यूरोप एक बार फिर से कोविड-19 महामारी के मामले दोबारा उभरने का केंद्र बनता जा रहा है। नए मामलों की बढ़ती तादाद के चलते यहां कई देशों में लॉकडाउन लगाया गया है।
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के जनसंख्या पर शोध करने वाले स्वतंत्र संगठन, इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मीट्रिक्स एंड इवैल्यूवेशन यानी आईएचएमई के मुताबिक, यहां रोजाना संक्रमितों और मरने वालों की तादाद, उसी संख्या के करीब पहुंच रही है, जो पिछले साल नवंबर में तब दर्ज की गई थी, जब यूरोप कोरोना की दूसरी लहर का केंद्र बना हुआ था।
चिंताजनक बात यह है कि इस बार गंभीर मरीेजों की तादाद पिछली बार से भी ज्यादा है। पूरे यूरोप में सघन चिकित्सा कक्षों यानी आईसीयू में भर्ती मरीजों की संख्या इसकी तस्दीक करती है। नवंबर 2020 में यहां 25,000 से लेकर 42,000 तक आईसीयू बेड की जरूरत पड़ रही थी जबकि इस महीने यहां यह सख्या एक लाख से ऊपर पहुंच गई है।
यूरोप के जिन देशों में मामले ज्यादा तेजी से बढ़ रहे हैं, उनमें नीदरलैंड्स, ऑस्ट्रिया, जर्मनी, नार्वे, पोलैंड और स्लोवाकिया शामिल हैं।
आईएचएमई के निदेशक और मुख्य रणनीतिकार डॉ. क्रिस्टोफर जेएल मरे ने 18 नवंबर 2021 को कहा: यूरोप के उत्तरी गोलार्द्ध में ठंड बढ़ने की वजह से हम मामले बढ़ने की उम्मीद कर रहे थे। हालांकि विरोधाभासी तरीके से इस बार उन क्षेत्रों में भी मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिन्होंने पहली और दूसरी लहर में बेहतर प्रदर्शन किया था और जहां प्राकृतिक प्रतिरोधी क्षमता का स्तर कम है।
दूसरी ओर पूर्वी यूरोप के देशों जैसे बुल्गारिया, रोामनिया, बेलारूस, रूसी संघ और बाल्टिक राज्यों में वैक्सीनेशन की कम दर के बावजूद इस बार संक्रमित मरीजों की तादाद कम हो रही है। नाटकीय ढंग से पिछली लहरों में इन देशों में संक्रमण का ज्यादा असर देखा गया था।
आईएचएमई के मुताबिक, नवंबर 2020 में यूरोप में कोरोना के चलते रोजाना चार से छह हजार मौतें हो रही थीं, जबकि इस महीने 4600 से लेकर 5400 मौतें रोज हो रही हैं। हर रोज संक्रमित होने वाले मरीजों की तादाद पिछले साल नवंबर महीने में दो लाख से दो लाख साठ हजार के बीच थी, जो इस महीने 2,29,000 से लेकर ढाई लाख के बीच है।
डॉ. मरे के मुताबिक, ‘हम इस बार सर्दी, वैक्सीन की वजह से घटने वाली प्रतिरोधक क्षमता और पुराने संक्रमणों के स्तर आदि के मिलने से उपजे हालातों के साक्षी बन रहे हैं।’ वह यह भी कहते हैं कि जहां तक उत्तरी गोलार्द्ध का सवाल है तो वहां सर्दी में इस लहर का असर उससे कहीं ज्यादा घातक हो सकता है, जितना हमने घटती प्रतिरोधक क्षमता के आंकड़ों से अनुमान लगाया है।
