क्या देश में शहरी रोजगार गारंटी कानून से बदलेंगे हालात?

देश में शहरी रोजगार गारंटी कानून आए, इसके लिए पिछले साल राज्यसभा में संसद सदस्य बिनॉय विश्वम ने एक निजी विधेयक पेश किया

By Rajit Sengupta

On: Thursday 21 September 2023
 

 

देश में शहरी रोजगार गारंटी कानून आए, इसके लिए पिछले साल राज्यसभा में एक निजी विधेयक पेश करने वाले संसद सदस्य बिनॉय विश्वम ने राजित सेनगुप्ता से बात की कि इस विधेयक से कैसे बेरोजगारी संकट का हल निकलेगा - 

 

 

संसद सदस्य बिनॉय विश्वमपिछले साल आपको निजी विधेयक पेश करने के लिए किसने प्रेरित किया?

देश के सांसद हों या आम लोग, सभी मानते हैं कि बेरोजगारी बढ़ रही है, खासकर युवाओं में। भारत में पिछले चार दशकों में बेरोजगारी की इतनी ऊंची दर नहीं देखी गई है। वर्तमान स्तर की तुलना 1950-70 के दशक से की जानी चाहिए। उस समय मैं एक युवा आंदोलन का हिस्सा था, जहां देश भर से हजारों बेरोजगार लोग संसद के बाहर विरोध प्रदर्शन करने के लिए नई दिल्ली आए थे। हमारा नारा था “नौकरी या जेल”। एक बार फिर हम उसी हताशा की स्थिति में हैं। यह स्थिति तब है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था, जबकि वास्तविकता यह है कि बेरोजगार आबादी केवल बढ़ी है।

यह बिल केवल अकुशल और अर्द्ध-कुशल कार्य की बात करता है। क्या यह शिक्षित युवाओं में बेरोजगारी को रोकने में सक्षम होगा?

यह विधेयक संसद में चर्चा शुरू करने के लिए पहला कदम है। विधेयक का अंतिम आकार अधिक विकसित और पूर्ण होगा। मैं यह समझने के लिए हितधारकों के साथ लगातार परामर्श कर रहा हूं कि विधेयक को कैसे बेहतर बनाया जाए। जब संसद में विधेयक पर चर्चा होगी तो मैं संशोधन का प्रस्ताव रखूंगा। मुझे यकीन है कि सभी दलों के साथी सांसद भी योगदान देंगे और विधेयक में सुधार करेंगे।

राजस्थान और केरल की हमारी रिपोर्ट से पता चलता है कि गारंटीशुदा रोजगार पर राज्य-स्तरीय योजनाओं को ग्रामीण की तुलना में शहरी क्षेत्रों में कम तरजीह मिल रही है। क्या आप सहमत हैं?

हर बेरोजगार व्यक्ति आजीविका के साधन की तलाश कर रहा है। इसलिए मैं ग्रामीण और शहरी या शिक्षित और अशिक्षित के बीच इस विभाजन से सहमत नहीं हूं। चर्चा इस बात पर होनी चाहिए कि रोजगार को सभी के लिए बुनियादी अधिकार कैसे बनाया जाए।

हमने पाया कि राज्य सरकारें गारंटीशुदा रोजगार योजनाओं के लिए पर्याप्त धनराशि आवंटित नहीं कर रही हैं। ऐसा क्यों है?

इस पर मुझे आश्चर्य नहीं है। देश में केंद्रीय बजट से राज्यों का हिस्सा लगातार कम किया जा रहा है। इस वजह से राज्यों की कल्याणकारी योजनाओं पर असर पड़ रहा है। ऐसे में यदि एक केंद्रीय अधिनियम बनेगा तो इससे राज्य सरकारों पर वित्तीय बोझ कम होगा।

क्या आज की बेरोजगारी का कारण बढ़ती युवा आबादी है?

भारत भाग्यशाली है कि उसके पास बड़ी कामकाजी आबादी है। देश को इसका उपयोग करने और विकास को गति देने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इसके बजाय, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम का बजट कम होता जा रहा है। यह तभी बदलेगा जब लोग इसका मुद्दा उठाएंगे और अगुवाई करेंगे।

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