गोल्डमैन सैक्स ने बताया एआई से दो तिहाई नौकरियों को खतरा, जानिए 2025 तक चौथी क्रांति से क्या होगा हश्र
2025 तक स्वचालन (आटोमेशन) से 8.5 करोड़ लोगों के नौकरी गंवाने के अनुमान है।
On: Sunday 28 August 2022
आर्टिफिशियल इंटलिजेंस (एआई) का लगातार हो रहा विकास दुनियाभर की लेबर मार्केट के लिए एक संभावित खतरा बनकर उभर रहा है। रिसर्च संस्था गोल्डमैन सैक्स की एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि यूएस और यूरोपियन यूनियन की दो तिहाई नौकरियां किसी न किसी रूप में एआई ऑटोमेशन के जरिए प्रभावित होंगी। हालांकि, रिसर्च रिपोर्ट में एआई को आर्थिक वृद्धि की बढ़त के लिए एक टूल भी माना गया है। रिपोर्ट के मुताबिक दस वर्षों में सालाना जीडीपी 7 फीसदी तक बढ़ सकती है। एआई के चलते लेबर कॉस्ट में बचत होगी, नई नौकरियां बनेंगी और उच्च उत्पादकता इस आर्थिक वृद्धि को बढाएगी। रिसर्च के मुताबिक एआई सभी क्षेत्रों में लोगों के जरिए होने वाले काम को प्रभावित करेगा। इसका अर्थ यह हुआ कि एआई के रूप में चौथी क्रांति हमें महामारी की तरह एक और बड़ी पीड़ा भविष्य में दे सकती है। पढ़िए डाउन टू अर्थ के प्रबंध संपादक रिचर्ड महापात्रा का लेख :
नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी को तीन साल हो चुका है और लोगों के बाजारों की ओर लौटने से हमें अपने जीवन में सामान्य स्थिति बहाल होने का अहसास हो रहा है। लेकिन एक हमारे मन में एक असहज भाव बना हुआ है, जो हमें डराता रहता है।
पड़ोस की किराने की दुकान से लेकर शॉपिंग मॉल्स तक में लगे कर्मचारियों की संख्या में कमी स्पष्ट रूप से समझी जा सकती है। ये हालात चौथी औद्योगिक क्रांति के बाद की स्थितियों से मेल खाते हैं।
हमने पूर्व में ऐसी तीन प्रमुख क्रांतियों को अनुभव किया है : पहली, औद्योगिक क्रांति जिसमें हमारी उत्पादन प्रक्रिया के मशीनीकरण के लिए पानी और भाप का उपयोग किया गया था; दूसरी, जिसमें भारी उत्पादन को संभव बनाने के लिए बिजली का उपयोग किया गया था; और तीसरी, हमारे जीवन और समय के डिजिटलीकरण के साथ काम करने से जुड़ी है।
चौथी क्रांति तीसरी पर ही आधारित है और हमारे संवाद, उपयोग या उत्पाद से जुड़ी हर वस्तु के स्वाचलन (आटोमेशन) की ओर बढ़ रही है। महामारी का प्रकोप तेजी से फैला है। वहीं महामारी की तरह ही, चौथी क्रांति भी अप्रत्याशित है। शुरुआती तीन की तुलना में, यह क्रांति हर तबके, क्षेत्र और देश को प्रभावित करेगी।
इस क्रांति की एक दशक पहले से चर्चा हो रही थी- अक्सर इसे काल्पनिक बताकर खारिज कर दिया जाता था। लेकिन वर्तमान में इसकी पैठ जमाने की तेज रफ्तार के कारण खासी चर्चाएं हो रही हैं। हालांकि हम सुनिश्चित नहीं हैं कि यह कैसे हमें प्रभावित करेगी।
महामारी ने इसके लिए सही प्रोत्साहन देने वाला माहौल उपलब्ध कराया है। एक विश्व जो कम से कम सामाजिक संपर्क के साथ आगे बढ़ रहा है, वहां पर स्वचालन से अनुकूलन का रास्ता तैयार हो रहा है।
यह विनाशकारी है
महामारी के बाद के दौर में, दुनिया का असंगठित और अकुशल कार्यबल सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। इससे भारत जैसे देश के लिए, जहां 90 प्रतिशत से ज्यादा कार्यबल असंगठित क्षेत्र में हैं, असमानता की स्थिति और भी गंभीर हो जाएगी। कई लोग चौथी क्रांति को कामगारों के लिए ‘दोहरी विनाशकारी’ करार देते हैं।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी के अनुसार, अप्रैल, 2021 में रोजगार गंवाने वाले 12.2 करोड़ भारतीयों में से 75 प्रतिशत छोटे कारोबारी और दिहाड़ी मजदूर थे। कारोबार के सामान्य स्तर पर आने के साथ, विश्व ने अपने कामकाज का तरीका बदल लिया है।
नए विश्व में ज्यादा अकुशल असंगठित कामगारों की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि मशीनों और स्वचालित प्रणालियों ने ज्यादा दक्षता के साथ उनकी जगह ले ली है। वहीं वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा पेश फ्यूचर ऑफ जॉब्स, 2020 रिपोर्ट में कहा गया : “43 प्रतिशत व्यवसायों के सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि वे तकनीक एकीकरण के चलते अपने कार्यबल में कमी करने की तैयारी में हैं, 41 प्रतिशत की विशिष्ट कार्यों के लिए अपने यहां ठेकेदारों का उपयोग बढ़ाने की योजना है और सिर्फ 34 प्रतिशत की तकनीक एकीकरण के चलते अपने कार्यबलों की संख्या में विस्तार की योजना है।”
2025 तक, चौथी क्रांति हमें कुछ इस तरह प्रभावित करेगी : “मानव और मशीनों द्वारा किए गए वर्तमान कार्यों पर लगने वाला समय समान होगा।” इस क्रांति की “तेज गति” कुछ ऐसी है, जिससे स्पष्ट रूप से भविष्य में अकुशल और कम कौशल वाले लोगों के लिए नौकरियां पैदा होना बंद हो जाएंगी।
इसका मतलब है कि भारी भरकम असंगठित कार्यबल को रखना महज निरर्थक होगा।
जैसा कि उक्त रिपोर्ट का अनुमान है, कार्यों के इंसान से मशीनों की ओर हस्तांतरित होने के परिणाम स्वरूप 2025 तक 8.5 करोड़ लोग अपनी नौकरियां गंवा देंगे। दूसरी तरफ, 9.7 करोड़ नई नौकरियां सिर्फ सही कौशल वाले लोगों और मशीनों के लिए ही उपयुक्त होंगी। इस प्रकार, नई व्यवस्था में आर्थिक संकट की तुलना में नौकरियों से ज्यादा लोगों का विस्थापन देखने को मिलेगा, जैसा हमने अभी अनुभव किया है।
लाखों लोगों के कार्यबल में जुड़ने, लेकिन उनके लिए अवसर नहीं होने की स्थिति में क्या होता है? भारत में वर्तमान हालात के बारे में कहा जा सकता है कि यहां का आर्थिक विकास रोजगार विहीन है। कल्पना कीजिए, स्वचालन अभियान से अवसर और भी घटने जा रहे हैं।
भारत विकास के वितरण में सबसे ज्यादा असमानता की स्थिति वाले दुनिया के प्रमुख देशों में से एक है। इससे पहले से ही परेशान लोग और भी प्रभावित होंगे। कुल मिलाकर यह विभाजन और भी गहरा हो गया है।