आईएचएमई के आंकड़ों के हिसाब से, अब तक यूरोप की 55 फीसदी आबादी को वैक्सीन को दोनों खुराकें मिल चुकी हैं। इस आबादी में बड़ी तादाद ऐसे लोगों की है, जिन्होंने तीन महीने पहले ही वैक्सीन की दूसरी खुराक ले ली थी। गौरतलब है कि यूरोप के चालीस फीसदी लोग इस साल अगस्त के अंत तक वैक्सीन की दोनों खुराक ले चुके थे।
हालांकि आईएचएमई का मौजूदा मॉडल, घटने वाली प्रतिरोधक क्षमता को शामिल नहीं करता, चाहे वह वैक्सीन लेने के बाद घटती हो, या प्राकृतिक संक्रमण के बाद। मरे इस बात को रेखांकित करते हैं, ‘हम उनको शामिल कर रहे हैं, जिन्हें इस लहर में संक्रमण हो चुका है और उम्मीद है कि हम इस मॉडल को दिसंबर की शुरूआत में जारी कर देंगे।’
आईएचएमई का पूर्वानुमान है कि अगर वर्तमान हालात बने रहतेे हैं तो यूरोप में दिसंबर में कोविड-19 के मामले 9,30,000 के करीब होंगे। उसके बाद यह तादाद कम होना शुरू हो जाएगी और उम्मीद है कि मार्च तक यह घटकर 4,20,000 के करीब रह जाएगी। अगर हालात बद से बदतर हो जाते हैं तो अगले साल जनवरी में संक्रमितों की तादाद शीर्ष 26 लाख तक पहुंच जाएगी, हालांकि अगर दुनिया भर में मास्क का उपयोग जारी रहा तो यह तादाद तेजी से कम होने लगेगी।
यूरोपीय देशों ने हालात से निपटने के लिए पाबंदियां लगानी शुरू कर दी हैं। ऑस्ट्रिया में इस सोमवार से पूरी तरह लॉकडाउन लगा दिया गया है। पश्चिमी यूरोप में इस लहर में ऐसा करने वाला वह पहला देश बन गया है। नीदरलैंड्स में आंशिक तौर पर लॉकडाउन लगाया गया है जबकि जर्मनी और चेकिया ने वैक्सीन न लेने वालों पर प्रतिबंध लगाए हैं। स्पेन, पोलैंड और हंगरी ने मास्क का उपयोग जरूरी बनाए रखा है।
मरे के मुताबिक, यूरोप के बाहर के स्थित पांच देशों में भी कोविड-19 के मामले बढ़े हैं। इनमें दक्षिण अमेरिका का बोल्वििया, कोलंबिया और खास तौर से चिली शामिल है। जार्डन, लेबनान, मिस्र और अल्जीरिया सहित पश्चिमी एशिया के देशों के एक समूह और दक्षिण-पूर्व एशिया के लाओस व वियतनाम और संयुक्त राज्य अमेरिका के मिशिगन समेत कुछ राज्यों में भी महामारी से संक्रमित होने वालों की तादाद बढ़ रही है।
काफी कुछ यूरोप की तरह ही दुनिया भर में संक्रमितों और मरने वालों की संख्या उसी तरह बढ़ रही है, जैसे कि पिछले साल दर्ज की गई थी। पिछले साल नवंबर में दुनिया भर में रोजाना मरने वालों की तादाद आठ हजार से ग्यारह हजार के बीच थी, जो इस साल थोड़ी कम यानी सात हजार के करीब है।
वैश्विक स्तर पर इस साल नवंबर में रोजाना संक्रमित होने वाले मरीजों की तादाद 3,70,000 से 4,50,000 के बीच हे जो पिछले साल नवंबर में 4,80,000 से 4,70,000 के बीच थी।
आईएचएमई का आकलन है कि वैसे तो दिसंबर के मध्य से कोविड-19 के मामलों में लगातार कमी आएगी लेकिन अगर हालात बदतर होते हैं तो जनवरी के अंत में इसके मामलों और मरने वालों की तादाद शीर्ष पर पहुंच सकती है, जिसमें रोजाना करीब 24 हजार मौतें होने की आशंका है।