कोरोनोवायरस: मौत का जोखिम पुरुषों और बुजुर्गों के लिए ज्यादा क्यों है?

यदि कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण कोविड-19 होने का खतरा अधिक है, तो फिर शिशुओं में भी ये गंभीर बीमारी दिखाई देनी चाहिए, क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली अभी भी विकसित हो रही होती है

By Jeremy Rossman

On: Wednesday 22 April 2020
 
Photo: Pexels

चीन से मिले आंकड़ों के मुताबिक, कोविड-19 बीमारी से होने वाली मृत्यु दर 0.66 फीसदी होने का अनुमान है। दूसरे शब्दों में, औपचारिक रूप से नोवेल कोरोना वायरस बीमारी से पीड़ित लोगों में से 0.66 प्रतिशत की मौत हो जाती है। लेकिन ये मृत्यु दर अलग-अलग आयु वर्गों के लिए नाटकीय रूप से अलग-अलग होती है। 79 साल की उम्र से अधिक लोगों में मृत्यु दर 7.8 प्रतिशत है तो 10 साल तक के बच्चों के लिए 0.0016 प्रतिशत। इसी तरह की मृत्यु दर न्यूयॉर्क में देखी जा रही हैं।

नीचे दिया गया ग्राफ वृद्ध आबादी के लिए तेजी से बढ़ती हुई मृत्यु दर को दर्शाता है।

यही रुझान उन कोविड-19 रोगियों के मामले में देखा जा रहा है, जिन्हें अस्पताल में भर्ती किए जाने की आवश्यकता होती है। 10 साल से कम उम्र के लिए यह शून्य प्रतिशत है जबकि 79 साल से अधिक उम्र वालों के लिए मृत्यु दर 18.4 प्रतिशत तक है। फिर भी 79 साल से अधिक उम्र वाले लोगों में संक्रमण का दर कुल मामलों का सिर्फ 3.15 प्रतिशत ही हैं।

हाल के अध्ययनों से पता चला है कि लिंग भी एक जोखिम कारक है। महिलाओं की तुलना में पुरुषों को कोविड-19 से मौत का अधिक खतरा है।

चीन के आंकड़ों से पता चलता है कि पुरुषों में कोविड-19 से मरने का जोखिम 1.65 गुना अधिक है। न्यूयॉर्क शहर में यह दर 1.77 गुना अधिक है। फिर भी, पुरुषों और महिलाओं में वायरस संक्रमण का जोखिम बराबर ही है।

कमजोर होती प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम)?

समय के साथ, इंसान के रोग से लड़ने की प्रतिरक्षा प्रणाली क्षमता में गिरावट आई है। 70 साल से अधिक उम्र के लोगों में ये काफी कम हो जाती है। हाल के परिणाम बताते हैं कि कोविड-19 के गंभीर मामलों में, संक्रमण से लड़ने वाले प्रतिरक्षा कोशिकाओं के कुछ वर्गों में गंभीर कमी आई है। बुजुर्गों में इन प्रतिरक्षा कोशिकाओं को कम सक्रिय माना जाता है। ऐसे बुजुर्गों के लिए कोविड-19 के गंभीर मामलों का जोखिम बढ जाता है। दूसरी तरफ, कोविड-19 के सबसे गंभीर मामले प्रतिरक्षा प्रणाली की अति-सक्रियता से जुड़े बताए गए हैं।

प्रतिरक्षा प्रणाली कई अलग-अलग भागों से बना होता है। इसलिए एक घटक में रूकावट और दूसरे का अति-सक्रिय हो जाना संभव है। लेकिन, यदि कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण कोविड-19 होने का खतरा अधिक है, तो फिर शिशुओं में भी ये गंभीर बीमारी दिखाई देनी चाहिए, क्योंकि उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली अभी भी विकसित हो रही होती है। ज्यादातर मौसमी फ्लू महामारी में यही देखा जाता है कि 2 साल से कम और 65 साल से अधिक उम्र वालों को गंभीर संक्रमण होने का खतरा अधिक होता है।

एसीई2 स्तर में परिवर्तन?

फ्लू के उलट, 2003 के सार्स महामारी का मृत्यु दर भी काफी घातक था, जो कोविड-19 की तरह ही उम्र के साथ बढता गया (44 साल से कम उम्र के लिए 4.26 प्रतिशत, 74 साल से अधिक उम्र वालों के लिए 64.2 प्रतिशत तक बढ़ गया)। साथ ही, महिलाओं की तुलना में पुरुषों के लिए मृत्यु दर 1.66 गुना अधिक था। शिशुओं में गंभीर संक्रमण का न होना ये दिखाता है कि कोविड-19 के लिए उम्र और लिंग संबंधी जोखिम असमानता प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में अंतर के कारण नहीं हो सकती है, बल्कि सार्स वायरस के कुछ गुण इसके लिए जिम्मेवार हो सकते हैं।

2003 के सार्स-सीओवी-1 और मौजूदा सार्स-सीओवी-2 वायरस कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए एसीई2 नामक प्रोटीन का उपयोग करते हैं। एसीई2 आम तौर पर रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह कई अलग-अलग कोशिकाओं की सतह पर पाया जाता है। इसमें वो कोशिकाएं भी शामिल हैं, जो फेफड़े की रेखा का निर्माण करते हैं। मानव कोशिकाओं में एसीई2 की मात्रा पुरुषों में अधिक होती है और उम्र के साथ बढ़ती है।

