सौर नगरी अयोध्या:  “मुफ्त” नहीं है पीएम सूर्यघर, 3 किलोवाट का खर्च तकरीबन 1.80 लाख

चुनाव में मुफ्त बिजली योजना के नाम से पीएम सूर्यघर का प्रचार किया जा रहा है। जबकि 3 किलोवाट के प्लांट की लागत कम से कम 1.80 लाख रुपए है

By Varsha Singh

On: Wednesday 01 May 2024
 
मार्च 2024 में पीएम सूर्यघर के तहत 3 किलोवाट का आरटीएस लगवाने वाले अभिषेक चौधरी। फोटो: वर्षा सिंह

उत्तर प्रदेश के पहले सौर शहर अयोध्या की कौशलपुरी कॉलोनी में इक्का-दुक्का छतों पर ही रूफ टॉप सोलर दिखाई देते हैं। इनमें से एक घर 21 वर्षीय अभिषेक चौधरी का भी है। 22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के एक करोड़ घरों को 3 किलोवाट के रूफ टॉप सोलर (आरटीएस) से रोशन करने का लक्ष्य लेकर “पीएम सूर्यघर-मुफ्त बिजली योजना” घोषणा की। इसके बाद अभिषेक ने सोलर से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए इंटरनेट खंगालना शुरू किया।

“24 मार्च को हमारा 3 किलोवाट का सोलर प्लांट लगा। इसकी कुल लागत 1.90 लाख रुपए आई। जिसमें 1.08 लाख रुपए की सब्सिडी के लिए हमने अप्लाई किया है”। प्लांट लगवाने के लिए इस परिवार ने सोलर वेंडर को 90 हजार रुपए भुगतान किया है। सब्सिडी मिलने पर बाकी रकम का भुगतान होगा।

अभिषेक कहते हैं कि प्लांट लगने के 15 दिनों में ही खपत की तुलना में बिजली 150 यूनिट अधिक हो गई है। वे ऊर्जा उत्पादक बन गए हैं। उनका अनुमान है कि तीन साल में प्लांट की लागत वसूल हो जाएगी। 

इसे मुफ्त बिजली योजना कहने पर वह हंसते हैं कि हमने इसमें निवेश किया है। हमारे प्लांट से जो बिजली बनेगी सरकार उसी को मुफ्त कह रही है।

अभिषेक के घर सौर प्लांट लगाने वाले सोलर वेंडर जितेंद्र द्विवेदी कहते हैं “मोदी जी ने मुफ्त बिजली बोला, मुफ्त सोलर प्लांट नहीं। मुफ्त का प्रचार होने से हमारे पास शहर और गांवों से भी फोन आने लगे। वे ये नहीं जानते थे कि उन्हें प्लांट लगवाने की लागत भी देनी है”।

अयोध्या के साथ लखनऊ के कई सोलर वेंडर ने बताया कि मुफ्त का प्रचार होने से लोग उनसे उलझने लगे कि जिसे सरकार मुफ्त बिजली योजना कह रही है, वे उसके पैसे मांग रहे हैं”।

तीन वर्ष के लिए लाई गई पीएम सूर्यघर योजना में तीन किलोवाट तक सौर प्लांट लगाने पर केंद्र सरकार 78,000 रुपए और उत्तर प्रदेश सरकार 30 हजार रुपए सब्सिडी दे रही है। 3 किलोवाट की अनुमानित लागत लगभग 1.80 लाख रुपए है। सब्सिडी की रकम प्लांट लगने और पूरा भुगतान करने के बाद ही मिलती है। सब्सिडी मिल जाने पर उपभोक्ता का खर्च तकरीबन 72 हजार रुपए होता है। 

एक किलोवाट से एक दिन में 4-5 यूनिट बिजली बनती है। तीन किलोवाट से एक महीने में 300-400 यूनिट बिजली बनेगी।

अयोध्या निवासी कमलेश यादव ने पीएम सूर्यघर योजना से पहले 7 किलोवाट का सोलर प्लांट लगाया है। वह बताते हैं कि प्लांट लगाने के बाद बिजली का बिल नहीं आता सिर्फ मीटर चार्ज देना होता है। फोटो: वर्षा सिंह अयोध्या निवासी कमलेश यादव ने पीएम सूर्यघर योजना से पहले 7 किलोवाट का सोलर प्लांट लगाया है। वह बताते हैं कि प्लांट लगाने के बाद बिजली का बिल नहीं आता सिर्फ मीटर चार्ज देना होता है। फोटो: वर्षा सिंह

