कोरोनावायरस: वैश्विक महामारी कितनी भारी, कितनी तैयारी

क्या दुनिया कोरोनावायरस जैसी वैश्विक महामारी से निपटने में सक्षम है?

By Banjot Kaur

On: Monday 16 March 2020
 
1918 में स्पैनिश फ्लू के दौरान अमेरिका के कैंसास में स्थित अस्पताल की इमरजेंसी में एन्फ्लुएंजा से पीिड़त मरीजों की भीड़ बेतहाशा बढ़ गई। इतिहास में दर्ज यह पहली महामारी थी जो साल तक जारी रही (नेशनल म्यूजियम ऑफ हेल्थ एंड मेडिसिन)

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का बुलेटिन कहता है कि पैंडेमिक (वैश्विक महामारी) दुनियाभर में फैला संक्रामक अथवा अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को पार कर व्यापक क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोगों जद में लेने वाला रोग है। पिछली चार वैश्विक महामारियां इन्फ्लुएंजा (फ्लू) वायरस के कारण हुई हैं, इसलिए अब तक का चिकित्सीय विमर्श फ्लू महामारी पर हुआ है। डब्ल्यूएचओ ने इस साल कहा, “इन्फ्लुएंजा स्ट्रेन का एक नया, बेहद संक्रामक और वायुजनित विषाणु कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों को निश्चित तौर अपनी गिरफ्त में लेगा। नई वैश्विक महामारी आएगी इसमें संदेह नहीं है, बस देखना यह है कि यह कब आती है।” जब डब्ल्यूएचओ ने यह चेतावनी दी थी, तब किसी को नए कोरोनोवायरस की गंभीरता का अंदाजा नहीं था।

2003 में सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) और 2012 में मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (एमईआरएस) भी कोरोनावायरस के प्रकोप का नतीजा थे, लेकिन इन्हें वैश्विक महामारी घोषित नहीं किया गया। नए काेरोनावायरस की क्षमता और प्रभाव िकतना होगा, इसका अब तक पता नहीं चला है। 2009 में स्वाइन फ्लू की पिछली महामारी के दौरान रिप्रॉडक्शन नंबर (आर जीरो) 1.3 से 1.8 था। यह नंबर बताता है एक संक्रमित कितने लोगों को संक्रमित कर सकता है। कोविड-19 के मामले में यह नंबर 2.6 है। मेडिकल आरकाइव्स में प्रकाशित ग्लासगो के हेल्थ इंस्टीट्यूट, यूनाइटेड किंगडम के लैंकेस्टर और अमेरिका के फ्लोरिडा के तीन शोधार्थियों का अध्ययन किसी बीमारी के प्रकोप के वैश्विक महामारी बनने के बीच संबंध स्थापित करता है। वह बताते हैं कि कोरोनावायरस के केंद्र वुहान में कुल प्रभावितों की संख्या 1,90,000 से अधिक होगी।

जूनोटिक का आगमन

हमें यह नहीं पता कि अगली महामारी कब और कहां होगी, लेकिन हम जानते हैं कि यह कैसे होगी। न्यूयॉर्क स्थित गैर लाभकारी संगठन ईकोहेल्थ अलायंस में साइंस एवं आउटरीच के उपाध्यक्ष जोनाथन एप्सटीन ने डाउन टू अर्थ को बताया, “अगली महामारी जूनोटिक बीमारी होगी।” जूनोटिक बीमािरयां जानवरों से मनुष्यों को होने वाले संक्रामक रोग हैं। ईकोहेल्थ अलायंस कहता है कि जल पक्षी (वाटरफाउल) फ्लू वैश्विक महामारी के वाहक होंगे जबकि चमगादड़ या कुतरने वाले जीव जैसे चूहा, गिलहरी कोरोनावायरस के स्रोत होंगे। एप्सटीन कहते हैं, “पिछले 15 वर्षों में हमने चीन और दुनिया के तमाम हिस्सों में चमगादड़ों में सार्स से संबंधित दर्जनों कोरोनावायरस पाए हैं। हमारे शोध से पता चला है कि चीन में लोग चमगादड़ का शिकार करते हैं जिन्हें सार्स और नए कोरोनावायरस से जुड़े वायरस ले जाने के लिए जाना जाता है। इनके संपर्क में आने वालों ने पहले इन वायरस के प्रति एंटीबॉडी विकसित की है, जिसका अर्थ है कि वे उनके संपर्क में आए हैं और बीमारी को फैला सकते हैं।”

