एसओई इन फिगर्स 2023 : हर तीसरा भारतीय परिवार अब भी खाना पकाने के लिए करता है सस्ता और प्रदूषित ईंधन
वहीं, 1999-2000 में महज 5.4 फीसदी ग्रामीण परिवार ही एलपीजी इस्तेमाल कर रहे थे, जबकि शहरी परिवारों की संख्या 44.2 फीसदी थी।
On: Sunday 11 June 2023
देश में हर तीसरा भारतीय परिवार खाना पकाने के लिए अब भी सस्ता और प्रदूषित ईंधन का इस्तेमाल प्राथमिक तौर पर करता है। इस तरह के ईंधन से न सिर्फ आंतरिक वायु प्रदूषण ( इनडोर एयर पॉल्यूशन) होता है बल्कि यह घर के भीतर रहने वालों के फेफड़ों को भी नुकसान पहुंचाता है। यानी श्वसन संबंधी बीमारियों की यह प्रमुख वजह बनता है।
नई दिल्ली स्थित थिंकटैंक सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) की ओर से जारी स्टेट ऑफ एनवायरमेंट रिपोर्ट 2023 (एसओई इन फिगर्स 2023) में यह खुलासा किया गया है।
एसओई इन फिगर्स 2023 रिपोर्ट के मुताबिक भारत में खाना पकाने के लिए 33.8 फीसदी लोग लकड़ी, छाप, फसल अवशेष का इस्तेमाल करते हैं, जबकि 62 फीसदी एलपीजी का इस्तेमाल कर रहे हैं। 3.5 फीसदी ऐसे लोग हैं जो इन विकल्पों के अलावा गोबर के उपलों, सोलर एनर्जी, व अन्य ईंधनों का इस्तेमाल करते हैं और 0.7 फीसदी ऐसे हैं जिनके पास खाना पकाने का कोई इंतजाम नहीं है।
एसओई रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 1999-2000 में जहां 75.5 फीसदी ग्रामीण परिवार सस्ते और प्रदूषित ईंधनों का इस्तेमाल करते थे वहीं, 22.3 फीसदी शहरी परिवार सस्ते और प्रदूषित ईंधनों का इस्तेमाल करते थे। हालांकि, 2020-21 में सस्ते और प्रदूषित ईंधनों के इस्तेमाल के मामले में ग्रामीण परिवारों की संख्या घटकर 46.6 फीसदी हो गई है और शहरी परिवारों की संख्या 6.5 फीसदी।
वहीं, 1999-2000 में महज 5.4 फीसदी ग्रामीण परिवार ही एलपीजी इस्तेमाल कर रहे थे, जबकि शहरी परिवारों की संख्या 44.2 फीसदी थी। दो दशक बाद अब 49.4 फीसदी ग्रामीण परिवार एलपीजी और 89 फीसदी शहरी परिवार एलपीजी इस्तेमाल करते हैं।