लापरवाही की वजह से बिहार के एक गांव में 23 कोरोना पॉजिटिव, हर घर बना होम क्वारंटाइन

सांस्कृतिक और खेलकूद की गतिविधियों के लिए राज्य में मशहूर इस गांव और आसपास के दो पंचायत के 18 वार्डों में कर्फ्यू जैसी स्थिति है 

By Pushya Mitra

On: Friday 10 April 2020
 

सीवान के रघुनाथपुर प्रखंड के इस गांव से जुड़े दो पंचायतों के 18 वार्डों को पूरी तरह सील कर दिया गया है। फोटो: पुष्यमित्र बिहार के सीवान जिले के पंजवार गांव में इन दिनों कोरोना संक्रमण की वजह से भीषण स्थिति उत्पन्न हो गई है। कभी सांस्कृतिक और खेलकूद की गतिविधियों के लिए पूरे राज्य में मशहूर इस गांव और आसपास के दो पंचायत के 18 वार्डों में कर्फ्यू जैसी स्थिति है। हर घर के आगे होम क्वारंटाइन का पर्चा लग गया है। यह एक छोटी सी लापरवाही की वजह से हुआ। ओमान से 21 मार्च को आए एक कोरोना संक्रमण के मामले में संदिग्ध व्यक्ति को सरकार ने होम क्वारंटाइन कर दिया। उसकी नियमित निगरानी नहीं हुई, कोरोना का टेस्ट कराने में 14 दिन का वक्त लग गए। इस वजह से अब गांव में 23 लोग कोरोना से संक्रमित हैं। उस व्यक्ति के संपर्क में आये 97 लोगों को चिह्नित कर बसों से जिला मुख्यालय भेज दिया गया है, जहां उन्हें क्वारंटाइन किया जा रहा है।

पंजवार गांव में सामाजिक रूप से सक्रिय रहने वाले संजय सिंह ने फोन पर जानकारी दी कि उक्त युवक 21 मार्च को ओमान से गांव आया था। पटना एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग के दौरान उसे संदिग्ध पाया गया और उसके हाथ पर होम क्वारंटाइन की मुहर लगाई गई और उसे 14 दिनों के लिए घर में ही क्वारंटाइन के लिए कहा गया। वह कहते हैं, अब गलती उसकी थी या प्रशासन की क्या कहें, मगर वह तीन अप्रैल तक किसी आजाद व्यक्ति की तरह गांव में घूमता रहा, लोगों से मिलता-जुलता रहा, क्रिकेट खेलता रहा, शादी अटैंड करता रहा। स्थानीय प्रशासन ने भी उसकी निगरानी नहीं की। दस दिन बाद उसका सैंपल लिया गया और सैंपल लेने के बाद भी उसे फिर से छोड़ दिया गया। तीन अप्रैल को जब उसका सैंपल पोजिटिव निकला, तब सभी लोग एक्टिव हुए। आनन-फानन में गांव को सील करने लगे, उससे जुड़े लोगों के संपर्क तलाशे जाने लगे और दूसरी कार्रवाइयां होने लगी।

स्थानीय अखबारों में प्रकाशित खबरों के मुताबिक कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उसके परिवार के 28 लोगों को तो चिह्नित किया गया, मगर उन्हें फिर उसी पंचायत के स्कूल में क्वारंटाइन कर दिया गया। बाद में जब उस परिवार के लोगों में कोरोना के लक्षण दिखने लगे तो उनके सैंपल लिए गए। 8 मार्च को चार लोगों को कोरोना पॉजिटिव घोषित किया गया, 9 मार्च को 17 लोग और 10 मार्च की सुबह दो लोग कोरोना पॉजिटिव निकले। 9 मार्च को जिन 97 लोगों को क्वारंटाइन करने के लिए बस से सीवान जिला मुख्यालय भेजा गया है, उनमें 61 लोग उसके घर के 50 मीटर के दायरे में आने वाले लोग हैं और 36 ऐसे लोग हैं, जिन्होंने उसके साथ क्रिकेट खेला है। 

