विश्व स्तनपान सप्ताह: बच्चों के लिए वरदान है स्तनपान, लेकिन केवल 48 फीसदी को मिल रहा पूरा लाभ

यूनिसेफ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ का आरम्भ करते हुए, कार्यस्थलों पर स्तनपान के लिए बेहतर सुविधाएं और समर्थन दिए जाने पर जोर दिया है

By Lalit Maurya

On: Wednesday 02 August 2023
 
केवल 20 फीसदी देशों ने नियोक्ताओं के लिए अपनी महिला कर्मचारियों को स्तनपान के लिए अवकाश और अन्य सुविधाएं देना अनिवार्य किया है; फोटो: आईस्टॉक

जन्म के पहले छह महीनों में स्तनपान, शिशुओं के लिए किसी अमृत से कम नहीं, इसके बावजूद दुनिया भर में करीब 52 फीसदी नवजात इससे वंचित रह जाते हैं। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले एक दशक में विशिष्ट परिस्थितियों में स्तनपान की दर में दस फीसदी की महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है, हालांकि इसके बावजूद यह स्तर केवल 48 फीसदी पर पहुंचा है।

ऐसे में यदि 2030 तक के लिए निर्धारित 70 फीसदी के लक्ष्य को हासिल करना है, तो इसके लिए अच्छी-खासी मशक्क्त करने की जरूरत है। यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को ‘विश्व स्तनपान सप्ताह’ का आरम्भ करते हुए, कार्यस्थल पर स्तनपान को प्रोत्साहन व समर्थन दिए जाने की वकालत करते हुए कहा कि इसकी मदद से लक्ष्यों को हासिल किया जा सकता है।

इस अवसर पर यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसेल और डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉक्टर टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयेसस ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि, "कार्यस्थलों पर महिलाओं का समर्थन करने वाला माहौल उपलब्ध कराना बेहद महत्वपूर्ण है।"

साक्ष्य दर्शाते हैं कि जब महिलाएं काम से लौटती हैं तो उसके बाद, स्तनपान कराने की दर में भारी गिरावट आ जाती है, लेकिन अगर कार्यस्थलों पर माओं को यह सुविधा दी जाए कि वो अपने शिशुओं को स्तनपान करा सकें तो इस नकारात्मक प्रवत्ति को पलटा जा सकता है।"

एजेंसियों के अनुसार कार्यस्थल पर सवैतनिक मातृत्व अवकाश, स्तनपान कराने के लिए समय देना और शिशुओं को दूध पिलाने के लिए एक विशेष कमरा या निजी स्थान की व्यवस्था करना जैसी परिवार-अनुकूल नीतियां से महिलाओं के लिए एक अनुकूल वातावरण बनता है। जो न केवल कामकाजी महिलाओं और उनके परिवारों के लिए बल्कि नियोक्ताओं के लिए भी फायदेमंद होगा।

इस तरह की नीतियों से जहां माओं द्वारा लिए जाने वाले अवकाश में कमी आएगी। साथ ही महिला कर्मचारियों को बनाए रखने से नए कर्मचारियों को काम पर रखने व उनके प्रशिक्षण पर आने वाली लागत को कम करने में मदद मिलेगी, जो आर्थिक रूप से भी फायदेमंद होगा।

50 करोड़ महिलाओं को उनके देश का कानून ही नहीं देता आवश्यक मातृत्व सुरक्षा संबंधी अधिकार

विडम्बना देखिए कि एक तरफ हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं वहीं 50 करोड़ महिलाओं को उनके देश के ही कानूनों में आवश्यक मातृत्व सुरक्षा संबंधी अधिकार नहीं दिए गए हैं। वहीं केवल 20 फीसदी देशों में नियोक्ताओं के लिए अपनी महिला कर्मचारियों को स्तनपान के लिए अवकाश और अन्य सुविधाएं देना अनिवार्य किया है।

स्तनपान बच्चों के अस्तित्व और विकास के लिए बहुत जरूरी है। इसके फायदे केवल तर्क ही नहीं वैज्ञानिक तथ्यों पर भी आधारित हैं। जन्म के पहले कुछ महीनों के दौरान शिशुओं के लिए मां का दूध बेहद अहम होता है। जो उसके शारीरिक और मानसिक विकास में अहम भूमिका निभाता है।

मां के दूध से शिशुओं में संक्रमण और संक्रामक बीमारियों का खतरा घट जाता है। साथ ही यह बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत करता है। इससे बच्चों को पर्याप्त पोषक तत्व मिलते हैं जो उनके बढ़ने और चौतरफा विकास में मदद करते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार यदि पांच वर्ष या उससे कम आयु के सभी बच्चों को शुरूआती 24 महीनों में स्तनपान कराया जाए तो इससे दुनिया भर में 8.2 लाख बच्चों की जान बचाई जा सकती है। 

डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ की सलाह है कि शिशु को उसके जन्म के पहले घंटे के भीतर ही स्तनपान कराया जाना चाहिए, और उसके जीवन के पहले छह महीनों के दौरान इसे अवश्य जारी रखना चाहिए। इसका अर्थ है नवजातों को जन्म के पहले छह महीनों के दौरान मां के दूध के अलावा पानी सहित कोई आहार या तरल पदार्थ नहीं दिया जाना चाहिए।

विशेषज्ञों की यह भी सलाह है कि शिशुओं को, उनकी जरूरत के समय स्तनपान कराना जाना चाहिए। मतलब कि चाहे दिन हो या रात जब भी शिशु को उसकी जरूरत हो उसे स्तनपान कराया जाना चाहिए। वहीं यूनिसेफ के अनुसार जन्म के शुरूआती छह महीनों के बाद, शिशुओं को सुरक्षित और पौष्टिक पूरक आहार देना शुरू कर दिया जाना चाहिए, जबकि दो साल या उससे अधिक उम्र तक स्तनपान जारी रखना चाहिए।

शोध दर्शाते हैं कि स्तनपान से लंबे समय तक स्वास्थ्य लाभ हो सकता है, इससे बच्चों में मधुमेह या बाद के वर्षों में मोटापे की संभावना बहुत कम हो जाती है। इससे न केवल बच्चों के बौद्धिक विकास में वृद्धि होती है, साथ ही स्कूल में उनकी उपस्थिति में भी सुधार होता है।

ऐसे में यूनिसेफ और डब्ल्यूएचओ ने माओं, शिशुओं और व्यवसायों के लिए, स्तनपान के फायदों पर बल देते हुए सरकारों, निजी क्षेत्र, समाज और डोनर्स से कामकाजी माओं को समर्थन देने की सिफारिश की है। इनमें अनौपचारिक क्षेत्र या अस्थाई अनुबन्धों पर काम करने वाली माएं भी शामिल हैं।

संयुक्त राष्ट्र संगठनों ने अपने छोटे बच्चों की जरूरतों को पूरा करने के लिए सभी काम करने माता-पिता और बच्चों की देखभाल करने वालों के लिए पर्याप्त सवैतनिक मातृत्व अवकाश दिए जाने की भी बात कही है। साथ ही संगठनों ने सभी परिवेशों में स्तनपान का समर्थन करने वाली नीतियों और कार्यक्रमों पर निवेश बढ़ाने का भी आग्रह किया है।

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