“चीनी दवाओं में जानवरों का इस्तेमाल पूरी दुनिया के लिए खतरा”
परंपरागत चीनी दवाओं में जानवरों के इस्तेमाल पर डाउन टू अर्थ ने अमेरिकी वैज्ञानिक और चिकित्सक डेविड गोर्सकी से बात की
On: Wednesday 08 April 2020
कोरोनावायरस (कोविड-19) महामारी ने पारंपरिक चीनी भोजन और दवाओं पर सबका ध्यान खींचा है। हालांकि चीन ने महामारी के मद्देनजर जंगली जानवरों को खाने पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन पारंपरिक चीनी दवाओं (टीसीएम) में उनका उपयोग अब भी निषिद्ध नहीं है। डाउन टू अर्थ ने संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्जन, वैज्ञानिक डेविड गोर्सकी से बात की। गोर्सकी नास्तिक हैं और विज्ञान पर यकीन रखते हैं। वह अवैज्ञानिक व मिथ्या उपचार को गलत मानते हैं। गोर्सकी साइंस बेस्ड मेडिसन पोर्टल के संपादक भी हैं। डाउन टू अर्थ ने उनसे बातचीत कर यह जानना चाहा कि वर्तमान महामारी के संदर्भ में टीसीएम को किस नजर से देखा जाए-
पारंपरिक चीनी दवाएं (टीसीएम) लंबे समय से क्यों अस्तित्व में है? क्या इसका कोई आध्यात्मिक, धार्मिक या लिखित आधार है?
यह वास्तव में लंबे समय से अस्तित्व में नहीं है। यह चेयरमैन माओ (जेडॉन्ग) की देन है। उनके स्वास्थ्य अधिकारियों ने एक संशोधनवादी इतिहास तैयार किया है जिसमें कई चीनी लोक चिकित्सा परंपराओं को एकीकृत सैद्धांतिक रूप में चित्रित किया गया है।
टीसीएम वैज्ञानिक दृष्टि से मिथ्या उपचार से अलग कैसे नहीं है?
अधिकांश टीसीएम का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। उदाहरण के लिए चीनी मान्यता है कि दुनिया ही हर वस्तु में एक शक्ति होती है जिसके कारण संतुलन बना रहता है। लेकिन तर्क की कसौटी पर यह खरा नहीं उतरता। इसी तरह एक्यूपंक्चर का भी वैज्ञानिक आधार नहीं है।
भोजन और दवाओं में जानवरों के इस्तेमाल के पीछे चीन की क्या मान्यता है और वह कैसे अलग है?
टीसीएम में जानवरों का इस्तेमाल बहुत सी दुर्लभ प्रजातियों के लिए खतरा है। साथ ही
कोविड-19 महामारी बताती है कि टीसीएम में जानवरों का उपयोग पूरी दुनिया के लिए एक खतरा है। इससे बहुत से विषाणुओं का संचरण जानवरों से मनुष्यों में होता है।
2003 में सार्स महामारी और 2020 में कोविड-19 के बीच, चीनी सरकार देश के ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी को कम करने के तरीके के रूप में एनिमल फार्मिंग का समर्थन कर रही थी। टीसीएम में जानवरों के उपयोग में सरकारी अधिकारी किस तरह शामिल हैं?
इसका सही उत्तर मैं नहीं जानता, लेकिन मुझे इस पर बहुत संदेह है।
आखिर क्या वजह है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसी वैश्विक संस्था भी टीसीएम का समर्थन कर रही है?
इस सवाल ने मुझे सिर खुजाने पर मजबूर कर दिया है। इसका एक आंशिक उत्तर यह हो सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का नेतृत्व बड़ी संख्या में चीनी कर रहे हैं।
कोविड-19 टीसीएम के बाजार को कैसे प्रभावित करेगा, खासकर जानवरों के अंगों से बनी दवाइयां को?
यह कहना मुश्किल है। मुझे उम्मीद है कि इससे टीसीएम के बाजार में बहुत कमी आएगी। लेकिन मुझे संशय है कि अगर यह होता है तो प्रभाव अल्पकालिक होगा।