ग्रामीण भारत में 14 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 8.5 प्रतिशत अस्पतालों में भर्ती होने के लिए लेना पड़ता है कर्ज

छह राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में अस्पताल में भर्ती होने के 10 प्रतिशत से अधिक मामलों में उधारी खर्च का मुख्य स्रोत बनी हुई है। तमिलनाडु में यह सर्वाधिक 16.9 प्रतिशत है

By Bhagirath Srivas

On: Saturday 17 June 2023
 
फोटो: सीएसई

भारत की एक बड़ी आबादी को इलाज पर होने वाला खर्च गरीब बना रहा है, खासकर अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति में ग्रामीण और शहरी परिवार कर्जदार बन रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज के लिए अस्पताल में होने वाली करीब 14 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में साढ़े आठ प्रतिशत भर्तियों के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है। भारत के 14 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पताल में होने वाली हर 10 में से एक भर्ती के लिए कर्ज लेना पड़ता है। यह प्रवृत्ति आंध्र प्रदेश में सर्वाधिक 28.2 प्रतिशत है। उसके बाद कर्नाटक का स्थान है जहां 23 प्रतिशत अस्पतालों की भर्तियां कर्ज लेकर हो रही हैं।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर जारी स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरमेंट (एसओई) 2023 इन फिगर्स के अनुसार, अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आने पर वित्त के 5 प्रमुख स्रोत- पारिवारिक आय अथवा बचत, उधारी, भौतिक वस्तु की बिक्री, मित्रों अथवा संबंधियों का योगदान व अन्य हैं। गोवा एकमात्र राज्य व दादरा व नगर हवेली एकमात्र केंद्र शासित प्रदेश है जहां ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज के लिए लोगों को कर्ज नहीं लेना पड़ता। दिल्ली में महज एक प्रतिशत भर्तियों के लिए कर्ज लेना पड़ता है।

उत्तर पूर्व के ग्रामीण क्षेत्र इस मामले में बेहतर स्थिति में हैं। अरुणाचल प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 0.7 प्रतिशत, असम में 4.6 प्रतिशत, मणिपुर में 1.7 प्रतिशत, मेघालय में 1.7 प्रतिशत, मिजोरम में 0.6 प्रतिशत, नागालैंड में 8.5 प्रतिशत, सिक्किम में 2.2 प्रतिशत और त्रिपुरा में 7.2 प्रतिशत अस्पतालों की भर्तियों के लिए कर्ज लेना पड़ता है। ग्रामीण भारत के राष्ट्रीय औसत 13.4 प्रतिशत से अधिक उधारी वाले राज्यों की सूची में आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के अलावा बिहार, हरियाणा, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश शामिल हैं।

अगर शहरी क्षेत्रों में होने वाली अस्पतालों की भर्तियों पर नजर डालें तो उधारी के बूते इलाज करवाने वाले राज्यों की सूची में तमिलनाडु पहले स्थान पर हैं। इस राज्य के शहरी क्षेत्रों में होने वाली 16.9 प्रतिशत भर्तियों के लिए इलाज की आवश्यकता पड़ती है। दूसरे स्थान पर आंध्र प्रदेश है जहां 16 प्रतिशत भर्तियां कर्ज के सहारे होती हैं। शहरी क्षेत्रों के राष्ट्रीय औसत 8.5 प्रतिशत से अधिक उधारी वाले राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की सूची में हरियाणा, राजस्थान, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पुदुचेरी शामिल हैं। सिक्किम इस मामले में सबसे बेहतर स्थिति हैं। इस राज्य के शहरी क्षेत्रों में किसी भी व्यक्ति को अस्पताल में भर्ती होने पर कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ती।

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