकोटी पनबिजली परियोजना विवाद : ग्रामीणों की जीत, हाट गांव में परियोजना पर आपत्तियों की जांच करेगा वर्ल्ड बैंक

ग्रामीणों ने कहा कि 92 परिवारों को यह परियोजना प्रभावित कर रही है। उनकी आजीविका इस परियोजना के कारण खतरे में है और उनकी शिकायतों को बिल्कुल भी नहीं सुना गया है। 

By Vivek Mishra

On: Monday 29 August 2022
 

उत्तराखंड के चमोली में भारत-नेपाल से जुड़ी एक अंतरराष्ट्रीय विष्णुगाड पीपलकोटी हाइड्रो पावर परियोजना विवाद मामले में ग्रामीणों की बड़ी जीत हुई है। वर्ल्ड बैंक के इंस्पेक्शन पैनल ने 83 समुदायों की उस प्रार्थना को स्वीकार और दर्ज कर लिया है जिसमें कहा गया था कि इस परियोजना के कारण हाट गांव में स्थित पुरातन लक्ष्मी नारायण मंदिर बर्बाद हो जाएगा जो कि एक फिजिकल कल्चरल रिसोर्स है और जिसपर ग्रामीणों की आजीविका टिकी हुई है। 

ग्रामीणों की तरफ से वर्ल्ड बैंक के इंस्पेक्शन पैनल को भेजी गई प्रार्थना में कहा गया है कि हाट गांव में लक्ष्मी नारायण मंदिर की स्थापना 19वीं सदी आदि शंकराचार्य ने किया था जिससे ग्रामीणों का एक पवित्र बंधन और विरासत वाला रिश्ता जुड़ा हुआ है। ऐसे में बरसात के दिनों में मिट्टी का मलबा मंदिर की दीवार को नुकसान पहुंचा सकता है। मंदिर की साइट की महत्वता के लिए ग्रामीणों की तरफ से भारतीय पुरातत्व विभाग के 2022 अध्ययन रिपोर्ट को भी प्रार्थना के साथ सबूत के तौर पर भेजा गया है। 

प्रार्थना मे्ं कुछ ग्रामीणों ने कहा है कि उन्हें उनकी इच्छा के विरुद्ध हाट गांव छोड़कर दूसरी जगह जाने के लिए विविश किया जा रहा है जो सामाजिक ताना-बाना खराब करेगा। 22 सितंबर, 2021 को ऐसे ही कुछ ग्रामीणों ने हर्जाना लेने और अपनी इच्छा से दूसरी जगह जाने से मना कर रहे थे, उन्हें हाट गांव की संबंधित साइट से हटा दिया गया जबकि कुछ को पुलिस स्टेशन में बद कर दिया गया।  

ग्रामीणों ने कहा कि 92 परिवारों को यह परियोजना प्रभावित कर रही है। उनकी आजीविका इस परियोजना के कारण खतरे में है और उनकी शिकायतों को बिल्कुल भी नहीं सुना गया है। इन 92 परिवारों में 70 परिवार ऐसे हैं जो रोजाना सिर्फ दो घंटे पानी पा रहे हैं जबकि 12 ऐसे हैं जो 2 से 5 घंटे तक रोजाना पानी पाते है, जबकि परियोजना शुरु होने से पहले उन्हें पानी की आपूर्ति का वादा किया गया था।  

इसके अलावा ग्रामीणों ने कहा है कि परियोजना में जलवायु परिवर्तन जनित आपदाओं और चरम मौसमी घटनाओं का ध्यान नहीं रखा गया है। न ही 2013 के केदारनाथ और न ही 2021 के चमोली आपदा को ध्यान में रखा गया है। 

12 जुलाई, 2022 को इंस्पेक्शन पैनल ने हाट गांव की जांच संबंधी यह प्रार्थना स्वीकार की थी और जिसे 19 अगस्त, 2022 को वर्ल्ड बैंक के जरिए जांच के वाद के तौर पर दर्ज किया गया। 

इंस्पेक्शन पैनल ने तीसरी बार ग्रामीणों की जांच प्रार्थना पर विचार किया। इससे पहले ग्रामीणों की आपत्तियों वाली दो और जांच प्रार्थनाएं वर्ल्ड बैंक के पास पहुंची, जिनमें पहली प्रार्थना 23 जुलाई 2012 को स्वीकार कर जांच के बाद 1 जुलाई 2014 को संबंधित समिति ने अपनी रिपोर्ट दी। वहीं, ग्रामीणों की  दूसरी प्रार्थना को वर्ल्ड बैंक ने अस्वीकार कर दिया था।

इंस्पेक्शनल पैनल के चेयरपर्सन रामानी कुनानग्यम ने ग्रामीणों के ताजा जांच प्रार्थनापत्र की स्वीकरोक्ति को लेकर कहा है "पैनल ने शुरुआती यथोचित परिश्रम में यह पाया कि यह प्रार्थना स्वीकार करने लायक है। मैं अधिसूचित करता हूं इस प्रार्थना को 19 अगस्त, 2022 को दर्ज किया जाता है।" इस प्रार्थना में ग्रामीणों ने आपत्ति के सबूत भी उपलब्ध कराए हैं। 

जांच की प्रार्थना करने वाले समुदाय के सदस्यों की पहचान गुप्त रखी जाएगी। 

30 जून, 2023 तक 92.2 करोड़ यूएस डॉलर (करीब 7,366,440,000 रुपए) लागत वाली इस हाइड्रो पावर परियोजना को पूरा किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। इस परियोजना के लिए हाट गांव की पुरातन मंदिर वाली साइट को मक डंपिंग साइट बनाया गया है। ग्रामीणों की आपत्ति है कि मलबे की डंपिंग साइट की पहचान गलत जगह की गई है। इससे उन्हें और उस जगह को काफी नुकसान होगा। ग्रामीणों का आरोप है कि मक डंपिंग साइट के लिए अन्य संभावित साइटों की उपेक्षा की गई है बल्कि सुनवाई के दौरान उनके सुझावों को भी नहीं सुना गया है। 

ग्रामीणों ने वर्ल्ड बैंक को अपनी आपत्ति में यह भी कहा है कि उन्हें डर है कि डैम बनने के बाद उनके ताजे पानी का स्रोत खत्म हो जाएगा। बहरहाल इंस्पेक्शन पैनल अब ग्रामीणों की इन आपत्तियों की जांच करेगा जिसे पहले अनसुना कर दिया गया। 

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