भारत में शिखर पर पहुंचा नारियल के रेशों और उससे बने उत्पाद का निर्यात

भारत द्वारा पिछले वर्ष की तुलना में 2019-20 में 24,950 मीट्रिक टन ज्यादा नारियल के रेशों और उससे बने उत्पाद का निर्यात किया था 

By Lalit Maurya

On: Wednesday 15 July 2020
 

देश में नारियल के रेशों (कॉयर) और उससे बने उत्पादों के निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई है| जोकि 2019-20 में शिखर पर पहुंच गया है| सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार 2019-20 में 2757.90 करोड़ रुपये का रिकॉर्ड निर्यात किया गया था| जोकि पिछले वर्ष से करीब 30 करोड़ रुपए ज्यादा है| गौरतलब है कि 2018-19 में यह निर्यात 2728.04 करोड़ रुपये का था|

आंकड़ों के अनुसार जहां 2019-20 में नारियल के रेशों और उसके उत्पाद का 9,88,996 मीट्रिक टन निर्यात किया गया था| जोकि पिछले वर्ष के मुकाबले 24,950 मीट्रिक टन ज्यादा है| जहां एक ओर रेशे से बने उत्‍पाद जैसे कॉयर पिथ, टफ्ड मैट, जियो-टेक्सटाइल्स, रग्स, कालीन, रस्सी और पावर-लूम मैट के निर्यात की मात्रा और कीमत दोनों में वृद्धि दर्ज की गई| वहीं हैंड-लूम मैट, कॉयर यार्न, रबराइज्ड कॉयर और पावर-लूम मैटिंग जैसे उत्पादों के निर्यात की मात्रा में गिरावट दर्ज की गई है| इसके बावजूद उनकी कीमतों में भी वृद्धि देखी गई है|

कॉयर पिथ, टफ्ड मैट, जियो-टेक्सटाइल्स, रग्स, कालीन और रस्सी की ज्यादा रही मांग

अच्छी बात यह रही की निर्यात के साथ-साथ देश में भी कॉयर और उससे बने उत्‍पादों की बिक्री में तेजी बनी रही| और निर्यात के साथ-साथ घरेलु बाजार में भी इसकी मांग लगातार बनी रही थी| निर्यात में सबसे ज्यादा योगदान कॉयर पिथ का रहा| जिसका कुल निर्यात 1349.63 करोड़ रुपये का था| जोकि कुल कॉयर निर्यात की कमाई का 49 फीसदी है| जबकि इसके बाद कॉयर फाइबर की हिस्सेदारी है, जोकि कुल निर्यात का करीब 18 फीसदी था| जिसकी कीमत 498.43 करोड़ रुपये थी| वहीं कॉयर से बने तैयार उत्पादों की कुल निर्यात में हिस्सेदारी 33 फीसदी की रही| जिसमें 20 फीसदी के साथ टफड मैट सबसे ऊपर था|

भारत द्वारा कॉयर और उसके उत्‍पादों का निर्यात समुद्री मार्ग से किया जाता है| इनका ज्यादातर निर्यात (करीब 99 फीसदी) तूतीकोरीन,चेन्‍नई और कोच्‍चि के बंदरगाह से होता है। जबकि कुछ निर्यात विशाखापत्‍तनम, मुबंई और कोलकाता आदि बंदरगाहों से किया जाता है| 

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