बच्चों को एंटीबायोटिक दवाएं देने से लाइलाज हो सकती है बीमारी, शोध से पता चला

शोध के मुताबिक शिशुओं में विशिष्ट एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग से उनमें भविष्य में कई दवाओं का असर खत्म हो सकता है या बीमारियां लाइलाज हो सकती हैं

By Dayanidhi

On: Tuesday 13 February 2024
 
जीवन के शुरुआती दौर में एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग का प्रभाव

दुनिया भर में रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) को लेकर भारी चिंता जताई जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार 2005 की तुलना में 2035 तक अंतिम उपाय के तौर पर उपयोग किए जाने वाले एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोध में दोगुनी वृद्धि होने की आशंका जताई गई है।

रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) से संबंधित कई शोध किए गए है, लेकिन यह अपनी तरह का पहला शोध है जो जीवन के शुरुआती दौर में एंटीबायोटिक दवाओं के प्रभाव को उजागर करता है। आयरलैंड की यूनिवर्सिटी कॉलेज कॉर्क के एपीसी माइक्रोबायोम द्वारा रोगाणुरोधी प्रतिरोध (एएमआर) को लेकर पांच शोध किए गए हैं। शोध में जीवन के शुरुआती दौर में एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग से पड़ने वाले प्रभावों के बारे में नई जानकारी और आंकड़ों को उजागर किया गया है।

शोध के हवाले से प्रमुख शोधकर्ता डॉ. धृति पटांगिया ने कहा, माइक्रोबायोम में प्रकाशित सबसे हालिया शोध इस बात का सबूत देता है कि शिशुओं के शुरुआती जीवन में विशिष्ट एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग से, उनमें भविष्य में कई दवाओं का असर खत्म हो सकता है या बीमारियां लाइलाज हो सकती हैं।

एंटीबायोटिक्स जर्नल के एक दूसरे शोध से पता चलता है कि एंटीबायोटिक के उपयोग से ड्राई काउ थेरेपी उपचार में लाभ नहीं होता है। गट माइक्रोब्स नामक पत्रिका में प्रकाशित तीसरा शोध, शिशु के आंत प्रतिरोध पर उम्र, सामाजिक आर्थिक स्थिति और स्थान के प्रभाव के बारे में जानकारी देता है।

ड्राई काउ थेरेपी के रूप में जाना जाने वाला यह उपचार पशुओं को किसी भी स्तन संक्रमण (आईएमआई) से बचाता है जो कि स्तनपान की अवधि के दौरान विकसित हो सकता है या हो सकता है और शुष्क अवधि के दौरान नए संक्रमणों के खिलाफ एक ढाल प्रदान करता है।

शोध के मुताबिक, डॉ. पटांगिया दो शोधों की प्रमुख शोधकर्ता है। पहला, मां और बच्चे पर एंटीबायोटिक दवाओं और एंटीबायोटिक प्रतिरोधी वैरिएंट का एक दूसरे में पहुंचना। यह मां से शिशु में एंटीबायोटिक दवाओं और एंटीबायोटिक प्रतिरोधी वैरिएंट के पहुंचने के प्रक्रिया की जानकारी देता है।

वहीं दूसरा शोध, जो कि जर्नल माइक्रोबायोलॉजी ओपन में प्रकाशित हुआ है, आंत के माइक्रोबायोटा या सूक्ष्मजीवों पर एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिकूल प्रभावों को उजागर करता है और इस प्रकार मरीज के स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभाव को दूर करने के लिए एंटीबायोटिक उपयोग विकल्प का सुझाव देता है।

शोध के हवाले से डॉ. पटांगिया कहती हैं, माइक्रोबायोम में मेरी रुचि भारत में तब शुरू हुई जब मैंने अपने मास्टर्स प्रोग्राम के हिस्से के रूप में एक शोध मॉड्यूल के लिए यह विषय चुना। मुझे एपीसी एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस पीएचडी फेलोशिप प्रोग्राम की खोज करने में खुशी हुई। एंटीबायोटिक हमारे जीवन की रक्षा करने में अहम भूमिका निभाते  हैं। रोगाणुरोधी प्रतिरोध के कारण कुछ क्षेत्रों में दवा के असर में कमी हो सकती है।

एपीसी के निदेशक प्रोफेसर पॉल रॉस कहते हैं, एपीसी रोगाणुरोधी प्रतिरोध पीएचडी फेलोशिप कार्यक्रम का लक्ष्य एएमआर शोधकर्ताओं का एक विशेषज्ञ समूह बनाने के लिए विशिष्ट अनुसंधान कौशल के साथ पीएचडी छात्रों के एक समूह को प्रशिक्षित करना था। उन्होंने कहा, दुनिया भर में एएमआर एक बड़ा संकट है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार 2005 की तुलना में 2035 तक अंतिम उपाय वाले एंटीबायोटिक दवाओं के प्रतिरोध में दोगुनी वृद्धि होने की आशंका जताई गई है।

साइंस फाउंडेशन आयरलैंड के महानिदेशक प्रोफेसर फिलिप नोलन ने कहा, एसएफआई भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए बेहतर शोध में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने आगे कहा, रोगाणुरोधी प्रतिरोध दुनिया भर में एक बढ़ती सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है। हम एपीसी और डॉ. पेटांगिया की हालिया वैज्ञानिक खोजों से रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटने वाले बेहतर समाधानों की ओर रुख कर पाएंगे और इनको लेकर समझ भी बढ़ेगी।

यूसीसी में अनुसंधान और नवाचार के उपाध्यक्ष प्रोफेसर जॉन एफ. क्रायन कहते हैं, यूसीसी का शोध उन चुनौतियों और अवसरों पर केंद्रित है जो हमारे देश और व्यापक दुनिया के भविष्य को आकार दे रहे हैं। एपीसी में यूसीसी वैज्ञानिक दुनिया भर में एएमआर संकट से निपटने के लिए महत्वपूर्ण शोध की अगुवाई कर रहे हैं।

शोधकर्ता ने कहा इसमें कोई संदेह नहीं है कि शिशुओं में कुछ संक्रमणों के इलाज के लिए एंटीबायोटिक महत्वपूर्ण हैं। हालांकि, इस अध्ययन से पता चला है कि जीवन के शुरुआती दौर में एंटीबायोटिक का उपयोग का तत्काल और लगातार प्रभाव पड़ता है।

आंत माइक्रोबायोम, माइक्रोबियल पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करने और एक स्वस्थ सूक्ष्म वातावरण को बनाए रखने महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साथ ही या जीवन के शुरुआती चरण के दौरान रोगों से निपटने वाली एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग को कम करने के लिए नए विकल्पों, रणनीतियों के विकास और उपयोग की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।

Subscribe to our daily hindi newsletter