आईएलओ ने कहा 2024 में बढ़ सकती है वैश्विक बेरोजगारी दर

उच्च और लगातार बनी हुई मुद्रास्फीति दरों के साथ-साथ बढ़ती आवास लागत के कारण वास्तविक मजदूरी और जीवन स्तर में गिरावट की भरपाई जल्दी होने की संभावना नहीं है।

By Nandita Banerji

On: Thursday 11 January 2024
 
Photo: iStock

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अनुसार, 2024 में वैश्विक बेरोजगारी दर में थोड़ी वृद्धि होने की उम्मीद है। आईएलओ के मुताबिक इस वर्ष अतिरिक्त 20 लाख श्रमिक रोजगार की तलाश करेंगे। संगठन ने श्रम बल भागीदारी दर में गिरावट और रोजगार वृद्धि में मंदी का भी अनुमान लगाया है, जिससे वैश्विक बेरोजगारी दर 2023 में 5.1 प्रतिशत से बढ़कर 2024 में 5.2 प्रतिशत हो सकती है।

10 जनवरी, 2024 को जारी की गई रिपोर्ट वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक ट्रेंड्स 2024 में कहा गया है कि असमान श्रम बल भागीदारी, बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में संभावित व्यवधान और उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में उच्च ब्याज दरें नौकरी के अंतर को बढ़ाने में भूमिका निभा सकती हैं।

2023 में विशेष रूप से निम्न-मध्यम-आय और उच्च-आय वाले देशों में श्रम बाजार भागीदारी दर महामारी के निचले स्तर से काफी हद तक उबर गई थी। हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार श्रम बाजार समूहों के बीच महत्वपूर्ण मतभेद बने रहे, खासतौर से उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में, जिससे श्रम बाजार में असंतुलन बढ़ा।

वहीं, 2019 में औसत कामकाजी घंटे महामारी-पूर्व स्तर से नीचे बने रहे, जिससे कुल उपलब्ध श्रम इनपुट कम हो गया।

आईएलओ ने बताया कि 2023 में वैश्विक नौकरी का अंतर कम हुआ, लेकिन लगभग 43.5 करोड़ के उच्च स्तर पर बना रहा। संगठन के मुताबिक उच्च और लगातार बनी हुई मुद्रास्फीति दरों के साथ-साथ बढ़ती आवास लागत के कारण वास्तविक मजदूरी और जीवन स्तर में गिरावट की भरपाई जल्दी होने की संभावना नहीं है।

9 जनवरी, 2024 को, विश्व बैंक ने चेतावनी दी कि वैश्विक अर्थव्यवस्था वर्ष के अंत तक खराब प्रदर्शन देख सकती है - जो 30 वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि का सबसे धीमा आधा दशक है। इसमें कहा गया है कि बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए नए निकट अवधि के जोखिम पैदा कर सकते हैं और दुनिया तीन दशकों में सबसे धीमी जीडीपी वृद्धि का अनुभव कर सकती है।

आईएलओ ने रिपोर्ट में कहा:

धीमी उत्पादकता वृद्धि की अवधि के दौरान वास्तविक प्रयोज्य आय और वास्तविक मजदूरी सडेन प्राइस शॉक के प्रति संवेदनशील होती हैं। केवल कुछ ही फर्मों ने अपने मुनाफे में तेजी देखी है, अधिकांश कर्मचारी अपनी कमाई में अधिक वृद्धि की मांग करने में असमर्थ रहे हैं, और इसलिए उन्हें और उनके परिवारों को अपनी वास्तविक खर्च योग्य आय में तेजी से गिरावट का सामना करना पड़ रहा है।

आईएलओ ने कहा कि 2023 में जीडीपी अनुमान से अधिक लचीली साबित हुई। 2023 में मुद्रास्फीति का दबाव कम हुआ लेकिन ऊंचा बना रहा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी से पहले के स्तर पर श्रम बल की भागीदारी दर की वापसी असमान रही है और सभी श्रम बाजार समूहों को समान रूप से लाभ नहीं हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि निकट भविष्य में श्रम बाजार का परिदृश्य खराब होने की आशंका है।

आर्टिफिशिएल इंटलिजेंस की शुरूआत और लोकप्रियता समस्या को बढ़ा सकती है, क्योंकि आईएलओ  ने कहा है कि तकनीकी प्रगति में तेजी लाकर श्रम बाजार समायोजन का और परीक्षण किया जाएगा।

बढ़ता भू-राजनीतिक तनाव उन कारकों में से एक था जो रोजगार चुनौतियों को बढ़ा सकता है। आईएलओ ने इजराइल-हमास संघर्ष से उत्पन्न होने वाले आर्थिक, रोजगार और सामाजिक जोखिमों और संबंधित प्रभावों, जैसे शरणार्थी संकट के पैमाने और पड़ोसी पश्चिम एशियाई देशों और यूरोप पर प्रभाव पर प्रकाश डाला।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में संभावित व्यवधान एक और बड़ा जोखिम है। वैश्विक अर्थव्यवस्था अत्यधिक परस्पर जुड़ी हुई है और क्षेत्रीय विकास से दूर है। आईएलओ ने संयुक्त राज्य अमेरिका जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में उच्च ब्याज दरों की भूमिका को भी सामने लाया, जिसका वैश्विक विकास पर तीव्र प्रभाव पड़ सकता है।

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