कुपोषण और असमानता पड़ी शिक्षा और विकास पर भारी: अध्ययन
यह पहली बार है जब शोधकर्ताओं ने अलग-अलग जिलों के स्तर पर सभी निम्न और मध्यम आय वाले देशों में शिक्षा और बाल कुपोषण की मैपिंग की है
On: Monday 13 January 2020
एक नए अध्ययन से पता चला है कि 2017 तक निम्न और मध्यम आय वाले देशों में 20 से 24 साल की हर 10 में से 1 महिला कभी भी स्कूल नहीं गई। इसके अलावा हर 6 में से 1 महिला ने प्राथमिक शिक्षा पूरा नहीं की। यह पहली बार है जब शोधकर्ताओं ने अलग-अलग जिलों के स्तर पर सभी निम्न और मध्यम आय वाले देशों में शिक्षा और बाल कुपोषण की मैपिंग की है। यह अध्ययन नेचर पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।
2017 तक जिन देशों में अधिकतम संख्या में महिलाएं एक दिन भी स्कूल नहीं गई, उनमें अफगानिस्तान, नाइजर और गाम्बिया शामिल थे।
शोध के मुताबिक, शिक्षा में लैंगिक असमानता कई क्षेत्रों में बनी हुई है, जिसमें पुरुष कुल मिलाकर महिलाओं की तुलना में अधिक शिक्षा प्राप्त करते हैं। यमन, सूडान, दक्षिण सूडान, नाइजीरिया, केन्या, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, अंगोला और अफगानिस्तान में लगभग 140 जिलों में पुरुषों और महिलाओं के बीच असमानता देखी गई। यह अंतर राज्यों, जिलों या प्रांतों के बीच व्यापक रूप से अलग-अलग है।
संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों ने 2030 तक सार्वभौमिक माध्यमिक शिक्षा का लक्ष्य निर्धारित किया है। लेकिन 2017 तक अध्ययन किए गए 1 फीसदी से भी कम जिलों के पुरुष और महिलाएं इस लक्ष्य को पूरा करने के करीब थे।
डॉ.साइमन आई वरिष्ठ अध्ययनकर्ता और आईएचएमई में स्थानीय बर्डन ऑफ डिजीज (एलबीडी) समूह के निदेशक हैं। वह बताते हैं कि हम जानते हैं कि शिक्षा लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण, विशेष रूप से माताओं और बच्चों के स्वास्थ्य से निकटता से जुड़ी हुई है। यह अध्ययन हम सभी को चाहे वह शिक्षक हो, शोधकर्ता हो, या नीति निर्माता हो, को बताता है कि किस तरह असमानता देशों के बीच ही नहीं, बल्कि समुदायों के स्तर पर देखने को मिलती है।
शोधकर्ताओं ने "बाल विकास की विफलता" (सीजीएफ) की भी मैपिंग की। बच्चों में उम्र के अनुसार अपर्याप्त ऊंचाई और वजन भी कम था। 5 साल से कम उम्र के बच्चे बौने और कम वजन के पाए गए।
जिन देशों में अध्ययन किया गया वहां रहने वाले 4 में से 1 बच्चा अभी भी कुपोषण का शिकार है, और जिन देशों मे सुधार हो रहा है वहां असमानता कम पाई गई है।
कई देशों ने शिक्षा में सुधार किया है। अध्ययन के दौरान दक्षिण अफ्रीका, पेरू और कोलंबिया में पर्याप्त सुधार देखा गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि महिलाओं की शिक्षा में प्रगति, किसी देश में महिलाओं को मिलने वाले समान अवसरों से होती है। अर्थात जिस देश में बेहतर समानता होगी, वहां महिलाएं पढ़ी-लिखी होंगी। लेकिन इसके विपरीत भारत और नाइजीरिया सहित कुछ देशों में, अध्ययन के दौरान असमानता बढ़ने पर भी राष्ट्रीय, शिक्षा में प्रगति देखी गई।
भारत में, माध्यमिक शिक्षा प्राप्त करने वाली 20-24 वर्ष की आयु की महिलाओं का अनुपात अध्ययन अवधि के दौरान 11 प्रतिशत से बढ़कर 37 प्रतिशत हो गया और नाइजीरिया में भी यह संख्या 12 प्रतिशत से बढ़कर 45 प्रतिशत हो गई। हालांकि, विश्लेषण से पता चला कि अधिकांश प्रगति शहरी क्षेत्रों, विशेष रूप से भारत के महाराष्ट् में और नाइजीरिया के लागोस शहर में हई थी। 2017 में नाइजीरिया शिक्षा में दुनिया की सबसे अधिक असमानता वाले देशों में से एक रहा।