 

आचार संहिता लगने के तकरीबन एक महीना पहले आई पीएम सूर्यघर योजना

22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के बाद 13 फरवरी को भारत सरकार ने 75,021 करोड़ रुपए की वित्तीय व्यवस्था के साथ एक करोड़ घरों के लिए पीएम सूर्यघर- मुफ्त बिजली योजना लॉन्च की। रूफ टॉप से जुड़ी इससे पहले की योजनाएं इसमें समाहित कर ली गईं। 16 मार्च को इसकी प्रशासनिक अनुमति मिली और इसकी ड्राफ्ट गाइडलाइन्स जारी की गई। 23 अप्रैल 2024 तक इस पर सुझाव मांगे गए हैं।

लोकसभा चुनाव के लिए देश में 16 मार्च से 4 जून तक देश में आचार संहिता लागू हो गई। इस दौरान सरकारी तंत्र के ज़रिये इस योजना का प्रचार थम गया। सब्सिडी पर भी रोक लग गई। 

भारतीय जनता पार्टी अपनी चुनावी रैलियों में “24 घंटे बिजली, बिजली का बिल ज़ीरो और बिजली से कमाई को” महत्वपूर्ण उपलब्धि के तौर पर गिना रही है। 

इस उपलब्धि को हासिल करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार युद्धस्तर पर जुट गई। सभी विभागों को रजिस्ट्रेशन कराने के टारगेट दिये गए। ताकि योजना लॉन्च होने और आचार संहिता लागू होने के बीच के 30 दिनों में सम्मानजनक रजिस्ट्रेशन नंबर आ जाएं।

पीएम सूर्यघर योजना के बारे में फोन के ज़रिये लोगों को जानकारी दे रही, लखनऊ की सोलर कंपनी की एक कर्मचारी। फोटो: वर्षा सिंहपीएम सूर्यघर योजना के बारे में फोन के ज़रिये लोगों को जानकारी दे रही, लखनऊ की सोलर कंपनी की एक कर्मचारी। फोटो: वर्षा सिंह

 

रजिस्ट्रेशन के लिए झोंकी ताकत

सूर्यघर-मुफ्त बिजली योजना में देश के 1 करोड़ घरों में से उत्तर प्रदेश का टारगेट 25 लाख रखा गया है। वर्ष 2017 में शुरू हुए आरटीएस के पहले चरण और 2019 में शुरू हुए दूसरे चरण में लक्ष्य से काफी पीछे चल रहे राज्य ने इस टारगेट को हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया।

अपेक्षाकृत अधिक सब्सिडी वाली इस योजना से लोगों को जोड़ने के लिए पोस्ट ऑफिस, शिक्षक, आबकारी विभाग, वन विभाग, कृषि विभाग, स्वास्थ्य विभाग समेत जनता से सीधे तौर पर जुड़े 35 से अधिक विभागों को रजिस्ट्रेशन कराने का अलग-अलग टारगेट दिया गया।  पीएम सूर्यघर पोर्टल पर एक करोड़ से अधिक रजिस्ट्रेशन की सूचना उपलब्ध है। कितने प्लांट लगे, ये सूचना उपलब्ध नहीं है? 

अयोध्या प्रधान डाकघर के सहायक पोस्टमास्टर दीपक कुमार बताते हैं “हमारे पोस्ट ऑफिस को 30 हजार रजिस्ट्रेशन का टारगेट दिया गया था। अयोध्या शहर में 32 पोस्टमैन और 81 ब्रांच पोस्ट ऑफिस के शाखा और सहायक शाखा पोस्ट मास्टर को प्रतिदिन 20 रजिस्ट्रेशन का टारगेट दिया गया था”। 

30 दिन में 30 हजार यानी प्रतिदिन हजार रजिस्ट्रेशन का टारगेट कितना पूरा हुआ, ये जवाब नहीं मिल सका।

अयोध्या के साहबगंज क्षेत्र के पोस्टमैन अमित कुमार दुबे 20 दिनों में 132 रजिस्ट्रेशन करा सके। वह कहते हैं “पोस्ट बांटने के साथ-साथ मैंने पूरे मोहल्ले में लोगों को इस योजना की जानकारी दी और पीएम सूर्यघर ऐप पर रजिस्ट्रेशन करवाया। आचार संहिता लगने के बाद यह काम रुक गया”।

