कितने महीने तक दोबारा कोरोना होने का आसार नहीं रहता?

शोधकर्ताओं ने कहा है कि जिन लोगों को एक बार कोविड-19 हो जाता है, उनमें कम से कम आठ महीनों तक फिर से संक्रमण होने के आसार नहीं रहते

By Dayanidhi

On: Wednesday 23 December 2020
 
Photo : Wikimedia Commons

ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने कहा है कि जो लोग एक बार कोराेना वायरस से संक्रमित हुए हैं, उनमें कम से कम आठ महीनों तक फिर से संक्रमण होने से बचाने के लिए इम्युनिटी स्मरण-शक्ति रहती है।

शोध में कहा गया है कि वायरस सार्स-सीओवी-2 के खिलाफ वैक्सीन लंबे समय तक काम करेगा। पहले के कई अध्ययनों में बताया गया है कि पहले कुछ महीनों के बाद   कोरोनावायरस के एंटीबॉडी की पहली लहर समाप्त हो जाती है, जोकि चिंता बढ़ाने वाली बात है कि लोग जल्दी से इम्युनिटी खो सकते हैं। लेकिन अब यह नया शोध इन चिंताओं को दूर करता है।

यह अध्ययन मोनाश यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट ऑफ इम्यूनोलॉजी एंड पैथोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर मेंनो वैन जेलम के नेतृत्व में किया गया है। जो मोनाश विश्वविद्यालय, अल्फ्रेड अस्पताल और बर्नेट इंस्टीट्यूट के बीच अल्फ्रेड रिसर्च एलायंस के सहयोग से पूरा हुआ।

अध्ययन से पता चला कि प्रतिरक्षा प्रणाली के भीतर विशिष्ट कोशिकाएं जिन्हें मेमोरी बी कोशिकाएं कहा जाता है, वायरस द्वारा संक्रमण को "याद" करती हैं और अगर दोबारा चुनौती दी जाती है, तो वायरस के दोबारा संपर्क में आने से, सुरक्षात्मक एंटीबॉडी के तेजी से उत्पादन के माध्यम से एक सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया शुरू होती है।

शोधकर्ताओं ने 25 कोविड-19 रोगियों को भर्ती किया और उनमें संक्रमण होने के 4 दिन के बाद खून के 36 नमूने लिए, फिर 242 दिन बाद एक बार फिर से नमूने लिए गए।

अन्य अध्ययनों के साथ-साथ केवल एंटीबॉडी की प्रतिक्रिया को देखते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि रोगी के शरीर में वायरस के खिलाफ 20 दिनों के संक्रमण के बाद एंटीबॉडी बनना शुरू हो गया। यह अध्ययन प्रतिष्ठित पत्रिका साइंस इम्यूनोलॉजी में प्रकाशित हुआ है।

हालांकि महत्वपूर्ण रूप से सभी रोगियों में मेमोरी बी कोशिकाएं बनती रहीं जिन्होंने सार्स-सीओवी-2 वायरस, स्पाइक और न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन के दो घटकों में से एक की पहचान की। ये वायरस-विशिष्ट मेमोरी बी कोशिकाएं संक्रमण के आठ महीने बाद तक मौजूद थीं।

एसोसिएट प्रोफेसर वैन जेलम ने कहा कि ये परिणाम वायरस के खिलाफ किसी भी वैक्सीन के प्रभाव को बढ़ाने की उम्मीद जगाते हैं। ये परिणाम महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे निश्चित रूप से दिखाते हैं कि कोविड-19 वायरस से संक्रमित रोगी वास्तव में वायरस और बीमारी के खिलाफ प्रतिरक्षा बनाए रखते हैं।

यह एक संभावना है कि कोविड-19 वैक्सीन द्वारा लंबे समय तक प्रतिरक्षा प्रदान की जा सकती है और आशा है कि, एक बार एक टीके विकसित हो जाने के बाद वे दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करेंगे।

यहां यह उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी कुछ अध्ययन हो चुके हैं, जिसमें कोविड-19 इम्युनिटी के समय को लेकर अलग-अलग निष्कर्ष सामने आए हैं।

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