यह महज संयोग नहीं है कि पिछली चार महामारियों में से तीन का मूल चीन में है। यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट में एमरजिंग थ्रेट्स डिवीजन के पूर्व निदेशक डेनिस कैरॉल नेटफ्लिक्टस की सीरीज पैंडेमिक में कहते हैं, “हम अनुमान नहीं लगा सकते कि अगली महामारी कहां उभरने जा रही है लेकिन ऐसे कुछ स्थान हैं जहां विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। चीन ऐसे ही स्थानों में एक है।” चीन ने कोरोनावायरस के प्रकोप के बाद पूरे देश में वन्यजीवों के व्यापार पर अस्थायी प्रतिबंध लगा दिया है। एप्सटीन सुझाव देते हैं, “हमें अस्थायी प्रतिबंध की जरूरत नहीं है। जरूरत है वन्यजीव व्यापार के लिए स्थायी नियमों की। वन्यजीवों का खात्मा जरूरी नहीं है। हमें इस तरह से चीजों को समायोजित करने की आवश्यकता है जिससे हम वन्यजीवों के साथ सुरक्षित रूप से होने वाले प्रकोपों को सीमित कर सकें।” वर्ल्डवाइड फंड फॉर नेचर ने भी एक ऐसा ही बयान जारी किया है।

हालांकि कोरोनावायरस के प्रकोप और जलवायु परिवर्तन के बीच कोई प्रत्यक्ष संबंध स्थापित नहीं किया गया है, लेकिन अध्ययन बताते हैं कि तापमान में वृद्धि और बर्फ के पिघलने से पारिस्थितिकी तंत्र में नए वायरस आ रहे हैं। शोधकर्ताओं ने हाल ही में तिब्बती ग्लेशियर में फंसे 33 वायरस पाए। इनमें से 28 पूरी तरह से नए थे और उनमें से सभी में बीमारियां फैलाने की क्षमता थी। यह अध्ययन 7 जनवरी 2020 को बायोआरकाइव्स में प्रकाशित किया गया था। बर्फ के पिघलने से वायरस हवा में पहुंच जाते हैं और नदियों के माध्यम से यात्रा करके मनुष्यों को संक्रमित करते हैं। इसके अलावा, दुनिया भर में तेजी से हो रहे शहरीकरण से प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं। इससे नए वायरस उभर रहे हैं और हमारे पास उनसे जूझने की प्रतिरक्षा नहीं है।

ऐसे में सवाल उठता है कि भविष्य की वैश्विक महामारी से कितने लोग प्रभावित होंगे? डब्ल्यूएचओ ने 2019 में जारी एक रिपोर्ट में चेताया है, “1918 की वैश्विक इन्फ्लूएंजा महामारी ने दुनिया की एक तिहाई आबादी को बीमार कर दिया और पांच करोड़ (2.8 प्रतिशत) से अधिक लोगों की मौत हुई। तब से अब तक दुनिया की आबादी चार गुणा बढ़ गई है और दुनिया के किसी भी हिस्से में 36 घंटे से भी कम समय में पहुंचा जा सकता है। अगर ऐसा संक्रमण आज फैलता है तो 5-8 करोड़ लोग मर सकते हैं।”

वर्तमान में एक दिन में वैश्विक स्तर पर 10,000 से अधिक उड़ानें संचालित होती हैं। इससे पता चलता है कि अंतर-कनेक्टिविटी किस हद तक हो गई है। अमेरिका स्थित एंबरी रिडल एयरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता पियरट डरजेनी और उनके सहयोगी कहते हैं, “अनुमान है कि 2014 में इबोला महामारी के दौरान हर महीने 7.17 संक्रमित यात्रियों ने अत्यधिक प्रभावित देशों लाइबेरिया, सिएरा लियोन और गिनी से दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में प्रस्थान किया।