अयोध्या के ही एक अन्य वेंडर बताते हैं “टारगेट पूरा करने के लिए आधे-अधूरे रजिस्ट्रेशन किए गए।  इनकी जांच की तो कोई रिकॉर्ड नहीं मिला”, वेंडर अपना नाम जाहिर नहीं करना चाहते। 

उत्तर प्रदेश में सोलर व्यापारियों के संगठन रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट असोसिएशन के अध्यक्ष नीरज वाजपेयी कहते हैं  “हमारे संज्ञान में आया कि लोगों को रजिस्ट्रेशन कराने के लिए पैसे तक दिये गए। इनका डेटा हमारे पास आया तो कुछ लोगों ने रजिस्ट्रेशन से पूरी तरह से अनभिज्ञता जता दी। हमारे संज्ञान में ये भी आया कि सरकारी कर्मचारियों पर भी प्लांट लगाने का दबाव बनाया गया”।

उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) के निदेशक अनुपम शुक्ला बताते हैं कि 15 मार्च तक पीएम सूर्यघर के तहत राज्य में 10 से 12 लाख रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं। “उत्तर प्रदेश में तकरीबन 1.8 करोड़ बिजली उपभोक्ता 100 यूनिट प्रति माह तक बिजली इस्तेमाल करते हैं। हमारी कोशिश एक से डेढ़ करोड़ रजिस्ट्रेशन की है। क्योंकि रजिस्ट्रेशन की तुलना में प्लांट लगने की संभावना 20-25 प्रतिशत के बीच हैं”।

वह मानते हैं कि सोलर प्लांट के लिए एकमुश्त रकम खर्च करना लोगों के लिए सबसे बड़ी मुश्किल है। इसलिए बैंकों से लोन की व्यवस्था भी की जा रही है।

 

अयोध्या का सौर आंकड़ा

एक नगर निगम, 4 नगर निकाय, 1,272 गांवों की 24,70,996 आबादी वाले अयोध्या के रिहायशी इलाकों में कुल 220 बिजली उपभोक्ता आरटीएस से जुड़े और जुड़ रहे हैं।

यूपीनेडा के परियोजना अधिकारी पीएन पांडे द्वारा डाउन टु अर्थ को उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक रिहायशी इलाकों में कुल 759.1 किलोवाट क्षमता के 148 सोलर प्लांट लगे हैं। जबकि 72 उपभोक्ताओं के 387 किलोवाट कुल क्षमता के प्लांट लगाए जाने की प्रक्रिया जारी है। 

कमर्शियल और इंडस्ट्रियल इमारतों पर 1,240 किलोवाट क्षमता के 25 सोलर प्लांट लगे हैं। इस श्रेणी में 240 किलोवाट क्षमता के 9 प्लांट लगाने की प्रक्रिया चल रही है। इसे मिलाकर 1,480 किलोवाट क्षमता होती है।

हालांकि 9 अप्रैल 2024 तक दी गई सब्सिडी के आधार पर, यूपीनेडा लखनऊ से डाउन टु अर्थ को उपलब्ध कराए गए आंकड़े के मुताबिक अयोध्या के रिहायशी इलाकों में 349 किलोवाट क्षमता के मात्र 82 रूफ टॉप सोलर प्लांट लगे हैं। 

इसके अलावा यहां 212.4 किलोवाट क्षमता की 590 स्मार्ट सोलर स्ट्रीट लाइट और 172.5 किलोवाट की कुल 2,300 सोलर स्ट्रीट लाइटें लगी हैं। कुल 34 किलोवाट क्षमता के 34 सोलर ट्री, 2.7 किलोवाट के 9 सौर ऊर्जा आधारित पेयजल मशीनें, 20 किलोवाट की 8 सोलर लाइटें बगीचों में लगी हैं। 

एनटीपीसी यहां 40 मेगावाट का सोलर प्लांट लगा रही है। इसमें 14 मेगावाट से बिजली उत्पादन शुरू हो गया है। 

अयोध्या एनर्जी एक्शन प्लान के मुताबिक सौर नगरी की आरटीएस क्षमता 212 मेगावाट का आकलन किया गया है। अयोध्या शहर में हो रही बिजली खपत में अक्षय ऊर्जा स्रोतों की अनुमानित हिस्सेदारी 0.115% है। बिजली, परिवहन समेत अन्य क्षेत्रों को मिलाकर 100 प्रतिशत अक्षय ऊर्जा पर आने के लिए अयोध्या को 2,557 मेगावाट की आवश्यकता है। 