सीवान के सामाजिक रूप से सक्रिय युवक पुनीत पुस्कर कहते हैं, कि इस घटना से यह जाहिर होता है कि किसी संदिग्ध व्यक्ति को उसके हाथ पर क्वारंटाइन की मुहर लगा कर छोड़ देना कितना रिस्की है। स्वास्थ्य विभाग के प्रोटोकॉल के मुताबिक होम क्वारंटाइन व्यक्ति की रोज निगरानी कर उसकी रिपोर्ट भेजी जानी होती है, मगर जो हालात बने हैं, उससे जाहिर है कि इस व्यक्ति की बिल्कुल निगरानी नहीं हुई। और तो और कोरोना का सैंपल लेने में भी काफी देरी हुई। कल ही सीवान का एक और व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव पाया गया, हैरत की बात है कि वह 16 मार्च को ही दुबई से गांव आया था। उसका सैंपल 22-23 दिन बाद लिया गया। सीवान जिले में अब तक 29 लोग कोरोना से संक्रमित हैं। पूरे बिहार राज्य में कुल 58 कोरोना पॉजिटिव हैं, इस आंकड़े से समझ सकते हैं कि सीवान कितना बड़ा हॉटस्पॉट बन गया है। मगर फिर भी यहां जांच की गति काफी धीमी है। हम लगातार सरकार से मांग कर रहे हैं कि यहां अलग से जांच केंद्र शुरू किया जाए।

ग्रामीण संजय सिंह कहते हैं कि जो हुआ सो हुआ, अब सबसे जरूरी है कि उस व्यक्ति के संपर्क में आने वाले सभी व्यक्तियों की ठीक से पहचान हो और सभी का कोरोना टेस्ट हो। गांव के हर घर को सेनिटाइज किया जाए। एक दिन नहीं रोज। हर घर तो क्वारंटाइन हो ही चुका है और हर घर में जरूरत के सामान की होम डिलीवरी हो। नंबर सार्वजनिक किए जाएं। 

9 मार्च को दिन भर सोशल मीडिया पर इस गांव और सीवान को लेकर चले कैंपेन के बाद शाम को बिहार के स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने देश के विभिन्न राज्यों में जांच में लगे लैब और टेस्ट की संख्या का चार्ट जारी करते हुए कहा कि अपने संसाधन और जरूरतों के मुताबिक हमने पर्याप्त टेस्ट किए हैं। राज्य में 22 मार्च को पहला मरीज मिला था, अब तक राज्य में कुल 5152 टेस्ट हुए हैं। बाद में विभाग की तरफ से जिलावार टेस्ट की सूची भी जारी की गई, जिसके मुताबिक सीवान जिले में कुल 589 टेस्ट हुए थे। यह टेस्ट के मामले में राजधानी पटना और पड़ोसी जिले गोपालगंज के बाद तीसरे नंबर पर है। 9 मार्च को राज्य के पुलिस महानिदेशक ने भी जानकारी दी कि सीवान जिले को पूरी तरह सील करने के बदले उसके विभिन्न हॉटस्पॉट को सील किया जा रहा है। राज्य से स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने भी जानकारी दी कि इस गांव को सील करने के लिये सारण कमिश्नरी के आयुक्त खुद सक्रिय हैं।

फिलहाल सीवान के रघुनाथपुर प्रखंड के इस पंजवार गांव से जुड़े दो पंचायतों के 18 वार्डों को पूरी तरह सील कर दिया गया है और हर घर के आगे होम क्वारंटाइन का पर्चा लगा दिया गया है। गांव को सेनिटाइज किया जा रहा है। भयभीत करने वाले माहौल में लोग खुद-बखुद अपने घरों में कैद हो गए हैं। 

 

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