सैंकड़ों किमी पैदल चल कर गांव आ रहे प्रवासी, डूंगरपुर बॉर्डर पर 4 दिन में आए 18 हजार प्रवासी

गुजरात में रहने वाले राजस्थान के प्रवासी मजदूर भी डूंगरपुर के रास्ते वापस अपने घरों में पहुंच रहे हैं

By Madhav Sharma

On: Thursday 26 March 2020
 

सिलिकोसिस यानी अपनी ही सांसों के लिए रोजाना जद्दोजहद। 24 मार्च को रात 8 बजे जैसे ही लॉक डाउन हुआ, करौली जिले के रहने वाले रामफल (64) जयपुर के एक निजी अस्पताल जवाहर लाल नेहरू अस्पताल में फंस गए। अस्पताल ने उन्हें 23 मार्च को डिस्चार्ज कर दिया था। कोई राहत ना मिलती देख रामफल के साथ गए बड़े भाई जौहर (68) और भाभी ऊगन्ती बाई पैदल ही जयपुर से पैदल ही करौली के लिए रवाना हो गए। ना तो उनके पास खाना का कोई सामान था और ना ही इतने पैसे कि पेट भर तीनों खाना खा सकें।

24 की रात को बस्सी गांव में किसी परिवार ने रात का खाना तीनों को खिलाया था। 25 मार्च को सुबह 7 बजे तीनों लोग मुझे दौसा जिले के लालसोट के पास गांव रामगढ़-पदवाड़ा में मिले। सिलिकोसिस के मरीज सांस में तकलीफ के कारण ज्यादा चल नहीं सकते, लेकिन रामफल और उनके बुजुर्ग भाई-भाभी  ने एक रात में करीब 100 किमी का सफर तय कर लिया था।तीनों के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं था। काफी देर इंतजार के बाद एक ट्रैक्टर रुकवा कर तीनों को बिठाया। हालांकि लालसोट से उन्हें वापस पैदल ही करौली से 20 किमी दूर अपने गांव ससेड़ी पहुंचना है।

गुजरात में रहने वाले राजस्थान के प्रवासी मजदूर भी डूंगरपुर के रास्ते वापस अपने घरों में पहुंच रहे हैं। रतनपुर बॉर्डर पर हजारों की संख्या में मजदूर लोग वापस आने के लिए जमा हो गए हैं। ज्यादा भीड़ हो जाने के बाद डूंगरपुर प्रशासनरोडवेज बस और जीपों से लोगों को उनके घरों तक पहुंचा रहा है। रतनपुर बॉर्डर पर डूंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर और बांसवाड़ा सहित कई जिलों के मजदूर इकठ्ठा हो रहे हैं। डूंगरपुर में सामाजिक कार्यकर्ता मानसिंह के अनुसार ये वही संख्या है जो मुख्य बॉर्डर तक आए हैं। इसके अलावा सैंकड़ों मजदूर गुजरात की अन्य सीमाओं से अलग-अलग गांवों में प्रवेश कर चुके हैं। ऐसे लोगों की संख्या का पता लगाना बेहद मुश्किल है।

गुजरात से आने वाले लोगों की जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग स्क्रीनिंग भी नहीं कर पा रहा है। लोगों का टेम्परेचर मापकर, उनका नाम-पता लिखकर उन्हें आगे भेजा जा रहा है।

हालांकि डूंगरपुर स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सीएमएचओ (परिवार कल्याण) इस बात से इंकार करते हैं। वे कहते हैं, ‘गुजरात से आने वाले सभी लोगों की स्क्रीनिंग की जा रही है और उन्हें घरों में रहने की हिदायत से साथ उनके गांवों तक पहुंचाया जा रहा है।’

डूंगरपुर नगर परिषद के सभापति के.के गुप्ता ने डाउन-टू-अर्थ को बताया कि जिला परिषद की तरफ से जो गाड़ियां गुजरात से आए लोगों के लिए लगाई गई हैं उन्हें पूरी तरह सेनिटाइज किया जा रहा है। पूरे शहर में भी केमिकल स्प्रे किया जा रहा है। शहर में आने वाले लोगों को मास्क दिया जा रहा है।

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