गीली जगहों में छुप जाते हैं खतरनाक रोग फैलाने वाले बैक्टीरिया: शोध

पानी से फैलने वाली संक्रामक बीमारियां जो अधिकतर एंटीबायोटिक दवाओं के लिए प्रतिरोधी हो सकती हैं, इन पर एक नियमित गर्म पानी की प्रणाली लगाम लगा सकती है

By Dayanidhi

On: Monday 25 July 2022
 

अस्पताल हो या घर बैक्टीरिया और बीमारियों के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। लेकिन एक अच्छी तरह से नियमित गर्म पानी की प्रणाली पानी से फैलने वाले बैक्टीरिया को रोक सकती है। जिसमें 'सुपरबग्स' से एक उभरती हुई संक्रामक बीमारी की समस्या भी शामिल है, जो अधिकांश एंटीबायोटिक दवाओं के लिए प्रतिरोधी हो सकती है। यह शोध फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं की अगुवाई में किया गया है। 

विशेषज्ञों ने यह भी चेतावनी दी है कि कुछ पेयजल उपचार विधियां पानी से फैलने वाले कुछ रोगों के खिलाफ बेअसर हो सकती हैं। जो कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों के लिए खतरा पैदा करती हैं। नल और शावर हेड जैसे रोज उपयोग होने वाले उपकरणों पर इन सूक्ष्मजीवों के जीने के लिए आश्रय बना सकते हैं। 

बुजुर्ग, नवजात शिशु और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग विशेष रूप से पानी से फैलने वाले संक्रमणों के प्रति संवेदनशील होते हैं। बढ़ती उम्र, कैंसर और कमजोर प्रतिरक्षा या इम्युनोडेफिशिएंसी जैसी समस्याओं वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है, जिन्हें ऑपर्चूनिस्टिकप्रिमाइस प्लंबिंग पैथोजन्स (ओपीपीपी) संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

नल और इससे संबंधित उपकरणों में नियमित बदलाव, गर्म पानी सेवा का रखरखाव जांच और शावर और नल की प्रभावी सफाई जरूरी है, जो कमजोर प्रतिरक्षा वाले रोगियों को घर पर स्वास्थ्य देखभाल हासिल करने या शल्य चिकित्सा प्रबंधन के बाद अति आवश्यक है।

घर पर स्वास्थ्य सेवा, अस्पताल में रहने के विकल्प के रूप में उभरा है, विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के माध्यम से, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली पर बोझ को कम करने और लंबे समय तक सांस संबंधी दुष्प्रभावों वाले लोगों की सहायता के लिए अहम है।

फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ साइंस एंड इंजीनियरिंग के प्रमुख शोधकर्ता क्लेयर हेवर्ड कहते हैं कि ये उपाय घरेलू देखभाल में पानी से फैलने वाले संक्रमण के खतरों को कम करने में मदद कर सकते हैं, साथ ही सुरक्षित पेयजल की गुणवत्ता में भी प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं।

साथ ही अध्ययन में होने वाले संक्रमण और यहां तक कि रोगाणुरोधी और कई दवाओं के लिए प्रतिरोधी जीवों के स्रोत के रूप में अस्पताल में पानी के प्रमाण मिले हैं।

हेवर्ड कहती हैं कि नल, शावर, नालियों और अन्य पानी बहने वाली जगहों पर उतपन्न होने वाले बैक्टीरिया, आपूर्ति के पानी या मनुष्य के माइक्रोबायोटा से दूषित हाथ धोने से उत्पन्न होने वाले इन खतरनाक एंटीबायोटिक प्रतिरोधी रोगजनकों के रहने एवं बढ़ने के लिए बहुत अच्छी जगहों में शामिल हैं।

ऑपर्चूनिस्टिक प्रिमाइस प्लंबिंग पैथोजन्स (ओपीपीपी) संक्रमण जैसे लेजियोनेला न्यूमोफिला, स्यूडोमोनास एरुगिनोसा और माइकोबैक्टीरियम एवियम पानी से फैलने वाले रोगजनकों का एक समूह है जो धीरे-धीरे संक्रमण नियंत्रण की दिशा में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर ध्यान बढ़ा रहे हैं।

हेवर्ड कहती हैं कि हालांकि इस निगरानी में स्वास्थ्य संबंधी संक्रमणों के स्रोत के रूप में पीने के पानी की अनदेखी की जाती है या इसे कम करके आंका जाता है।

ओपीपीपी पानी के बैक्टीरिया कीटाणुनाशक प्रतिरोधी हो सकते हैं और कम पोषक तत्वों के साथ बने रहते हैं, फिर बैक्टीरिया या बायोफिल्म बनाते हैं जो अन्य नैदानिक ​​रूप से प्रासंगिक रोगजनकों जैसे स्टैफिलोकोकस ऑरियस, एंटरोबैक्टीरिया, क्लेबसिएला न्यूमोनिया और एस्चेरिचिया कोलाई जैसे रोगों को बढ़ाते हैं।

एक बार जब ये बैक्टीरिया पानी वाली सतहों पर चिपक जाते हैं, तो कई तरह की बीमारियां फैला सकते हैं। उपकरणों से पानी की निकासी का डिजाइन जिसके परिणामस्वरूप पानी के छींटे हवा मैं फैल जाते हैं, ये आस-पास के क्षेत्रों को दूषित कर खतरे को भी बढ़ा सकते हैं।

फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी में माइक्रोबायोलॉजी के विशेषज्ञ तथा प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर मेलिसा ब्राउन कहते हैं कि इन प्रतिरोधी रोगजनकों के बढ़ने को विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक के रूप में पहचाना है।

वह कहती हैं कि जबकि कोविड-19 महामारी ने कीटाणुनाशक और सैनिटाइजर के उपयोग में वृद्धि की है, विशेष रूप से स्वास्थ्य सुविधाओं में, ये एंटीसेप्टिक साबुन पानी की आपूर्ति पाइप और नल में पर्दे के पीछे क्या चल रहा है, इससे नहीं निपटते हैं।

शोधकर्ता स्वास्थ्य संबंधी संक्रमणों को कम करने के लिए पीने के पानी और पानी से संबंधित उपकरणों की भूमिका को समझने के लिए व्यापक, सार्वभौमिक निगरानी दिशानिर्देशों की सलाह देते हैं। रोगाणुरोधी प्रतिरोध में होने वाली वृद्धि से आवासीय और स्वास्थ्य देखभाल परिस्थिति में कमजोर लोगों के लिए खतरा बढ़ जाता है। यह शोध करंट ओपिनियन जर्नल में प्रकाशित हुआ है।

Subscribe to our daily hindi newsletter