हिमाचल में 34465 विदेशी परिंदों की दस्तक, पिछले साल बर्ड फ्लू से गई थी 5 हजार पक्षियों की जान

पौंग डैम में हर साल सेंट्रल एशिया, मंगोलिया, चीन और साइबेरिया से आते हैं लाखों पक्षी, वन्यप्राणी विंग ने बर्ड फ्लू पर बचाय के लिए की तैयारी। 

By Rohit Prashar

On: Tuesday 23 November 2021
 

राजस्थान में बर्ड फ्लू के मामलों की पूष्टि के बाद हिमाचल में भी वन्यप्राणी विंग अलर्ट हो गई है। पिछले वर्ष बर्ड फ्लू की वजह से हिमाचल के पौंगडैम मेें 5 हजार विदेशी परिंदे मृत पाए गए थे और इससे निपटने के लिए वन्यप्राणी विंग को अन्य विभागों के साथ मिलकर कड़ी मशक्त करनी पड़ी थी। इस बार पिछली बार की तरह हालात उत्पन्न न हो इसके लिए एहतियातन पहले ही तैयारियां की जा रही है। विदेश से आए परिंदों की गणना के साथ रंेडम सैंपलिंग की जा रही है। साथ ही इसके लिए 15 टीमों का गठन किया गया है जो पक्षियों की मृत्यू व बर्ड फ्लू के लक्षणों पर रोजाना नजर रखे हुए है। वन्यप्राणी विंग के आंकडों के अनुसार अभी तक पौंगडैम में 34465 विदेशी परिंदों के पहुचंने की गणना की गई है। इनमें सबसे अधिक 8345 बारहैडेड गिज प्रजाती के पक्षी हैं। बता दें कि पिछले साल बर्ड फ्लू की चपेट में आने वाले सबसे अधिक बारहैडेड गिज प्रजाती के ही पक्षी थे।

वन्यप्राणी विभाग हमीरपुर के डीएफओ राहुल रोहाणे ने डाउन टू अर्थ को बताया कि इस बार बर्ड फ्लू से बचाव के लिए एहतियातन इंतजाम किए गए हैं। उन्होंने बताया कि पक्षियों की मृत्यूदर पर निगरानी रखी जा रही है। पक्षियों की गणना के साथ उनकी विष्टा के रेगुलर सैंपल टैस्ट के लिए लैब भेजे जा रहे हैं। इसके अलावा अन्य विभागों के साथ भी मिलकर प्रभावी रणनीति तैयार की गई है।

वन्यप्राणी विंग की ओर से पिछले सप्ताह की गई पक्षियों की गणना में 78 प्रजातियों के 34465 परिंदे पाए गए हैं। इनमें बारहैडेड गिज 8345, कॉमन कूट 7127, नार्थर्न पिनटेल 3621, लिटिल कर्माेनेंट 3130, कामन टील 2728, कॉमन पोचार्ड 1601, रुड्डी शैलडक 1149, गडवाल 916,स्पॉट-बिलड डक 890, नॉर्थर्न शोवलर 445, कैटल इग्रेट 423, कॉमन मूरथेन 370, पर्पल मूरथेन 314, ब्लैक-हेडेड गुल्ल 289, रिवर टेरन 282, टफटेड पौचार्ड 231, रशियन विजियन 224, ब्लैक विंगेड स्टिल्ट 209, ब्राउन हेडेड गुल्ल 185 व रिवर लैप्विंग 156 प्रवासी पक्षी पौंग झील में अब तक पहुंच चुके हैं। 240 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले पौंग डैम में हर साल सेंट्रल एशिया, मंगोलिया, चाइना और साइबेरिया से सवा लाख से अधिक पक्षी नवंबर दिसंबर में आना शुरू करते हैं और अप्रैल के अंत तक वापस लौट जाते हैैं।

गौर रहे कि पिछले साल पौंग डैम में पहली बार 28 दिसंबर को 4 बार हैडेड गीज़ और 1 कॉमन टील नामक प्रजाती के पक्षी मृत अवस्था में घमेटा गांव में पाए गए थे। इसके बाद वन विभाग की टीम ने इन मृत पक्षियों की जांच के लिए पशुपालन विभाग की टीम के साथ संपर्क किया और इनके नमूने जांच के लिए आरडीएल जालंधर और एनआईएचएसडी लैब भोपाल को भेजे। इसी दौरान 29 दिसंबर को 400 और 30 दिसंबर को पौंग डैम क्षेत्र में 2000 पक्षी मृत पाए गए। इसके बाद जब 4 जनवरी को बार हैडेड गीज में एवियन एनफ्लुएंजा की पूष्टि की स्थिति शाम को एनआईएचएसएडी लैब भोपाल से आई तो हिमाचल प्रदेश में सरकार की ओर से बर्ड फ्लू की घोषणा की गई थी, वहीं अप्रैल माह में बर्ड फ्लू से मरने वाले पक्षियों का आंकड़ा 5 हजार तक पहुंच गया था। इतना ही नहीं हिमाचल के कई स्थानों में देसी कौए और मुर्गियों के मृत पाए जाने के बाद हिमाचल सरकार ने हिमाचल में बाहरी राज्यों से मुर्गियों के आयात में रोक लगा दी थी।

बर्ड फ्लू से इस बार ऐसी स्थिति न आए इसके लिए वन विभाग, पशु पालन विभाग और स्वास्थ्य विभाग की ओर से एहतियात बरती जा रही है और सरकार और प्रशासन पिछले साल वाली स्थिति को दोहराना नहीं चाहती है। गौर रहे कि पिछले वर्ष बर्ड फ्लू की दहशत के चलते लोगों ने पोल्ट्री और मांस की खाना बंद कर दिया था जिसकी वजह से लाखों लोगों के रोजगार पर भी असर पड़ा था।

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