पीएन पांडे कहते हैं “सोलर प्लांट लगाने की प्रक्रिया में तकरीबन एक महीने का समय लग जाता है। पीएम सूर्यघर योजना का शासनादेश आने के 30 दिन बाद आचार संहिता लग गई। इसलिए सब्सिडी आने में देरी हो रही है। पोस्ट ऑफिस, बैंक सबने रजिस्ट्रेशन का काम किया। लेकिन जब उन्हें ही योजना की पूरी जानकारी नहीं है तो वे लोगों को क्या बताएंगे। लोगों तक सही सूचना नहीं पहुंची। इसलिए रजिस्ट्रेशन के नंबर बढ़ गए लेकिन प्लांट नहीं लगे”।

 अयोध्या में जनवरी महीने में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित हुआ था। जिसके बाद पीएम मोदी ने पीएम सूर्यघर योजना की घोषणा की थी। अप्रैल में राम मंदिर परिसर में चल रहा निर्माण कार्य। फोटो: वर्षा सिंह

अयोध्या में जनवरी महीने में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित हुआ था। जिसके बाद पीएम मोदी ने पीएम सूर्यघर योजना की घोषणा की थी। अप्रैल में राम मंदिर परिसर में चल रहा निर्माण कार्य। फोटो: वर्षा सिंह 

 रात करीब 9 बजे राम मंदिर परिसर में बिजली कटौती। दिन के समय बिजली कटौती होने पर सोलर प्लांट बिजली नहीं बनाता। अपनी रिपोर्टिंग में मैंने पाया कि कई लोगों को इसकी जानकारी नहीं थी। फोटो: वर्षा सिंह

रात करीब 9 बजे राम मंदिर परिसर में बिजली कटौती। दिन के समय बिजली कटौती होने पर सोलर प्लांट बिजली नहीं बनाता। अपनी रिपोर्टिंग में मैंने पाया कि कई लोगों को इसकी जानकारी नहीं थी। : वर्षा सिह


एक सोलर कंपनी में कर्मचारी और अयोध्या निवासी श्रवण मिश्रा नाराजगी जताते हैं “ये वोट बढ़ाने का चुनावी फंडा है। सोलर योजनाएं तो चुनाव से पहले भी थीं। सब्सिडी बढ़ाई लेकिन नाम गलत कर दिया- मुफ्त बिजली योजना। मुफ्त का मतलब आम आदमी के लिए एकदम मुफ्त होता है लेकिन इसमें तो बड़ी रकम का भुगतान करना है”।

अयोध्या में व्यापार मंडल अध्यक्ष नंद कुमार गुप्ता कहते हैं “अयोध्या सोलर सिटी है लेकिन यहां प्रतीक के तौर पर सरकारी दफ्तर ही सोलर से नहीं चल रहे हैं”।

नंद कुमार कहते हैं “अयोध्या में रोजाना 4 से 6 घंटे अघोषित बिजली कटौती होती है। ग्रामीण क्षेत्र में तो स्थिति और खराब है। सोलर लगाने वाले लोग सोचते हैं कि उनके यहां 24 घंटे बिजली आएगी। वे नहीं जानते कि बिजली जाने पर प्लांट से भी बिजली नहीं बनेगी”।

उत्तर प्रदेश में बिजली कटौती एक बड़ी समस्या है। बिजली कटौती, आधे-अधूरे रजिस्ट्रेशन, चुनावी फायदा लेने के लिए की गई जल्दबाजी और मुफ्त बिजली के भ्रामक प्रचार के बीच सभी ये मानते हैं कि सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए लाई गई पीएम सूर्यघर एक  अच्छी योजना है। आम आदमी और पर्यावरण दोनों के हित में है।

 

 

बड़ा लक्ष्य

पीएम सूर्यघर योजना का उद्देश्य तीन किलोवाट तक के एक करोड़ रूफ टॉप सोलर के ज़रिये 1 बिलियन यूनिट बिजली सौर ऊर्जा से पैदा करना है। इन प्लांट के 25 वर्ष के जीवन काल में 720 मिलियन टन कार्बन डाई ऑक्साइड के समान (CO2 eq) उत्सर्जन कम होगा। ये योजना वर्ष 2026-27 तक 30 गीगावाट सौर क्षमता हासिल कर जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने की भारत की प्रतिबद्धता, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी), हासिल करने में मदद करेगी।

(This story was produced with support from Internews’s Earth Journalism Network.)

Subscribe to our daily hindi newsletter