वैज्ञानिकों ने की खतरनाक प्रकार के अस्थमा की पहचान, जीवाश्म ईंधन प्रदूषण को बताया जिम्मेवार

नॉन-टीएच 2 अस्थमा बच्चों में सबसे खराब बीमारियों में से एक है, यदि समय पर सही उपचार नहीं किया गया तो रोगी जीवन भर कष्ट सहता है।

By Dayanidhi

On: Thursday 15 April 2021
 
Photo : Flickr

दुनिया भर में अस्थमा से 30 करोड़ से अधिक लोग पीड़ित हैं। सबसे गंभीर लक्षण जिसे नॉन-टीएच 2 या बचपन में होने वाले अस्थमा के रूप में जाना जाता है। लियोनिग कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर ह्युनोक चोई के अनुसार नॉन-टीएच 2 अस्थमा रोगियों में 85 फीसदी तक होता है, खासकर कम आय वाले देशों में। फिर यह चाहे नॉन-टीएच 2 एक अलग बीमारी हो या बस लक्षणों का एक अनूठा समूह इसके बारे में अधिक जानकारी नहीं है।

चोई का कहना है कि नॉन-टीएच 2 अस्थमा बच्चों में सबसे खराब बीमारियों में से एक है, यदि समय पर सही उपचार नहीं किया गया तो रोगी जीवन भर कष्ट सहता है। इससे पहले कि यह खतरनाक रूप ले- ले इसकी शीघ्रता से जांच, रोग के बढ़ने को रोकने के लिए बेहतर ढंग से समझना और उपचार किया जाना अति आवश्यक है।

अध्ययनों से पता चलता है कि लगभग 50 फीसदी बच्चे जिनके अस्थमा को सही तरीके से नियंत्रित नहीं किया जाता है उनके वयस्क होने पर यह मामला और गंभीर रूप से बढ़ने की आशंका होती है। चोई कहते हैं एक ऐसा उपचार जो सभी पर फिट बैठता है, इस तरह का दृष्टिकोण वर्तमान में अस्थमा के लिए न ही आदर्श है और यह अप्रभावी भी है। यह अस्थमा के बढ़ते आर्थिक बोझ के लिए कुछ हद तक जिम्मेदार हैं।

चोई का कहना है कि चिकित्सीय और निवारक उपायों की कमी के कारण कभी भी नॉन-टीएच 2 अस्थमा होने के कारणों की पहचान नहीं की गई है।

पहली बार अब चोई के नेतृत्व में एक महामारी विज्ञान के अध्ययन से पता चला है कि नॉन-टीएच 2 एक अलग बीमारी है, इसके बचपन में होने के पीछे हवा में बनी बेंजो [ए] पाइरेन है जो जीवाश्म ईंधन के जलने से बनता है। चोई और उनके सहयोगियों ने दिखाया कि अधिकतर चुनौतीपूर्ण अस्थमा के प्रकारों के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार हैं।

सामान्य लक्षणों वाले कई रोगों के लिए एक शब्द जिसे अस्थमा कहते हैं। अस्थमा को मोटे तौर पर दो प्रमुख लक्षणों के रूप में वर्गीकृत किया गया है: टी हेल्पर सेल हाई (टीएच 2- हाई) और टी हेल्पर सेल कम (नॉन-टीएच 2)। टीएच 2-हाई, बचपन में होने वाली एक एलर्जी से जुड़ा हुआ है, जैसे कि पालतू जानवरों के बालों की रूसी से या पेड़ के पराग आदि से फैलना। इसके विपरीत, नॉन-टीएच 2 एक एलर्जी से संबंधित नहीं है। नॉन-टीएच 2 प्रकार, एलर्जी से नहीं होने के कारण इसको पहचान पाना कठिन होता है। यह टीएच-2 के प्रकार की तुलना में इसके बारे में बहुत कम समझ और जानकारी है, इसलिए इसका उपचार करन मुश्किल हो जाता है।  

चोई कहते हैं नॉन-टीएच 2 अस्थमा की पहचान एक अलग बीमारी, बेनजो [ए] पाइरीन से होने वाली के रूप में जल्दी सामने आई है, इससे लाखों पीड़ित प्रभावित हो सकते है, इससे पहले कि इस बदली न जा सकने वाली सांस लेने की प्रणाली जख्मी हो, इस नई बीमारी को शुरुआत में ही रोकना होगा।

टीम ने चेक गणराज्य में एक औद्योगिक शहर, ओस्ट्रावा और दक्षिणी बोहेमिया के आसपास के अर्ध-ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के दो अलग-अलग समूहों का परीक्षण किया। इसमें अस्थमा वाले 194 बच्चे और एक नियंत्रण समूह जिसमें 191 बच्चे थे। अध्ययन के अनुसार, ओस्तरावा एक औद्योगिक शहर है जिसमें कोयला खनन की गतिविधियां, कोयला प्रसंस्करण और धातुकर्म शोधन होता है। उस समय बेनजो [ए] पाइरीन, जिला-स्तरीय अनुशंसित मानकों की तुलना में आउटडोर और इनडोर वायु गुणवत्ता मानक 11 गुना अधिक थे।

यह बेंजो [ए] पाइरीन के लिए अधिकतम खतरानक स्तर था, जिससे नॉन-टीएच 2 अस्थमा होने के अधिकतम आसार थे। अस्थमा वाले अधिकतर बच्चों में नॉन-टीएच 2 अस्थमा देखा गया। यह अध्ययन एनवायर्नमेंटल हेल्थ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई है।

चोई कहते हैं नॉन-टीएच 2 अस्थमा की शुरुआत कई वयस्कों में हो चुकी है, हमारे आंकड़े पहली बार सुझाव देते है कि बचपन में फेफड़े के कार्य की कमी और इनको नुकसान पहुंचाने के लिए अधिकतर जीवाश्म ईंधन के जलने से होने वाला प्रदूषण और प्रदूषित हवा दोषी हैं।    

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