अमेरिका में नवजात को दिए जाने वाले शिशु आहार पर भारी संकट

अमेरिका ने संकट से निकलने लिए सेना तक को सतर्क कर दिया है, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया से बेबी फार्मूले की बड़ी खेप के आयात किए जाने की तैयारी की है

By Anil Ashwani Sharma

On: Thursday 02 June 2022
 
Photo: wikimedia commons

क्या आप इस बात की कल्पना कर सकते हैं कि दुनिया का सबसे धनी देश अमेरिका में नवजात को दिए जाने वाले खाने पर संकट आ गया है। यदि नहीं तो कर लीजिए। क्योंकि पूरे अमेरिका में इस समय शिशु आहार यानी बेबी फार्मूला की भारी संकट खड़ा हो गया है।

विशेषज्ञों का अनुमान है कि यदि समय रहते अमेरिकी प्रशासन ने इस पर त्वरित कार्रवाई नहीं की तो बेबी फॉर्मूला की देशव्यापी कमी कि स्थिति और बदतर हो जाएगी। खुदरा विक्रेताओं और ऑनलाइन विक्रेताओं ने तमाम स्थानों पर आउट-ऑफ-स्टॉक नोटिस चिपका दिया है।

इस विकट संकट का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक जून को राष्ट्रपति बाइडन ने अमेरिका के पांच बेबी फूड कंपनियों के आला अधिकारियों के साथ एक लंबी बैइक की और बेबी फॉर्मूला की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाने की घोषणा की। 

मिली जानकारी के अनुसार अमेरिका में एबॉट लेबोरेटरीज द्वारा संचालित प्रमुख शिशु फार्मूला निर्माण संयंत्र के फरवरी में बंद होने का यह परिणाम था कि बेबी फॉर्मूला का पूरे देशभर में कमी हो गई। क्योंकि कंपनी को इस बात का अंदेशा था कि संपर्क से होने वाले विकार कहीं शिशु आहार को भी न दूषित कर दें।

इस डर से कंपनी ने उत्पादन कम किया। हालांकि अब राष्ट्रपति ने अन्य निर्माताओं की मदद के लिए रक्षा उत्पादन अधिनियम तक लागू कर दिया है और दुनिया भर से बेबी फॉर्मूला के आयात में तेजी लाने के लिए सेना का भी उपयोग करने का वादा किया है लेकिन इन वायदों के बाद भी हालात और बद से बदतर होते जा रहे हैं।

यहां सबसे घोर आश्चर्यजनक बात यह थी कि एक जून 2022 यानी  बुधवार तक देश के राष्ट्पति तक इस बात से अनभिज्ञ थे कि देश में अप्रैल से बेबी फॉर्मूला की कमी हो रही है। ऐसे में यहां सवाल उठाया जा रहा है कि जब मालूम था कि प्रमुख कंपनी ने अपना उत्पादन कम किया हुआ है तो ऐसे में संक को और क्यों बढ़ने दिया गया, वह भी दो माह तक।

बाइडेन की संकट से अपनी अनभिज्ञता वाली टिप्पणियां कंपनी के उन लोगों के विपरीत थीं, जिन्होंने राष्ट्रपति को बताया कि उन्हें पता था कि एबट प्लांट बंद होने के समय से ही यह संकट बना हुआ था। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव काराइन जीन-पियरे ने बुधवार को इस बात से साफ इनकार कर दिया कि राष्ट्रपति ने इस मामले में कार्रवाई करने के लिए बहुत लंबा वक्त लिया।

यह देखते हुए कि खाद्य एवं औषधि प्रशासन और अन्य एजेंसियां फरवरी में प्लांट के बंद होने के तुरंत बाद से अन्य निर्माताओं के संपर्क में थीं। उनका कहना था कि हम इस मुद्दे पर पहले दिन से ही काम कर रहे हैं, लेकिन जब उनसे बार-बार राष्ट्रपति की अनभिज्ञता से जुड़ा सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह उनकी टिप्पणी की व्याख्या नहीं कर सकते हैं कि वह अप्रैल तक स्थिति से अनजान थे।

हालांकि जिन पांच कंपनियों के कार्यकारी अधिकारियों से बाइडेन ने बातचीत की थी, उनका कहना था कि उन्होंने एबट संयंत्र को बंद होने के तुरंत बाद कहा था कि इसके बाद होने वाले संकट से निपटने के लिए हमें लगातार अपने उत्पादन को बढ़ाना होगा। तभी से सभी कंपनियों ने कहा कि उनके संयंत्र क्षमता से काफी ऊपर काम कर रहे थे। ज्यादातर ने कहा कि दिन में 24 घंटे और सप्ताह के सातों दिन उत्पादन किया जा रहा था।

कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि हमने अपने उन उत्पादों पर ध्यान केंद्रित किया जिनकी सबसे अधिक जरूरत थी और जिनका हमारे संयंत्रों के माध्यम से अधिक तेजी से उत्पादन किया जा सके। अमेरिका में बेबी फॉर्मूला के दूसरे सबसे बड़े निर्माता रेकिट के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रॉबर्ट क्लीवलैंड ने भी बाइडेन को अपने उत्पादन के बारे में विस्तार से जानकारी दी। क्लीवलैंड ने कहा कि जिस समय हमें इस संकट की जानकारी हुई हमने तुरंत टारगेट और वॉलमार्ट जैसे खुदरा व्यापारियों के पास पहुंचकर इस संकट से निपटने के लिए उपायों पर चर्चा की।

इस  विकट संकट को देखते हुए बाइडेन ने कहा कि देखिए, एक पिता और दादा के रूप में मैं यह सिद्दत से महसूस कर रहा हूं कि ऐसे समय में कितनी मुश्किल हो रही होगी आप सभी को। लेकिन तमाम प्रशासनिक तैयारियां या कार्रवाई के बाद भी उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति पर नजर रखने वाली कंपनियों के डेटा से पता चल रहा है कि राष्ट्रपति के प्रयासों के बाद भी अब तक माता-पिता की परेशानी में कोई बहुत अधिक बदलाव नहीं आया है, वे अब भी बेबी फार्मूला की कमी से जूझ रहे हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि  रिटेल सॉफ्टवेयर कंपनी डाटासेमबल के अनुसार गत 21 मई, 2022 को समाप्त हुए सप्ताह के समय देश भर में 70 प्रतिशत फॉर्मूला उत्पादों को आउट-ऑफ-स्टॉक के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। यह 8 मई को समाप्त हुए सप्ताह के समय 45 और इससे पहले अप्रैल में समाप्त हुए सप्ताह से 31 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।

डाटासेम्ब्ली के अनुसार वर्तमान में अटलांटा राज्य में शिशु फार्मूला कीआपूर्ति का लगभग 75 प्रतिशत स्टॉक से बाहर है और ह्यूस्टन में 90 प्रतिशत। इंडियानापोलिस में उपभोक्ताओं की बेहतर किस्मत है, जहां केवल 48 प्रतिशत फॉर्मूला स्टॉक से बाहर के रूप में सूचीबद्ध किया गया और शिकागो का आंकड़ा 57 प्रतिशत है। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि इसके विश्लेषण से पता चलता है कि बच्चे के फार्मूले के लिए स्टॉक में कमी का प्रतिशत लगातार खराब होते जा रहा है। अमेजन की वेबसाइट वर्तमान में खरीद के लिए बहुत कम बेबी फॉर्मूला उपलब्ध करा पा रही है, जबकि ईबे जैसी साइटों पर निजी विक्रेताओं द्वारा पेश किए जा रहे फॉर्मूले की कीमत आसमान छू रही है।

जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी केरी बिजनेस स्कूल में ऑपरेशंस मैनेजमेंट एंड बिजनेस एनालिटिक्स के प्रोफेसर टिंगलोंग दाई ने अनुमान लगाया कि राट्रपति के दखल और नई तैयारियों के बावजूद अमेरिका में लगभग छह सप्ताह बाद ही बेबी फार्मूले की आवश्यकता को पूरा किया जा सकेगा। समस्या यह है कि उपभोक्ताओं ने अपने क्रय व्यवहार को बदल दिया है, जितना वे पा सकते हैं, उससे अधिक फॉर्मूला खरीद रहे हैं। वह कहते हैं कि  अगर मैं एक माता-पिता हूं, जिसे बेबी फॉर्मूला खरीदने की जरूरत है तो मैं कोई भी फॉर्मूला खरीदूंगा जो मुझे मिल सकता है।

व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि अगले तीन हफ्तों के दौरान ब्रिटेन से अमेरिका के लिए लगभग चार मिलियन बोतलें बेबी फॉर्मूला की भेजी जाएंगी। बयान में कहा गया है कि यूनाइटेड एयरलाइंस ने लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे से देश भर के स्टोर्स पर खरीद के लिए फॉर्मूला मुफ्त में पहुंचाने पर सहमति जताई है। इसके अलावा व्हाइट हाउस ने यह भी घोषणा की कि स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग ने आगामी 9 जून और 11 जून को मेलबर्न से पेंसिल्वेनिया और कैलिफोर्निया के लिए लगभग 4.6 मिलियन बेबी फार्मूला की बोतलें भेजने की व्यवस्था की है। अधिकारी ने कहा कि आने वाले दिनों में और भी जिन देशों से फॉर्मूला मगाया जाएगा इसकी घोषणा की जाएगी। अधिकारियों ने कहा कि अमेरिका में फॉर्मूला आयात करने की अनुमति देने के लिए आयात नियमों में ढील भी दी गई है।

Subscribe to our daily hindi newsletter