नेपाल में लॉकडाउन, उत्तराखंड में फंसे सैकड़ों नेपाली मजदूर
इन मजदूरों को रातभर काजी हाउस और श्मशान घाट के विश्राम गृह में रात गुजारनी पड़ी है
On: Monday 30 March 2020
कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लॉकडाउन के बाद समूचे देश में इन दिनों मजदूरों के पलायन का नजारा आम है। सिर्फ देश के भीतर ही नहीं बल्कि उत्तराखंड में काम करने वाले हजारों नेपाल के मजदूर भारतीय सीमा में ही फंस गए हैं। वहीं नेपाल का सख्ती से की गई “ना” के बाद अब इन मजदूरों को भारतीय सीमा में ही रहना होगा।
बीते दो दिनों से पिथौरागढ़ जिले के धारचूला में नेपाल के लिए पलायन करने वाले इन मजदूरों की संख्या 200 से बढ़कर 800 के करीब पहुंच गई। दो दिनों से नेपाल को जोड़ने वाले झूला पुल पर नेपाल की हां का इंतजार करते मजदूरों ने बिस्किट खाया और काली नदी का पानी पीकर रात गुजारी। कई नेपाली मजदूरों ने बॉर्डर न खुलने की वजह से 29 मार्च को हताश होकर गुस्से में नारे और पत्थर भी फेंके। स्थानीय निवासियों के मुताबिक इन मजदूरों को रातभर काजी हाउस और श्मशान घाट के विश्राम गृह में रात गुजारनी पड़ी है।
धाराचूला एसडीएम अनिल कुमार शुक्ला ने डाउन टू अर्थ से कहा कि नेपाल सीमा पुल के पास 500 से अधिक नेपाल मजदूर एकत्र हुए हैं। हमारे वरिष्ठ अधिकारियों ने नेपाल के काठमांडू में सीमा खोलने को लेकर बातचीत की थी। हालांकि, नेपाल ने स्पष्ट कहा है कि वह 7 अप्रैल, 2020 तक पूर्ण लॉकडाउन में रहेंगे। ऐसे में अभी किसी भी व्यक्ति को नेपाल में इंट्री नहीं दी जाएगी।
भारतीय सीमा में स्थिति अनियंत्रित होने के बाद नेपाल के इन मजदूरों को अब मदद देने की कवायद शुरू हुई है। स्थानीय लोगों और कुछ संस्थाओं के जरिए इन्हें राशन मुहैया कराया जा रहा है। एसडीएम अनिल कुमार शुक्ला ने दावा किया कि सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर अब ध्यान रखा जा रहा है और इनकी स्क्रीनिंग की गई है। फिलहाल इनमें से कोई अस्वस्थ्य नहीं है। इन मजदूरों को तीन भागों में बांटा गया है। कुछ धारचूला में रुकेंगे बाकी दो समूहों को अलग-अलग स्थानों पर रुकवाया जाएगा। इनके खाने-पीने की भी व्यवस्था की जा रही है।
पिथौरागढ़ में मजदूरों की बड़ी तादाद एक जगह जब जुटी तो नोवेल कोविड 19 से बचाव के नियम टूट गए। स्थानीय निवासी रवीश पाटियाल ने डाउन टू अर्थ से कहा कि दो दिन पहले ही कुछ मजदूर आए थे जो कि नेपाल के धारचूला सीमा से अपने देश चले गए। हालांकि इसके बाद से नेपाल की सीमा बंद है। अब कहा जा रहा है कि लॉकडाउन के दौरान प्रवेश नहीं दिया जाएगा। हम सभी स्थानीय नागरिक इनके लिए मदद कर रहे हैं। यहां एसएसबी तैनात है, जो इनकी देख-रेख कर रही है।
रवीश पाटियाल ने बताया कि यह नेपाली मजदूर उत्तराखंड के अलग-अलग स्थानों से आए हैं। भारत में लॉकडाउन के कारण इनके ठेकेदारों ने इन्हें कुछ पैसा देकर भगा दिया। ज्यादातर मजदूर शहरों मे काम करते हैं लेकिन यहां बड़े स्तर पर हो रहे सड़क निर्माण आदि में भी मजदूरों की अच्छी खासी संख्या नेपाल से काम करने के लिए आती है। पिथौरागढ़ प्रशासन को इस तरह के अफरा-तफरी की उम्मीद नहीं थी।