लॉकडाउन की तुलना में अर्थव्यवस्था के लिए दोगुना हानिकारक होगा संक्रमण को फैलने देना

शोध के अनुसार लॉकडाउन की मदद से आर्थिक हानि को सीमित किया जा सकता है, लेकिन संक्रमण फैलने से अर्थव्यवस्था को अधिक नुकसान पहुंच सकता है

By Lalit Maurya

On: Monday 04 May 2020
 

अब से करीब 4 महीने पहले कोरोनावायरस (कोविड-19) दुनिया भर में फैलना शुरू हुआ था। जिसके दुनिया भर में 35 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। वहीं यह करीब 2.5 लाख लोगों की जान ले चुका है। इससे बचने के लिए दुनिया भर में सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) और लॉकडाउन जैसे उपाय अपनाये गए हैं। पर समस्या यह है कि अब करीब 4 महीन बीत चुके हैं और अभी तक इसकी कोई दवा नहीं बन सकी है।

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि कितनी और अवधि तक लॉकडाउन बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि इसके चलते भारी आर्थिक हानि भी हो रही है। जोकि कमजोर अर्थव्यवस्था वाले देशों के लिए एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में वो देश दुविधा में है कि लॉकडाउन को हटाएं या नहीं। उनके सामने एक तरफ कुआं है तो एक तरफ खाई। हालांकि कुछ देश चरणबद्ध तरीके से इसमें छूट दे रहे हैं, लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या आर्थिक संकट को रोकने की एवज में हम बीमारी फैलने के जोखिम उठा सकते हैं। इसी सवाल का जवाब ढूंढ़ता एक अध्ययन यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैंब्रिज ने प्रकाशित किया है| जिसमें इससे जुड़े आर्थिक नुकसान पर प्रकाश डाला गया है।

इस शोध के अनुसार यदि लॉकडाउन जारी न रखा और सामाजिक दूरी का पालन नहीं होता तो इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। इसके अनुसार अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बुरी बात यह होगी कि इस बीमारी को रोकने के लिए कोई प्रयास न किया जाए। ऐसे में लॉकडाउन को जल्द खत्म करना भी हानिकारक हो सकता है। शोध के अनुसार बीमारी को रोकने का प्रयास न करने से लॉकडाउन की तुलना में दोगुना नुकसान उठाना पड़ सकता है।

यदि सामाजिक दूरी का ख्याल न रखा गया तो अर्थव्यवस्था को होगा 30 फीसदी का नुकसान

शोधकर्ताओं का मानना है कि हालांकि यह शोध अमेरिकी के आर्थिक और जनसंख्या सम्बन्धी डेटा पर आधारित है, लेकिन इसके निष्कर्ष दुनिया की ज्यादातर बड़ी अर्थव्यवस्थाओं पर लागु होते हैं। इस अध्ययन से जुड़े शोधकर्ता और कैम्ब्रिज में अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर गियानकार्लो कोर्सेट्टी ने बताया कि यदि बीमारी को फैलने के लिए छोड़ दिया जाये, तो वह उन क्षेत्रों और उद्योगों को भी प्रभावित करेगी जो इकॉनमी को चलने के लिए जरुरी हैं।

इस अध्ययन में स्वस्थ्य, ऊर्जा, खाद्य, ट्रांसपोर्ट, ऊर्जा और स्वच्छता से जुड़े लोगों को कोर ग्रुप में रखा गया है| अध्ययन का मानना है कि यदि इस कोर ग्रुप के कार्यकर्ताओं की कमी होती है तो वो अर्थव्यवस्था को ज्यादा नुकसान पहुंचाएगी| शोधकर्ताओं का अनुमान है कि यदि लॉकडाउन न किया जाये और सामाजिक दूरी का ध्यान न रखा जाये तो अर्थव्यवस्था करीब 30 फीसदी घट जायेगी| जबकि यदि 15 फीसदी कोर श्रमिक और 40 फीसदी अन्य लोग घर से काम करते रहते हैं| साथ ही सामाजिक दूरी का ध्यान भी रखा जाता है तो आर्थिक उत्पादन में करीब 15 फीसदी की ही गिरावट आएगी| ऐसे में स्पष्ट है कि बचाव के उपाय करने से आर्थिक नुकसान को आधा किया जा सकता है|

कोर्सेट्टी के अनुसार यदि लम्बे समय तक सामाजिक दूरी बनाई रखी जाये जिसमें कोर वर्कर एक्टिव रह सकते हैं| तो इस तरह से ने केवल जान को होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है| साथ ही इसकी मदद से आर्थिक नुकसान को भी सीमित कर सकते हैं|" उनके अनुसार जो लोग काम नहीं कर रहे या फिर कोर ग्रुप से सम्बन्ध नहीं रखते यदि लॉकडाउन सम्बन्धी नीतियां उनपर लागु की जाये तो यह अर्थव्यवस्था के लिए अधिक फायदेमंद होगा|

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