मनुष्यों में एसीई2 जीन के कुछ प्रकार एसीई2 स्त्राव के विभिन्न स्तरों के साथ जुड़े हुए हैं। अलग-अलग लोगों में एसीई2 की मात्रा कोविड-19 बीमारी के साथ कुछ हद तक सहसंबद्ध है। इसके अलावा, गंभीर कोविड-19 बीमारी के लिए उच्च रक्तचाप को एक महत्वपूर्ण आयु संबंधित जोखिम कारक माना जाता है। आमतौर पर, उच्च रक्तचाप का इलाज एसीई-निरोधक से किया जाता है, जो कई बार एसीई2 की मात्रा बढ़ा देता है।

हालांकि, ऐसा प्रतीत होता है कि फेफड़ों की गंभीर बीमारी से जुड़े मामले में कोविड-19 संक्रमण के परिणामस्वरूप एसीई2 का स्तर घट जाता है। वैसे यह अभी तक साफ नहीं है कि जब एसीई2 का स्तर बढना शुरु होता है तब क्या होता है। महज बढा हुआ एसीई2 स्तर किसी बहुत गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता है।

इसके अलावा, हाल ही में एक क्लिनिकल ट्रायल (नैदानिक ​​परीक्षण) से पता चला कि एसीई-निरोधक का उपयोग कम गंभीर कोविड-19 बीमारी से जुड़ा हुआ था।

एसीई2 एक जटिल नियंत्रण प्रणाली का सिर्फ एक घटक है। इसलिए, कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश की तुलना में, एसीई2 की मात्रा और क्रिया में परिवर्तन का बीमारी के प्रगति पर अधिक जटिल प्रभाव पड़ सकता है। रोग के बढ़ने पर ये प्रभाव बदल सकते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय हो जाती है।

अन्य कोरोना वायरस का खतरा?

अन्य संबंधित कोरोना वायरस बुजुर्ग रोगियों में निमोनिया का कारण बनता है। उम्र बढने के साथ ही वायरस के संपर्क में आने की संभावना भी बढ़ जाती है। हम यह भी जानते हैं कि मानव प्रतिरक्षा प्रणाली विभिन्न कोरोना वायरस के बीच कुछ क्रॉस-रिएक्टिविटी दिखा सकती है।

आम तौर पर, एक संक्रमण से रिकवर होने (ठीक होने) के बाद प्रतिरक्षा स्मृति (इम्यून मेमोरी) उत्पन्न होती है। यह एक व्यक्ति को एक ही रोगजनक से दुबारा संक्रमित होने से बचाती है। क्रॉस-रिएक्टिविटी तब होती है, जब प्रतिरक्षा प्रणाली एक नए रोगज़नक़ के खिलाफ अपनी पुरानी मेमोरी के आधार पर प्रतिक्रिया करती। ऐसे में, कभी-कभी यह संक्रमण से बचा सकती है, तो कभी-कभी यह बीमारी को बदतर भी बना सकती है।

ऐसा प्रतीत होता है कि प्रतिरक्षा प्रणाली का अति-सक्रिय होना गंभीर कोविड-19 बीमारी का कारण बना है। ऐसे में, यह संभव है कि प्रतिरक्षा प्रणाली अपने मेमोरी के आधार पर अति-सक्रिय हुई हो। यह प्रक्रिया बुजुर्ग लोगों में अधिक प्रभावी हो सकती है, जो अतीत में किसी अन्य कोरोना वायरस के संपर्क में आए हो।

बहरहाल, कोई डेटा कोविड-19 बीमारी में क्रॉस-रिएक्टिविटी नहीं दिखा रहा है, लेकिन अतीत में अन्य कोरोना वायरस का प्रकोप झेल चुके क्षेत्रों में मौजूदा कोविड-19 के गंभीर संक्रमण दर के विश्लेषण से इस मामले को समझने में कुछ आसानी हो सकती है।

सरल व्याख्या?

कोविड-19 से होने वाली मौत का जोखिम पुरुषों और बुजुर्गों में अधिक क्यों है, इसे समझना काफी आसान है। हम जानते हैं कि घातक कोविड-19 का जोखिम उन लोगों में लगभग दोगुना है, जो पहले से ही किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं। ज्यादातर बीमारियां ऐसी हैं, जो उम्र के साथ बढ़ती जाती है। जैसे, उच्च रक्तचाप। 40 साल से कम उम्र वालों में उच्च रक्तचाप वृद्धि का दर जहां 7.5 प्रतिशत है, वहीं 60 साल से अधिक उम्र के लोगों में ये 63 प्रतिशत तक है। पूर्व से ही बढी हुई स्वास्थ्य समस्या कोविड-19 बीमारी की गंभीरता और जोखिम को और अधिक बढ़ा सकती है।

हम नहीं जानते कि ऐसी स्वास्थ्य स्थिति क्यों लोगों को अधिक गंभीर बीमारी के खतरे में डालती है? हमने कोविड-19 बीमारी को अभी-अभी समझना शुरु किया है। गंभीर कोविड-19 बीमारी की प्रक्रिया को समझकर ही हम पुरुषों और बुजुर्गों के जोखिम को कम करने के उपाय तलाश सकते है। ऐसे उपाय, जो कोविड-19 को गंभीर और घातक बीमारी बनने से रोक सके।

(जेरेमी रॉसमैन, वायरोलॉजी में ऑनरेरी सीनियर लेक्चरर और यूनिवर्सिटी ऑफ केंट की रिसर्च एड नेटवर्क की प्रेसीडेंट हैं।)

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