हालांकि अब चीन में कोरोनावायरस की गंभीरता को देखते ब्रिटिश एयरवेज, कैथे पैसिफिक एयरवेज, डेल्टा एयरलाइंस, इजिप्ट एयर, एयर इंडिया, एयर कनाडा, एमिरेट्स, इथियोपियन एयरलाइंस, फिन एयर, हैनान एयरलाइंस, इजरायल एयरलाइंस, अमेरिकन एयरलाइंस और एयर तंजानिया ने एहतियातन उड़ानें रद्द कर दी हैं या कुछ सप्ताह के लिए स्थगित कर दी हैं क्योंकि वे वायरस वाहक नहीं बनना चाहते। इसमें कोई संदेह नहीं है कि बड़े पैमाने पर महामारी का प्रकोप वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा। विश्व बैंक का अनुमान है कि 1918 जैसी वैश्विक एन्फ्लुएंजा महामारी 3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर (4.8 प्रतिशत वैश्विक जीडीपी) के बराबर नुकसान पहुंचाएगी। महामारी बेहद व्यापक न हो, तब भी 2.2 प्रतिशत वैश्विक जीडीपी की क्षति पहुंचाएगी।


कितने तैयार हैं हम?

इस सवाल का जवाब तीन स्थितियों पर निर्भर करता है। पहला, किसी को नहीं पता कि कौन-सा वायरस महामारी का कारण बनेगा, यह कितना विषाक्त होगा। दूसरा कितने लोग मारे जाएंगे या संक्रमित होंगे। तीसरा, क्या लक्षण के आधार पर उपचार कारगर साबित होगा। चौंकाने वाली बात यह है कि किसी भी देश ने डब्ल्यूएचओ की ओर से निर्धारित एहतियाती सुरक्षा प्रोटोकॉल विकसित नहीं किया है। डब्ल्यूएचओ द्वारा नियोजन और समन्वय, स्थिति की निगरानी और मूल्यांकन, वायरस के रोकथाम, स्वास्थ्य प्रणालियों की प्रतिक्रिया और जागरूकता के लिए संचार विकसित किया गया है।

जॉन्स हॉपकिंस विश्वविद्यालय और न्यूक्लियर थ्रेट इनिशिएटिव द्वारा बनाई गई ग्लोबल हेल्थ सिक्युरिटी (जीएचएस) रिपोर्ट में चेताया गया है, “दुनियाभर में राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मौलिक रूप से कमजोर है। कोई भी देश वैश्विक महामारी से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है और सभी देशों में गंभीर चुनौतियां हैं।” रिपोर्ट में कुछ निश्चित मापदंडों पर देशों को रैंक दी गई है। 100 के पैमाने पर लगभग सभी देशों ने केवल 40.2 स्कोर किया। केवल सात प्रतिशत से कम देशों ने महामारी की रोकथाम की दिशा में बेहतर स्कोर किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच प्रतिशत से भी कम देशों में त्वरित कार्रवाई की रणनीति थी।

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में पिछले साल प्रकाशित एक शोधपत्र में यूरोप और उत्तरी अमेरिका को महामारी से निपटने में अधिक सक्षम पाया गया, जबकि सबसे कम तैयार देशों में मध्य, पश्चिम अफ्रीका और दक्षिण पूर्व एशिया के थे। लेकिन कोरोनावायरस अमीर और गरीब दोनों देशों पर हमला कर रहा है और इसका कोई टीका उपलब्ध नहीं है। अमीर देश केवल लक्षणों के आधार पर उपचार के सहारे इससे बचे हुए हैं। चूंकि दुनिया को यकीन था कि अगली महामारी फ्लू से होगी, इसलिए यूनिवर्सल फ्लू वैक्सीन को विकसित करने के प्रयास किए गए हैं जो फ्लू के सभी मौजूदा और भविष्य के स्ट्रेन से सुरक्षा प्रदान करेगा। अमेरिका स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शियस डिसीज एक यूनिवर्सल फ्लू वैक्सीन विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है। अब तक जब भी किसी फ्लू का नया स्ट्रेन आया तो उसकी प्रतिरक्षा निर्मित करने के लिए टीका बना। हम वायरस से एक कदम पीछे रहते हैं। लेकिन यह टीका आने वाले फ्लू के वायरस से बचाएगा।

अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ में एन्फ्लुएंजा वैक्सीन प्रोग्राम ऑफिसर जेनिफर जॉर्डन ने डाउन टू अर्थ को बताया, “वर्तमान में मौसमी इन्फ्लुएंजा के टीके केवल एच1 एन1, एच3 एन2 और दो इन्फ्लूएंजा बी वायरस के मौजूदा स्ट्रेन से बचाव करते हैं। अगली पीढ़ी का टीका इन चार से अधिक वायरस से सुरक्षा प्रदान करेगा और उम्मीद है कि यह अन्य मौजूदा स्ट्रेन और भविष्य में उभरने वाले स्ट्रेन से बचाएगा। यह टीका 75 प्रतिशत प्रतिरक्षा प्रदान करेगा। मौजूदा टीके केवल 10-60 प्रतिशत प्रतिरक्षा प्रदान कर रहे हैं।

एक यूनिवर्सल फ्लू वैक्सीन के लिए कई संभावित दावेदार हैं। इनमें से कई क्लिनिकल ट्रायल से गुजर रहे हैं और एक अंतिम यानी मानव परीक्षण के चरण में पहुंच चुका है, क्योंकि जानवरों के अध्ययन ने सकारात्मक परिणाम दिखाए हैं। जॉर्डन बताती हैं, “हमें नहीं पता कि अंतिम उत्पाद कब तैयार होगा और इसकी लागत क्या होगी।” डब्ल्यूएचओ और लोकहित में काम कर रहे निकाय इस तरह के शोध को वित्तपोषित कर रहे हैं। सार्वभौमिक फ्लू वैक्सीन विकसित करने के लिए कई सार्वजनिक और निजी पहलें भी हुई हैं, लेकिन कोरोनावायरस के लिए वैक्सीन खोजने के लिए चल रही परियोजनाएं अभी शुरुआती चरण में ही हैं।

अगली महामारी चाहे कोरोनोवायरस से हो या फ्लू वायरस है, लेकिन दुनिया की तत्काल जरूरत वायरस को एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने से रोकने की है। वायरस को फैलने से रोकने के लिए चीन ने 13 बड़े शहरों को पूर्ण या आंशिक रूप से बंद कर दिया है। लगभग 5 करोड़ लोग इससे प्रभावित हुए हैं। दुनिया के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इससे लोगों को परेशानियां हो रही हैं और विशेषज्ञ इस उपाय को संदेह की नजर से देख रहे हैं।

एक ओर चीन ने अपने प्रभावित क्षेत्रों को बंद कर दिया है, दूसरी ओर कई देशों ने अपने नागरिकों को चीन की यात्रा न करने की सलाह दी है। क्या ऐसे प्रतिबंध के लिए कोई प्रोटोकॉल है? वैश्विक स्तर पर देशों ने अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए कड़े फैसले लिए हैं। रूस और सिंगापुर ने चीन की सीमा बंद कर दी है। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने भी यात्रा प्रतिबंध लगाए हैं। कई अन्य देश आंशिक प्रतिबंध लगाने की तैयारी में हैं। लेकिन डब्ल्यूएचओ अलग-थलग पड़ा है। उसने कोई यात्रा एडवाइजरी जारी नहीं की है। डब्ल्यूएचओ में हेल्थ इमरजेंसी प्रोग्राम के निदेशक माइकल रायन इस रुख का बचाव करते हैं, “अगर सभी 191 देश मनमाना व्यवहार करते हैं तो हमारी गाइडलाइन का कोई औचित्य नहीं रहेगा।”

डब्ल्यूएचओ से इस तरह की आपात स्थितियों के दौरान नेतृत्व करने की उम्मीद की जाती है, लेकिन उसने चीन के साथ मिलकर इसका बचाव किया है। उसने कोरोनावायरस प्रकोप के समाचार में देरी के लिए चीन को फटकार नहीं लगाई, जबकि चीनी अधिकारी विलंब की बात स्वीकार करते हैं। वुहान कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव मा गुओकियांग ने 1 फरवरी को कहा, “यह शर्म की बात है। अगर हम पहले ही कड़े कदम उठा लेते, तो प्रकोप नियंत्रित किया जा सकता था।” डब्ल्यूएचओ की कोरोनावायरस पर अस्पष्ट स्थिति दुनिया भर के देशों को रणनीति तैयार करने, स्वास्थ्य और आपातकालीन बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए बाध्य करेगी। इस बीच यह भी देखना होगा कि कोरोनावायरस किस करवट बैठता है।

Subscribe to our daily hindi newsletter