लाल मिर्च का राजा: ऐसे बनाएं स्वादिष्ट अचार

एक बीघा में भूत जोलोकिया की खेती से 20 हजार रुपए तक का लाभ अर्जित किया जा सकता है

On: Wednesday 13 May 2020
 

रिनुस्मिता काकोटी लहकर

भूत जोलोकिया को दुनिया की सबसे तीखी मिर्च का दर्जा हासिल है। इसे लाल मिर्च का राजा भी कहा जाता है। 2007 से 2011 के बीच अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसे सबसे अच्छा दाम मिला था और यह निर्यातकों की पहली पसंद थी। लेकिन इसके बाद गलत कृषि पद्धतियों ने इसका तीखापन कम कर दिया, नतीजतन इसका बाजार भाव गिर गया।

इस मिर्च का फसल चक्र छह महीने का होता है। तीन महीने में तक इसमें फूल आते हैं। असम के सिबसागर जिले के मिर्च उत्पादक बिपुल गोगोई बताते हैं कि एक बीघा (0.13 हेक्टेयर) खेत में मिर्च के 1,500-1,600 पौधे लगाए जा सकते हैं। एक पौधे से हर फसल चक्र में औसतन तीन किलो मिर्च प्राप्त होती है। गोगोई का अनुमान है कि एक बीघा में भूत जोलोकिया मिर्च उगाकर 15,000-20,000 रुपए का लाभ कमाया जा सकता है। नर्सरी में करीब 3.5 रुपए प्रति पौधा बेचा जाता है। यह पौधा चार-पांच साल तक फसल दे सकता है, लेकिन समय के साथ मिर्च के आकार और उसके तीखेपन में कमी आ जाती है। इसीलिए गंभीर किसान हर साल या दूसरे साल नई फसल को प्राथमिकता देते हैं।

यह मिर्च बहुत नाजुक होती है और पकने के पहले संकेत पर काट ली जाती है। परिवहन के दौरान भी इसका पकना जारी रहता है। भूत जोलोकिया थोड़ी-सी नमी में सड़ने लगती है। इसी कारण आधपकी हालत में मिर्च को ढोया जाता है ताकि गंतव्य स्थल तक पहुंचने के दौरान वह पूर्णत: पक जाए। तब तक यह मिर्च इस्तेमाल योग्य भी हो जाती है। पकने से मिर्च का तीखापन बढ़ जाता है। लाल भूत जोलोकिया, हरी अवस्था से अधिक तीखी होती है।

खरीदार आमतौर पर इसके तीखेपन और रंग को परखते हैं। परीक्षण का प्रमाणपत्र विभिन्न एजेंसियों जैसे स्पाइसेस बोर्ड ऑफ इंडिया से प्राप्त किया जा सकता है। फसल का निर्यात मूल्य इसी प्रमाणपत्र पर निर्भर करता है। ताजा मिर्च को गुवाहाटी के मछखोवा जैसे थोक बाजारों में खरीदा जा सकता है। यहां के थोक व्यापारी हिरेन बरुआ कहते हैं कि इसकी औसत बिक्री प्रतिदिन 50 से 100 किलो के बीच है। मार्च-जुलाई में सीजन के दौरान कीमतें 150- 300 रुपए प्रति किलो होती हैं। बाकी साल कीमतें बढ़ती हैं क्योंकि उत्पादन कम होता है। बाजार में अधिकतर मिर्च परंपरागत तरीके से धूप में अथवा मशीन से सुखाने के बाद यहां लाई जाती है। इसे पीसकर दोबारा बेचा जाता है।

असम के एक स्थानीय बाजार में सब्जी विक्रेता भूपेन बर्मन 600 रुपए प्रति किलो भूत जोलोकिया मिर्च खरीदते हैं और ऑफ सीजन में इसे 800 प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं। गुवाहाटी में एक अन्य छोटे विक्रेता अनूप दास ऑफ सीजन में 20 रुपए में पांच मिर्च बेचते हैं और सीजन में 10 रुपए में तीन मिर्च बेचते हैं।

ऑनलाइन पोर्टल “गिसका” में पूर्वोत्तर के परंपरागत उत्पाद बेचने वाले रसवीन दास बताते हैं कि इसका बेहद उम्दा बाजार है। वह अपने पोर्टल में भूत जोलोकिया से बना अचार और पेस्ट बेचते हैं। इससे बना फ्लैक्स का 50 ग्राम का पैक वह 294 रुपए में बेचते हैं जबकि 150 ग्राम ताजा अचार 290 रुपए में बेचा जाता है। गिसका हर उत्पाद पर 20-30 प्रतिशत लाभ अर्जित करता है। उद्यमी दीपांशु देव शर्मा ने दिल्ली में पारंपरिक असमिया भोजन की आपूर्ति के लिए ऑनलाइन जुहाल नामक पोर्टल शुरू किया है। वह 30 प्रतिशत के लाभ पर ताजा भूत जोलोकिया बेचते हैं।

