लॉकडाउन ग्रामीण अर्थव्यवस्था: आदेश के बाद भी थ्रेसिंग मशीन नहीं पहुंची राजस्थान

किसान फसल काट कर खेतों में रख रहे हैं, लेकिन थ्रेसरिंग मशीन नहीं मिलने के कारण पकी हुई फसल खेतों में पड़ी है 

By Madhav Sharma

On: Thursday 02 April 2020
 
Photo: Ravleen kaur

50 साल के गबरू खान के किसानी के अनुभव में यह पहली बार है जब उन्हें सब कुछ ठीक होते हुए भी घर में नई फसल पहुंचने की उम्मीद कम लग रही है। लॉकडाउन के बाद थ्रेसिंग मशीन सरकारी आदेशों के बाद भी गांव तक नहीं पहुंच पा रही है। बंटाई पर खेती करने वाले गबरू को कोरोना से ज्यादा चिंता 6 बीघा खेत में पके गेहूं की फसल के खराब होने की है। कहते हैं, इस बार अच्छा माॅनसून हुआ था। तालाब भरा हुआ था इसीलिए किराए पर इंजन और पानी मिलने का तनाव नहीं था। छह बीघा में गेहूं बंटाई पर किए हैं। फसल काट कर खेतों में रख रहे हैं, लेकिन थ्रेसरिंग मशीन नहीं मिलने के कारण पकी हुई फसल खेतों में पड़ी है। रात में गाय और अन्य जानवर खेतों में चरने आ रहे हैं। अगर अगले कुछ दिनों में थ्रेसर नहीं मिली तो मेरी चार महीने की मेहनत खराब हो जाएगी।

हालांकि राजस्थान सरकार के कृषि विभाग ने 27 मार्च को पंजाब से फसल काटने के लिए आने वाली कम्बाइन हार्वेस्टिंग मशीनों को राजस्थान में आने देने के लिए पंजाब सरकार को पत्र लिखा था। पत्र के बाद पंजाब सरकार कृषि सचिव ने वहां के सभी डिप्टी कमिश्नर को इन मशीनों के राज्य के भीतर आवागमन एवं अन्य प्रदेशों में जाने के लिए आवश्यक अनुमति एवं पास शीघ्र जारी करने के निर्देश दिए हैं।

इस संबंध में राजस्थान कृषि विभाग के प्रमुख शासन सचिव गंगवार ने राज्य के सभी जिला कलक्टरों को गेहूं की फसल की कटाई के लिए कम्बाइन हार्वेस्टरों के अंतरजिला परिवहन की अनुमति देने की बात कही है। उन्होंने कहा कि हार्वेस्टरों के लिए लॉकडाउन के लिए पास जारी किए जा सकते हैं। फसल कटाई में मशीन का अधिक प्रयोग तथा मानव श्रमिकों का कम नियोजन कोविड-19 के संक्रमण को कम करने में भी मददगार है।

उन्होंने हार्वेस्टर के ड्राइवर, क्लीनर, हेल्पर आदि का स्वास्थ्य परीक्षण करते हुए पूरा रिकॉर्ड संधारित करने के निर्देश दिए हैं। लेकिन इन निर्देशों के बावजूद किसानों को अभी तक कोई राहत नहीं मिली है। पूर्वी राजस्थान के धौलपुर जिले की सरमथुरा के किसान गबरू यह कहते हुए फिर से गेहूं काटने लग जाते हैं। ये पीड़ा फिलहाल राजस्थान के लगभग हर किसान की है। पहले बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से फसल खराब हुई। उससे जो फसल बची उसे नोवेल कोरोना की वजह से हुए लॉकडाउन से नुकसान होने की संभावना बन रही है।

सरमथुरा तहसील कार्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार इस तहसील की 22 ग्राम पंचायतों में 110 गांव आते हैं। पूरी तहसील में 19,475 हेक्टेयर भूमि खेती योग्य है। 2019-20 रबी सीजन में कुल 11,989 हेक्टेयर कृषि भूमि पर बुआई हुई है। इसमें से सबसे ज्यादा गेहूं 6041 हेक्टेयर, सरसों 5620 हेक्टेयर, चना 296 हेक्टेयर, जौ 9 हेक्टेयर, राई-आलू एक-एक हेक्टेयर और अलावा रिचका (मवेशी को चराए जाने वाली घास) 21 हेक्टेयर में बोई गई है।

बीते दिनों आई बरसात से कृषि विभाग के अनुसार पांच फीसदी सरसों और 7 फीसदी गेहूं की फसल खराब हुई थी। गबरू की तरह एक और किसान ल्होरे लाल मीणा कहते हैं, मेरे परिवार में सब खेती ही करते हैं। मेरी पांच बीघा खेती पर बीते 5 दिन से फसल कटी हुई पड़ी है। अब न तो इसे सिर पर रखकर गांव ले जाया जा सकता है और न ही यूं ही खेतों में छोड़ा जा सकता। मजबूरी में रातभर यहीं सोना पड़ रहा है। अगर नहीं सोये तो नील गाय और बाकी जानवर कटी हुई फसल खराब कर जाएंगे। गबरू खेती पर हुए अपने खर्चे का हिसाब देते हुए बताते हैं, एक बीघा खेती में कम से कम चार हजार रुपए का खर्चा आता है। इसमें खुद की मजदूरी और बीज शामिल नहीं है। सिंचाई के लिए दूसरे के कुएं से 100 रुपए प्रति घंटा (इंजन खर्चा सहित) अलग से देने पड़े हैं। वह कहते हैं, इस क्षेत्र में पत्थर व्यवसाय प्रमुख काम है, लेकिन लॉकडाउन के कारण सारी मशीनें और खान बंद हैं तो वहां से भी मजदूरी का काम नहीं मिल पा रहा है। गबरू के अलावा गेहूं कटाई में उनकी 14 साल की बेटी आसमीन, पत्नी गोलो (48) और 15 साल का बेटा आसिफ़ भी लगा हुआ है।

राजस्थान में इस बार लक्ष्य से ज्यादा बुआई हुई
राजस्थान में इस रबी सीजन में सरकार के लक्ष्य से अधिक बुआई हुई है। सरकार ने इस बार सभी फसलों के लिए 93.30 लाख हेक्टेयर पर बुआई का लक्ष्य रखा था। किसानों ने 99.06 लाख हेक्टेयर बुआई की। इसमें से 36.86 लाख हेक्टेयर में गेहूं और जौ, 21.59 लाख हेक्टेयर में चना और रबी सीजन में होने वाली दालें, 25.08 लाख हेक्टेयर में राई, सरसों और अलसी की बुआई हुई है। पिछले साल सिर्फ 84.49 लाख हेक्टेयर खेती पर ही बुआई हो पाई थी। 

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