आर्थिक सर्वेक्षण : सरकार ने कहा लॉकडाउन में परिवारों ने किया दाल की स्टॉकिंग इसलिए बढ़े दाम 

सरकार ने खुद पहली बार लॉकडाउन के बाद पीडीएस के तहत एक किलो दाल का वितरण 80 करोड़ लोगों को किया, जिसका आधार यही था कि लोगों के पास प्रोटीन स्रोत के लिए दालों का इतंजाम नहीं हैं। 

By Vivek Mishra

On: Monday 31 January 2022
 

"2020-21 में कोविड प्रतिबंधों के बीच दालों की आपूर्ति बाधित होने और लॉकडाउन के दौरान परिवारों के जरिए दालों की स्टॉकिंग किए जाने के कारण दालें महंगी हो गई थीं।"  
 
यह बात आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में कही गई है। केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने 31 जनवरी को संसद में आर्थिक समीक्षा 2021-22 पेश किया है। समीक्षा रिपोर्ट का दूसरा भाग जो बजट और आलोचनात्मक दृष्टि वाला होता है उसे इस बार सर्वेक्षण में नहीं रखा गया है। 
 
दालों की महंगाई को लेकर परिवारों के जरिए दालों की स्टॉकिंग का तर्क काफी उलटबासी भरा है। दरअसल जब देश में 2020 में कोविड-19 की पहली लहर के दौरान राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाया गया तो सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत पहली बार 80 करोड़ से ज्यादा गरीबों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से प्रतिमाह एक किलो दाल बांटने का निर्णय लिया था। 
 
यह निर्णय इसीलिए लिया गया था क्योंकि 2020-21 में दालों की महंगाई के कारण परिवार उन्हें खरीदने में देश का बड़ा तबका असमर्थ था। यह ध्यान देने लायक है कि देश की बड़ी आबादी दालों से प्रोटीन की सिफारिशी खुराक हासिल नहीं कर पाती। ऐसे में गरीब परिवारों के जरिए स्टॉकिंग की बात संदेहास्पद है। 
 
सरकार के पीएमजीकेएवाई के तहत पीडीएस के जरिए दाल वितरण की शुरुआत अप्रैल 2020 में की गई, जिसमें क्षेत्रीय प्राथमिकताओं को ध्यान रखना था लेकिन नवंबर 2020 तक हुए वितरण में में सिर्फ चना दाल ही शामिल रही और जो बाद में बफर स्टॉक में कम होने और अन्य कारणों से गायब हो गई। 
 
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के अनुसार, भारत में पुरुषों और महिलाओं के लिए रेकमेंडेड डाइटरी अलाउंस (आरडीए) प्रतिदिन क्रमश: 60 और 55 ग्राम दाल है। राष्ट्रीय पोषण संस्थान ने साल 2011 में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 80 ग्राम दाल और साल में 29.2 किलो ग्राम खाने की अनुशंसा की थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी भारत में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 80 ग्राम दाल खाने की वकालत करता है। लेकिन क्या भारतीय अनुशंसित दाल की मात्रा का सेवन कर रहे हैं? जवाब है नहीं? क्योंकि दालों की प्रतिदिन प्रति व्यक्ति उपलब्धता केवल 55 ग्राम ही है। अगर 1951 की बात करें तो यह उपलब्धता 60.7 ग्राम प्रति व्यक्ति प्रतिदिन थी। 
 
बहरहाल सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण में अपनी पीठ थपथपाते हुए कहा है कि आपूर्ति ठीक होने और बेहतर प्रबंधन के कारण आवश्यक वस्तुओं की कीमते 2021-22 में  ंनियंत्रित  हो गई हैं। वहीं, म्यामांर से पांच वर्ष के लिए आयात करार, स्टॉक लिमिट जैसे कदमों का हवाला देते हुए कहा है कि यह आगे दाल की कीमतों को नियंत्रित रखेगा।   

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