असम की लीना सैकिया भूत जोलोकिया की पहली पेशेवर उत्पादक हैं। उन्होंने और उनके पति ने जोरहट में फ्रंटल एग्रीटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की स्थापना की। उनकी कंपनी भूत जोलोकिया के 90 प्रतिशत उत्पाद 22 देशों को निर्यात करती है। इस कंपनी को 2015-16 और 2016-17 के लिए पूर्वोत्तर क्षेत्र से मसालों के शीर्ष निर्यातक के रूप में मसाला बोर्ड द्वारा चुना गया था। कंपनी ने 2004 में जब उत्पादन शुरू किया, तब इस फसल का कोई बाजार नहीं था। वास्तव में यह अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भूत जोलोकिया को उतारने वाली पहली कंपनी थी। मांग में वृद्धि के साथ देश के विभिन्न हिस्सों के अलावा मैक्सिको जैसे देशों में भी इसका उत्पादन शुरू हुआ। इसने बाजार की दिशा और प्रतिस्पर्धा को बदल दिया। इसका वर्तमान निर्यात मूल्य औसतन 1,800 रुपए प्रति किलोग्राम है। फ्रंटल एग्रीटेक प्रति वर्ष ओवन या धुएं में सुखाई गई 20-25 टन भूत जोलोकिया निर्यात करती है। इसका सबसे बड़ा खरीदार अमेरिका है। इस मिर्च का इस्तेमाल पेपर स्प्रे और आंसू गैस में भी किया जाता है। लीना सैकिया के अनुसार, वर्तमान उत्पादन का लगभग 90 प्रतिशत का उपयोग खाने के रूप में किया जाता है।

तिनसुकिया के बाबाधन चुटिया, ग्रीन एफ हाइजीन फूड प्राइवेट लिमिटेड के मालिक हैं। इसकी शुरुआत 2015-16 में हुई थी। वह अचार बनाने के लिए हर साल 25 टन ताजी मिर्च खरीदते हैं। चुटिया का कहना है कि घरेलू उपभोग के लिए इसका बहुत बड़ा बाजार है क्योंकि भारतीय उपभोक्ताओं को इसका स्वाद बेहद पसंद है। वह अपने उत्पादों को पूरे पूर्वोत्तर में बेचते हैं और देशभर के बाजारों तक पहुंचना चाहते हैं। चुटिया पानीटोला, काकोपाथर और तिनसुकिया जिले के आसपास के 40 किसानों से 150 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से ताजा मिर्च खरीदते हैं। यह कीमत जुलाई से फरवरी के ऑफ-सीजन में 400 रुपए प्रति किलोग्राम तक बढ़ जाती है। उन्हें 2017-18 में आठ लाख रुपए का औसत लाभ हुआ था। वह हर 200 ग्राम के उत्पाद 350 रुपए में बेचते हैं। वह बताते हैं, “मेरे लिए हर साल 200 टन खरीदने की संभावना है। प्रसंस्कृत राजा मिर्च के उत्पादों का बाजार बहुत बड़ा है।”

हालांकि कुछ विक्रेताओं को इसकी लाभ क्षमता का अंदाजा नहीं है। गुवाहाटी में स्थित एक प्रमुख मसाला निर्यात एजेंसी ग्रीनकेन ओवरसीज के सीआई एम कृष्णा सैकिया का कहना है कि उनकी कंपनी ने राजा मिर्च का कारोबार लगभग बंद कर दिया है। उनकी कंपनी 2007 और 2011 के बीच मिर्च को 2,000 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेच रही थी और बढ़ती मांग को पूरा नहीं कर पा रही थी। लेकिन इसके बाद मांग में भारी गिरावट आई। इसका मुख्य कारण था मिर्च का औसतन तीखापन 10,41,000-8,55,000 स्कोविल हीट यूनिट (एसएचयू) से घटकर 300,000 एसएचयू होना।

डिब्रूगढ़ में क्रोमा हाइड्रोपॉनिक नर्सरी के मालिक चिरंजीत बरुआ बताते हैं, “भूत जोलोकिया की मांग बढ़ने के साथ, किसानों ने खुले खेतों में बड़ी मात्रा में इसकी खेती शुरू कर दी। इससे क्रॉस-पॉलिनेशन में वृद्धि हुई, नतीजतन, मिर्च की गुणवत्ता में कमी आई।” रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने नियंत्रित स्थितियों में भूत जोलोकिया की खेती पर शोध किया और नतीजा सबसे तीखी मिर्च के रूप में निकला। बरुआ की सलाह है कि किसानों को असम के गोलाघाट जिले जैसे पारंपरिक रूप से राजा मिर्च की खेती करने वाले क्षेत्रों से गुणवत्ता वाले मिर्च के पौधे का उपयोग करना चाहिए। वह कहते हैं, “इस पौधे से अच्छी गुणवत्ता वाली मिर्च प्राप्त होगी। बीजों से प्रत्यक्ष अंकुरण मिर्च की गुणवत्ता और तीखापन कम कर देता है।”

भूत जोलोकिया अचार

सामग्री

  • भूत जोलोकिया मिर्च: 100 ग्राम
  • सरसों का तेल: 1 कप
  • पीली सरसों: 1 बड़ा चम्मच
  • हल्दी पाउडर: 1 चम्मच
  • नमक: स्वादानुसार

विधि: भूत जोलोकिया को काटकर एक तरफ रख दें। इस दौरान दास्ताने जरूर पहनें और चाकू व चॉपिंग बोर्ड को अच्छी तरह पोंछ लें। अब एक कड़ाही में सरसों का तेल धुआं छोड़ने तक गर्म करें। अब उसे आंच से उतारें और सरसों, हल्दी व नमक डालें। इसे ठंडा होने दें। इसके बाद इसे सूखे जार में भर लें। अब नींबू के रस के साथ कटा हुआ भूत जोलोकिया इसमें मिला लें। इसे अच्छी तरह से हिलाकर मिक्स कर लें और ढक्कन को कसकर बंद करें। सबसे अच्छे स्वाद के लिए एक हफ्ते तक तेज धूप में रखें। इसे चावल, रोटी या पिज्जा के साथ खा सकते हैं।

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